Sikhs in Canada कनाडा में सिख बोलबाले के कई आयाम

Sikhs in Canada

Sikhs in Canada विवेक सक्सेना

Sikhs in Canada पिछली जस्टिन ट्रूडो सरकार में हरजीत सिंह सज्जन देश के रक्षा मंत्री थे। ट्रूडो का कहना था कि भारत के मोदी मंत्रिमंडल से दुगने सिख मंत्री मेरी सरकार में शामिल है। हरजीत सिंह कनाडा के पूर्व सैन्य अधिकारी थे।

Sikhs in Canada  वहां की अदालतों में सिखों का कृपाण रखने की छूट भी दी जा चुकी है। यदि आप कनाडा में वेंकूवर के सरे इलाके में जाए तो आपको अंग्रेजी में बात करने की जरुरत नहीं होगी। देख कर ऐसा लगता है कि जैसे कि आप दिल्ली के तिलक नगर में आ गए हो। उस इलाके के बाजार में ज्यादातर दुकानदार सिख व पंजाबी हैं। शहर में गुरुद्वारों की संख्या काफी अधिक है।

Sikhs in Canada अब हालत बहुत बदल गए हैं। यदि आप कनाडा में वेंकूवर के सरे इलाके में जाए तो आपको अंग्रेजी में बात करने की जरुरत नहीं होगी। देख कर ऐसा लगता है कि जैसे कि आप दिल्ली के तिलक नगर में आ गए हो। उस इलाके के बाजार में ज्यादातर दुकानदार सिख व पंजाबी हैं। शहर में गुरुद्वारों की संख्या काफी अधिक है। कनाडा की जानी मानी पुलिस ‘आरसीएमपी’ (रायल कनाडियन माउट्रेड पुलिस) में पहले सिख पुलिसवालों को दाढ़ी रखने पर प्रतिबंध था। बाद में वे दाढ़ी रखने का मुकदमा जीत गए। वहां कई पुराने गुरुद्वारों को राष्ट्रीय महत्व के गुद्वारे का सम्मान दिया गया है। अनेक अवसरों पर नगर कीर्तन का जुलूस निकालने की अनुमति दे दी जाती है।

Sikhs in Canada जनसंख्या में सिखों व हिंदुओं का हिस्सा महज पांच फीसदी से कम है पर चुनाव में राजनीतिक दल उन्हें खास महत्व देते हैं। वेंकूवर में तो सिखों ने एक अपना अलग स्कूल तक खोला हुआ है। वहां रेस्तरां, भवन निर्माण, ट्रांसपोर्ट व व्यापार में तो मानो सिखों का लगभग एकाधिकार है। इसके अलावा उन्होंने अपने नाम से बैंक तक खोली हुई है।

Sikhs in Canada जब अपने पिछले कार्यकाल के दौरान वहां के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत आए थे तो वे अपने साथ जिन सिख प्रतिनिधियों को लाए थे उनमें एक का नाम भारत द्वारा घोषित आतंकवादी भी था। तब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी इस हरकत पर नाराजगी जताने के लिए उन्हें ज्यादा महत्व नहीं दिया था व खुद उनकी आवभगत करने के बजाए उन्हें भारत में आने-जाने की जिम्मेदारी अपने राज्य मंत्री को सौंप दी थी। ऐसा करके उन्होंने जस्टिन ट्रूडो से नाराजगी जतायी थी। हालांकि जस्टिन ट्रूडो का दिल्ली की एक गुरुद्वारे में काफी सम्मान किया गया था।

बहुत बुरा संयोग था जो अमेरिका में आतंकवादियों द्वारा किए गए 9/11 के विमान हमले के पहले आतंकवादियों द्वारा सबसे पहले विमान को आतंकवाद का निशाना बनाने की घटना कनाडा में ही घटी थी। 23 जून 1985 को कनाडाई आतंकवादियों ने विमान को हाइजेक कर लिया था। इस विमान में रखे बम में अचानक विस्फोट हो जाने के कारण इसमें सवार सभी 392 यात्रियों की मौत हो गई। तब इस कांड के पीछे आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा का नाम सामने आया था।

Sikhs in Canada  दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पुलिस में गिनी जाने वाली ‘आरसीएमपी’ द्वारा दोषियों को पता लगाने के लिए भारत सरकार का अनुरोध नहीं माना था। कुछ महीने पहले ही इस कांड में एक प्रमुख अभियुक्त की वेंकूवर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। वह कुछ साल पहले ही जेल से रिहा हुआ था। खालिस्तान सरीखे मुद्दे पर पृथकतावादी आंदोलन चलाने वाली संस्था सिख फार जस्टिस के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू जो कि अमेरिका में रहता है, उसके द्वारा कनाडा में सक्रिय रहने के कारण हमारी सरकार कनाडा सरकार से काफी नाराज रहती है।

