Special on Bilaspur State Conference : बिलासपुर राज्य सम्मेलन पर विशेष : छग इप्टा की गौरवशाली रंगयात्रा

Special on Bilaspur State Conference :

विमलशंकर झा

Special on Bilaspur State Conference : रंगमंच के अग्रदूत इप्टा ने किया रंगमंचीय चेतना का शंघनाद

Special on Bilaspur State Conference : नाट्यशक्ति को शस्त्र और शास्त्र से अधिक प्रभावी मानने वाले भारतेंदु ने कहा है कि नाटक मानवीय चेतना और समाज परिवर्तन का अमोघ अस्त्र है । आज जब राजनीतिक शक्तियां सत्ता के लिए देश के सामाजिक तानबाना और समावेशी समाज को विखंडित करने पर आमादा हैं तो ऐसे विकट और निर्मम दौर में रंगमंच घटाटोप अंधेरे में भाईचारे का अपहरण करने वालों के खिलाफ पंचलैट की तरह अधिक प्रकाशवान दिखाई दे रहा है ।

इस परिप्रेक्ष्य में इप्टा ( इंडियन पीपुल्स थिएटर ) की भूमिका पहले से कहीं अधिक असरकारक तो है ही लेकिन चुनौतिपूर्ण भी कम नहीं है । इप्टा के स्थापना दिवस 9 अप्रेल को राजधानी रायपुर से नफरत के खिलाफ मुहब्बत का पैगाम देने निकली देशव्यापी ढाई आखर प्रेम का- सांस्कृतिक यात्रा इप्टा की इस सामाजिक प्रतिबद्धता की प्रमाण है । छत्तीसगढ़ इप्टा की 4 दशकों की संघर्ष यात्रा जितनी सुनहरी है, इसका भविष्य भी उतना ही चमकदार होने की आशा की जा रही है ।

संस्कृतिकर्मियों ने अपने प्रभावी नाटकों से प्रदेश के साथ देश में रंगमंचीय चेतना तो जगाई ही सैकड़ों प्रतिभाओं को राष्ट्रीय फलक देने के साथ सामाजिक जड़ता के विरुद्ध बिगुल भी फूंका । अविभाजित मध्यप्रदेश में 1980 -82 के दौर में जबलपुर इकाई के रंगकर्मियों के साथ रायपुर भिलाई के रंगकर्मियों की शुरुआती नाट्य सक्रियता के साथ 82 में जबलपुर में हुए मप्र इप्टा के राज्य सम्मेलन में भी यहां की सहभागिता रही थी ।

हालांकि 85 में राष्ट्रीय इप्टा के पुर्नगठन के पूर्व 82 में रायपुर, भिलाई और बिलासपुर इप्टा का गठन हो चुका था लेकिन सक्रियता यहां पुर्नगठन बाद ही बढ़ी । मप्र इप्टा के अध्यक्ष पुन्नी सिंह महासचिव हिमांशु व रंगकर्मी राजेश जोशी आदि के साथ छत्तीसगढ़ के रंगकर्मियों ने अपनी नाट्य सक्रियता से चमकदार भविष्य के संकेत दिए । वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के अभ्युदय के साथ छग इप्टा के गठन के बाद रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, रायगढ़, अंबिकापुर, डोंगरगढ़, जगदलपुर और चांपा इकाईयों ने अपनी सांस्कृतिक व सामाजिक प्रतिबद्धता तथा नाट्य चेतना से जबदस्त माहौल बनाया ।

एक से बढक़र एक नाट्य प्रोडक्शन, प्रस्तिुतियों, वर्कशाप, शिविर, राज्य सम्मेलनों, स्थानीय व राष्ट्रीय स्पर्धाओं में सहभागिता से छत्तीसगढ़ इप्टा की पहचान राष्ट्रीय फलक पर बननी शुरु हो गई । सामाजिक व आर्थिक विषमता और राजनीतिक विद्रूपताओं के खिलाफ और सांप्रदायिक सदभाव को जगाते यहां के नाटकों और कई बड़े निर्देेशकों के साथ कलाकारों ने राष्ट्रीय स्पर्धाओं व महोत्सवों में शिरकत से देशव्यापी पहचान बनाई ।

