Shrimad Bhagwat Katha श्रीमद्भागवत कथा का अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का होता है नाश

Shrimad Bhagwat Katha

उमेश कुमार डहरिया

Shrimad Bhagwat Katha भागवत कथा का आयोजन मोक्षदायनी है श्रीमद् भागवत की कथा:  राहुल कृष्ण महाराज

Shrimad Bhagwat Katha रविशंकर नगर में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ कलश यात्रा के साथ

 

Shrimad Bhagwat Katha कोरबा !    रविशंकर नगर मे पोडीबाहर होते हुऐ रविशंकर नगर मे कथा स्थल तक बाजे-गाजे के साथ भव्य शोभायात्रा सहीत कलश यात्रा निकाली गई। वैदिक मंत्रोच्चार, पूजन अर्चन के साथ विधिवत सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आरंभ हुआ।

Shrimad Bhagwat Katha तुलाराम राठौर के व्दारा राठौर परिवार के तत्वाधान में आयोजित भागवत कथा के प्रथम दिन कथा व्यास से भागवत आचार्य पंडित श्री राहुल कृष्ण जी महाराज वृन्दावन से आये आचार्य जी ने कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है तब ऐसा अनुष्ठान होता है।

भागवत कथा श्रवण मात्र जीवन के सारे पाप मिट जाते हैं. श्रीमद्भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान करते हुए कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाई थी, उन्हें सात दिनों के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु का श्राप मिला था।

Shrimad Bhagwat Katha कथा व्यास ने आगे बताया कि श्रीमद्भागवत कथा अमृत पान करने से संपूर्ण पापों का नाश होता है। श्रीमद् भागवत महापुराण वेदों का सार है, जब ज्ञान वैराग्य की मूर्छा दूर करने के लिए ऋषियों ने देवर्षि नारद से कहा किआप ज्ञान और वैराग्य को जगाने के लिए उन्हें श्रीमद् भागवत महापुराण सुनाओ।

नारद जी ने कहा कि ऋषिवर मैंने उन्हें सारे वेद और उपनिषेद सुना दिए हैं। जब वेदों व उपनिषेदों से कोई फायदा नहीं हुआ तो भागवत पुराण से क्या फायदा होगा। ऋषियों ने कहा कि भागवत महापुराण सभी ग्रंथों का सार है, जो फायदा सार शिक्षा से होता है वह पूरी कहानी पढ़ने से नहीं होता है।

 

य़ह ज्ञानियों का चिंतन, संतो का मनन, भक्तों का वंदन तथा भारत की धड़कन है। किसी का सौभाग्य जब शिखर पर होता है तब उसे श्रीमद् भागवत पढ़ने, कहने व सुनने को मिलती है। आचार्य श्री राहुल कृष्ण जी महाराज ने कहा कि भागवत अमृत की भांति है, इसके सुनने से मनुष्य भवसागर में तर जाता जाता है। इसके सुनने से मनुष्य भवसागर से तर जाता है।

 

परमात्मा का नाम नहीं ले तो वह जीवन में पशु के समान है।उन्होंने कहा कि कण-कण में भगवान हैं। आप जिस रूप में भगवान को याद करें वही रूप भगवान का है। जरूरी नहीं है कि आप का स्मरण करने के लिए मंदिर जाएं। जरूरी है कि भगवान का स्मण करने के लिए मन मंदिर को सजाएं और उनकी भक्ति करें।

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इससे जीवन के सारे दुख और संकट को सहने की शक्ति आपको मिले,लक्ष्मी निवास में प.रविशंकर नगर सैट पैलाटी स्कुल के समाने यह कथा प्रतिदिन दोपहर 3:00 से देर शाम तक चलते रहेयेगी है .इसका समापन 31दिसंबर को सहस्त्र धारा, हवन पूर्णाहुति के साथ होगा. वही आयोजन पत्रकार कृष्ण कुमार राठौर एवं उनकी धर्मपत्नि श्रीमति रमा राठौर व्दारा किया जा रहा है ।

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