Sikhs in Canada कनाडा में 19 वीं शताब्दी के अंत में पंजाबियों व सिखों ने आना शुरु किया था। तब वे लोग कनाडा के उद्योगों में व खेती बाड़ी का काम करते थे। ज्यादातर लोग ब्रिटिश कोलंबिया में बस गए जिस राज्य में वेंकूवर शहर आता है। आज उनके बड़े बड़े शापिंग स्टोर है तथा वे लोग तकनीकी काम जैसे बिजली आदि कामों में माहिर है। शुरु में आने वाले सिख वहां पर रेलवे की पटरी बिछाने का काम करते थे।

Sikhs in Canada स्थानीय लोगों की तुलना में कम मजदूरी लेते थे व कुछ पैसा बचा कर अपने घर पर भी भेज देते थे। इस तरह से उनके परिवार के लोग कनाडा आकर बसने लगे। वहां सिख ‘बैसाखी’ भी बहुत धूमधाम से मनाते हैं। उस दिन न केवल नए वर्ष की शुरुआत होती है। वहां की सरकार ने तो अप्रैल माह को सिख संस्कृति माह घोषित कर रखा है। नस्लवाद व कम मजदूरी लेते रहने के कारण भी वह लोग वहां काम करते रहे आज कनाडा के समाज में उनका विशिष्ट स्थान है। सिखों की जनसंख्या 5 लाख है जो कुल जनसंख्या का मात्र 1.4 प्रतिशत है।

Sikhs in Canada सिख फार जस्टिस ने पंजाब को भारत से अलग करने के मुद्दे पर विदेशों में रह रहे सिखों के बीच कथित जनमत संग्रह भी किया था। कनाडा के गुरुद्वारों में जाने माने आतंकवादियों की फोटो नजर आना आम बात है। इसके प्रमुख गुरुपतवंत सिंह पन्नू पर खालिस्तान के नाम पर आम लोगों से पैसे इकठ्ठे करने का आरोप है। न्यूयार्क से चलाए जा रहे इस संगठन ‘एसएफजे’ को कुछ साल पहले सरकार ने गैर कानूनी करार दे दिया था। इस संगठन के कुछ सदस्यों ने अमेरिका की एक अदालत में 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए कमलनाथ व 14 अन्य कांग्रेसियों को दोषी घोषित करने की याचिका भी दायर की थी। उनकी इस याचिका को अदालत ने ठुकरा दिया था। बताते हैं कि प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान कई सिख सैनिकों ने कनाडा की सेना में हिस्सा लिया था। सरकार ने फिर ‘‘आरसीएमवी’ में सिखों को दाढ़ी व साफा पहनने की इजाजत दे दी।

वजह यह थी कि उसके एक अधिकारी बालतेज सिंह सिंधू ने आरसीएमपी में दाढ़ी न रखने व पगड़ी की जगह कैप पहनने के निर्देश को चुनौती दी थी। वह पहले मलेशिया मं रहते थे और 16 साल की उम्र में कनाडा आ गए। उसे दाढ़ी रखने व पगड़ी पहनने के कारण आरसीएमपी में नौकरी नहीं दी गई। 1980 में उसने उसके इस फैसले को चुनौती दी। इसे लेकर पूरे कनाडा में रहने वाले सिखों ने आंदोलन शुरु कर दिया। वहां के लोग इसे अपने देश की परंपरा के खिलाफ मानते थे इसके खिलाफ कनाडा के कुछ लोगों ने हस्ताक्षार अभियान भी शुरु किया।

राजनीतिक दल रिफार्म पार्टी ने इसका राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की। कुछ साल पहले पगड़ी पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में सरकार ने इसका राजनीतिक रूप से विरोध होते हुए देखकर प्रतिबंध वापस ले लिया।

पिछली जस्टिन ट्रूडो सरकार में हरजीत सिंह सज्जन देश के रक्षा मंत्री थे। ट्रूडो का कहना था कि भारत के मोदी मंत्रिमंडल से दुगने सिख मंत्री मेरी सरकार में शामिल है। हरजीत सिंह कनाडा के पूर्व सैन्य अधिकारी थे। वहां की अदालतों में सिखों का कृपाण रखने की छूट भी दी जा चुकी है।

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