नई दिल्ली: आज, 21 सितंबर 2025 को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा, जिसमें चंद्रमा सूर्य के एक हिस्से को ढक लेगा, जिससे सूर्य अर्धचंद्राकार दिखाई देगा। भारतीय समयानुसार ग्रहण रात 11 बजे शुरू होगा, रात 1:11 बजे चरम पर होगा और 22 सितंबर की रात समाप्त होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा।
ग्रहण से जुड़े मिथक और वैज्ञानिक तथ्य
मिथक 1: गर्भवती महिलाओं पर असर
धारणा: ग्रहण के दौरान गर्भवती महिला के बाहर निकलने से बच्चे पर जन्मजात दाग या निशान हो सकते हैं।
विज्ञान: कोई वैज्ञानिक आधार नहीं। बच्चे की शारीरिक बनावट डीएनए, मां के स्वास्थ्य और पोषण पर निर्भर करती है, न कि ग्रहण पर।
मिथक 2: खाना जहरीला हो जाता है
धारणा: ग्रहण के समय खाना बनाना या खाना नुकसानदायक है।
विज्ञान: खाना और ग्रहण का कोई संबंध नहीं। पुराने समय में खराब स्टोरेज के कारण यह धारणा बनी, जो अब अप्रासंगिक है।
मिथक 3: पानी और पौधे दूषित होते हैं
धारणा: ग्रहण के दौरान पानी और पौधे अशुद्ध हो जाते हैं।
विज्ञान: ग्रहण का पानी या पौधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। यह केवल खगोलीय घटना है।
मिथक 4: स्नान-पूजा न करने से पाप
धारणा: ग्रहण के समय स्नान या पूजा न करना अपशकुन है।
विज्ञान: यह सांस्कृतिक परंपरा है, लेकिन ग्रहण का पाप-पुण्य से कोई वैज्ञानिक संबंध नहीं।
मिथक 5: प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
धारणा: ग्रहण से भूकंप, बाढ़ जैसी आपदाएं आ सकती हैं।
विज्ञान: ग्रहण और प्राकृतिक आपदाओं का कोई संबंध नहीं। यह केवल सूर्य-चंद्रमा-पृथ्वी की स्थिति है।
मिथक 6: सेहत पर असर
धारणा: ग्रहण से बीमारी या कमजोरी हो सकती है।
विज्ञान: ग्रहण का सेहत पर कोई प्रभाव नहीं। असुविधा डर या मानसिक दबाव (प्लेसिबो/नोसिबो इफेक्ट) के कारण हो सकती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है। इसे देखने के लिए विशेष सौर चश्मे का उपयोग करें और अंधविश्वासों से बचें।