साथ ही अपने राज्य में सामाजिक चेतना के साथ भाईचारे का माहौल व शांति का टापू बनाने में भी अहम किरदार निभाया । इस दौरान रायपुर के राजकमल नायक, मिनहाज हसन, मिर्जा मसूद, भिलाई इप्टा के विभाष उपाध्याय, सुरेश गोंडाले, मणिमय मुखर्जी, राजेश श्रीवास्तव, शरीफ अहमद, पंकज मिश्रा, रितेश मेश्राम,राजेंद्र कपूर, श्रवण, चारु श्रीवास्तव, चित्रांश श्रीवास्तव,रायगढ़ के अजय आठले, विनोद बहिदर,सचिन शर्मा, मधुकर गोरख शर्मा, अरुण दामणकर, मोमिन खान, ऊषा आठले, अनादि आठले,जगदलपुर के मदन आचार्य, विजय सिंह, राजेश संधू, अनिल निखारे, डोंगरगढ़ के राधेश्याम तराने, मनोज गुप्ता,दिनेश चौधीरी, अंबिकापुर के प्रीतपाल सिंह,विजय गुप्त, वेदप्रकाश व अंजनी पांडेय आदि कई नाट्य निर्देशक रंगजगत को दिए । वहीं संतोष झांजी,आशा शर्मा, विनोद बहिदार, राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी,अनिता श्रीवास्तव,सुचिता मुखर्जी, राजेंद्र चौबे, रजीव शुक्ला,कमल शर्मा, नीना सरनाइक, साक्षी शर्मा,नीतू जैन,मोनिका आइच जैसे कलाकारों ने अभिनयअदायगी में रंगजगत में अलग पहचान बनाई ।

छग इप्टा के 2002 में भिलाई में हुए राज्य सम्मेलन के आगाज के बाद कोरबा ( 05), डोंगरगढ़ (08 ), रायपुर (012) व रायगढ़ ( 017) में हुए सम्मेलनों ने प्रदेश में सांगठनिक मजबूती और वैचारिक अलख के साथ रंगमंच को नई ऊंचाई देने में जबरदस्त योगदान दिया ।पिछले 4 दशकों के दौरान छग इप्टा के कई क्लासिक नाटकों रायपुर के निर्देेशक राजकमल के राजेश जोशी रचित यम का छाता, मिर्जामसूद के कबीरा खड़ा बाजार में, मिन्हाज के गोड़ के धुर्रा, व भुलवाराम का गमछा तथा सांप्रदायिक सदभाव पर रामलीला, भिलाई इप्टा के बने नाटक मारीच संवाद, अजब न्याय गजब न्याय, 2 पैसे की जन्नत, मैं नरक से बोल रहा हूं, 1 और द्रोणाचार्य, बरगद बरगद कुत्ता, इंस्पेक्टर मातादीन..,यम का छाता, जब मैं सिर्फ..,मोटेराम का सत्याग्रह,, प्लेटफार्म, पंचलैट, थाली का बैगन चोर पुराण, क्षमादान,एक गधे की आत्मकथा, मुर्गीवाला, प्रेमनगर, परतदर परत, डाकघर, डोंगरगढ़ के यम के भाटो, गांधी की यात्रा, रायगढ़ इप्टा के गगन घटा गहरानी आदि कई यादगार नाटकों ने निर्देशकों व कलाकारों को कीर्ति दिलाई ।

अजय शर्मा, रौशन घड़ेकर, निशा गौतम, राजेश श्रीवास्तव, मणिमय मुखर्जी, खुशबू अग्रवाल, गुरप्रीत, भूमिका, उर्मिला शर्मा, अंकिता अग्रवाल, पूनम साहू, चारु व चित्रांश श्रीवास्तव आदि अनेक प्रतिभावान कलाकारों ने अपनी बेजोड़ प्रतिभा से रंगमंच को नए प्रतिमान दिए । रायगढ़ इप्टा का नेक्स्ट मिलेनियम देशभर में मंचित हुआ तो एनएसडी डायरेक्टर संजय उपाध्याय निर्देशित बकासुर वध को भारत रंग महोत्सव में मंचित होने का गौरव मिला ।

