Smriti Irani Statement
Smriti Irani Statement : नई दिल्ली: केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी का राज्यसभा में दिया गया एक लिखित जवाब चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल, सरकार से पूछा गया था कि क्या सरकार महिलाओं को या पीरियड्स के दौरान महिलाओं को पेड लीव देने का नियम लेकर आने वाली है?
Smriti Irani Statement : इसपर ईरानी का जवाब था कि मेन्स्ट्रुएशन कोई ‘विकलांगता’ नहीं है, इसपर पेड पॉलिसी की कोई नीति नहीं लाने वाले है.
खबरों का कहना है कि सांसद मनोज कुमार झा ने देश की मेन्स्टु्अल हाइजीन पॉलिसी को लेकर प्रश्न पूछा था. बीते सप्ताह भी कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में पेड लीव को लेकर प्रश्न पूछा था. इसपर ईरानी ने उत्तर दिया था कि माहवारी कोई विकलांगता नहीं है,
यह किसी भी महिला के जीवन का प्राकृतिक भाग है. हमें ऐसे मुद्दे नहीं सुझाने चाहिए, जिससे महिलाओं से समानता के अवसर छिन जाएं, बस इसलिए कि किसी ऐसे शख्स का जिसको माहवारी की बिलकुल भी समझ नहीं है, उसका इसपर कुछ और सोचना है.
https://jandharaasian.com/number-of-cms-cars-changed
बता दें कि लोकसभा में उन्होंने इस बारें में बोला था कि गवर्नमेंट ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है, जिसमें वर्कप्लेस पर पेड मेन्स्ट्रुअल लीव को अनिवार्य किया जा रहा है. उन्होंने राज्यसभा को दिए गए अपने लिखित जवाब में बोला था
कि कुछ महिलाओं और लड़कियों में डिसमेनोरिया यानी मेन्स्ट्रुअल क्रैम्प्स यानी पेट के निचले भाग में तेज दर्द होता है, लेकिन इसमें दवाई से आराम मिलता है. लेकिन माहवारी को अकसर सोशल टैबू की तरह देखा जाता है,
जिससे महिलाओं की स्वतंत्रता, रोजमर्रा की गतिविधियां करने पर भी प्रतिबंध लग जाता है, उनको अलग-थलग कर दिया जाता है, और इसके बारे में दबे-छिपे तरीके से बात की जाती है. ये व्यवहार तब और हानिकारक बन जाता है जब कोई माहवारी से पहले-पहल गुजरना शुरू करता है तो उसे मानसिक और शारीरिक तौर पर हो रहे बदलावों से गुजरना भी पड़ता है.
दिलचस्प है कि स्मृति ईरानी का ये बयान उस वक़्त सामने आया, जब बीते माह नवंबर में सरकार ने मेन्स्ट्रुअल हाइजीन पॉलिसी को लेकर एक ड्राफ्ट- DRAFT NATIONAL MENSTRUAL HYGIENE POLICY, 2023- जारी किया था
पॉलिसी इंटिग्रेशन शीर्षक के 4.7.3 बिंदु में बोला गया है कि “शैक्षिक संस्थाओं और कार्यस्थलों पर सबको साथ लेना, वर्कफोर्स की अलग-अलग जरूरतों को समझना, सभी की प्रोडक्टिविटी और सेहत का ध्यान रखना, काम करने के फ्लेक्सिबल ऑप्शन- जैसे कि वर्क फ्रॉम होम और सपोर्ट लीव का प्रावधान करना है,
ताकि माहवारी के बीच उनकी खास जरूरतों का ध्यान रखा जा सके.” इस ड्रॉफ्ट में ये भी कहा गया है कि इस बात पर जोर दिया जाना जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था सबको मिलनी चाहिए, ताकि मेन्स्ट्रुअल साइकल के आधार पर प्रॉडक्टिविटी को लेकर गलत धारणाएं भी बना ली जाती है,