भारत एक बार फिर अंतरिक्ष में अपनी वैज्ञानिक उपलब्धियों का परचम लहराने को तैयार है. भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के नेतृत्व में एक्सिओम-4 मिशन 10 जून सुबह 6:12 बजे (भारतीय समयानुसार) फ्लोरिडा नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होगा. यह ऐतिहासिक मिशन स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान से लॉन्च किया जाएगा.
चार देशों का साझा मिशन, भारत के लिए खास
इस मिशन में अमेरिका, भारत, पोलैंड और हंगरी के चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं, जो 14 दिनों तक ISS पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देंगे. यह मिशन खास इसलिए है, क्योंकि:
– भारत, पोलैंड और हंगरी के लिए 40 साल बाद पहली सरकारी प्रायोजित अंतरिक्ष उड़ान है.
– भारत का यह दूसरा मानव अंतरिक्ष मिशन होगा (पहला 1984 में राकेश शर्मा के साथ हुआ था).
– इसरो द्वारा 7 माइक्रोग्रैविटी प्रयोग किए जाएंगे, जो मानव स्वास्थ्य, दवा विकास और जैव प्रौद्योगिकी में क्रांति ला सकते हैं।
क्या होगा इस मिशन में
– माइक्रोग्रैविटी रिसर्च: इसरो के वैज्ञानिक भौतिक विज्ञान, जीवन विज्ञान और नई दवाओं पर प्रयोग करेंगे।
– अंतरराष्ट्रीय सहयोग: चार देशों के वैज्ञानिक मिलकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाएंगे।
– भारत की बढ़ती अंतरिक्ष ताकत: यह मिशन गगनयान मिशन से पहले भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को और मजबूती देगा.
शुभांशु शुक्ला: भारत के नए अंतरिक्ष हीरो
शुभांशु शुक्ला ने एक साल तक कड़ा प्रशिक्षण लिया है और वे मिशन पायलट की भूमिका निभाएंगे.
नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री माइकल लोपेज़-एलेग्रिया ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा, “वे पूरी तरह तैयार हैं और शानदार प्रदर्शन करेंगे।”*