भिलाई इप्टा में भिलाई को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में रंगकर्मियों के रंगमंचीय सरोकार व प्रतिभा के साथ अदभुत सक्रियता का योगदान रहा । 24 साल से बाल नाट्य शिविर आयोजन यानी लिटिल इप्टा ने बतौर नर्सरी सैकड़ों कलाकारों को पैदा किया तो यहां बीएसपी बहुभाषीय व इंटर कालेज स्कूल आदि नाट्य स्पर्धाओं में 30 साल से मंचन के साथ पुरस्कार व कई बड़े रंकर्मियों को आमंत्रित कर क्लासिक नाटकों का निर्माण कराया गया ।

एसएमवी गोपाल राजू रचित व के मोहन राव तथा शरीफ अहमद अनुदित इप्टा भिलाई के यादगार नाटक राई के देशभर में सौ मंचन हुए और कटक में हुए अंतराष्ट्रीय नाट्य महोत्सव में 112 प्रतिभागी टीमों के बीच अंतराष्ट्रीय नाट्य प्रतियोगिता कनाडा के लिए चयन का गौरव हासिल हुआ था । इसमें विभाष उपाध्याय, मणिमय मुखर्जी और राजेश श्रीवास्तव ने सरपंच का अपरिवर्तनीय किरदार निभाया था । वहीं यहां के कई कलाकार छालीवुड व टालीवुड से लेकर छालीवुड में छाए हुए हैं ।

पंकज, रीतेश, नीतू, मोनिका, अनादि मुंबई सीरियलों में कमाल दिखा रहे हैं । पंकज मिश्रा सोनी टीवी के द कपिल शर्मा शो व शैलेश लोढ़ा के वाह वाह क्या बात है के एपिसोड को डायरेक्ट कर चुके हैं । वेब सीरीज सेंडविच और बांबे लायर का डिजाइन व निर्देशन कर बड़े डायरेक्टरों में शुमार हैं । रायगढ़ के अजय उषा आठले के प्रतिभावान पुत्र अनादि आठले को मुंबई में बार्डरलैंड डाक्यूमेंट्री फिल्म के लिए रजतकमल राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है ।

इंदिरा संगीत विवि से थिएटर में डिप्लोमा कर रहे रंगकर्मी राजेश श्रीवास्तव के सुपुत्र रंगकर्मी गोर्की के निर्देशन में कई नाटकों को राष्ट्रीय पहचान मिली । करण खान व ताहिर खान जैसे कई कलाकार छत्तीसगढ़ी फिल्मों में लोकप्रिय हैं । पिछले 4 दशकों में छग इप्टा की रंग यात्रा इप्टा की ही नहीं वरन छग के साथ देश मे सामाजिक चेतना जगाने की दृष्टि एक अनुकरणीय मिसाल के साथ कभी न बुझने वाली मशाल साबित हो रहा है । इप्टा के राष्ट्रीय सचिव राजेश श्रीवास्तव बताते हैं कि छग इप्टा 4 दशकों से अधिक समय से अपनी रचनात्मक और सामाजिक जिम्मेदारी निभा रहा है ।

इस दौरान कई नाटकों व कलाकारों का योगदान अविमस्मरणीय है,जिनमें कई आज हमारे बीच नहीं हैं । इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी बताते हैं कि भिलाई इप्टा पर सांगठनिक लाइन के पर चलने के साथ कुछ अलग से एफर्ड करने की दबाव रहा, जिसके फलस्वरुप हमने बाल नाट्यशिविर से नई पीढ़ी को रंगसंस्कारित करने के साथ कई क्लासिक नाटक भी दिए । मौजूदा अभिव्यक्ति के संकट की चुनौती के मुकाबले और गंगाजमुनी तहजीब के पैगाम को आगे बढ़ाने मे इप्टा छग का 24-25 दिसंबर को बिलासपुर राज्य सम्मेलन अहम और यादगार सबित होगा ।
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