Shrimad Bhagwat Katha – भक्तिभाव से ही ईश्वर की प्राप्ति होती है : पंडित अविनाश

Shrimad Bhagwat Katha -

Shrimad Bhagwat Katha श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ तीसरे दिवस

भक्ति जागृत हो जाये व भागवत

Shrimad Bhagwat Katha भानुप्रतापपुर। भक्ति भाव से ही ईश्वर को पाया जा सकता है, इसलिए मनुष्य को निस्वार्थ भाव से भक्ति करनी चाहिए श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के तीसरे दिवस सोमवार को पंडित अविनाश महराज ने बतलाई।

श्री सांई मंदिर में नव दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ के दौरान कथा के माध्यम से भक्तजनों को बताया कि भगवान को पाने के लिए पवित्र शरीर, ज्ञान व उचनीच से मतलब नही है, बल्कि निस्वार्थ भाव से भक्ति होना आवश्यक है। जिस प्रकार से माता विदुरानी व माता सबरी ने ठाकुरजी के प्रति दिखाई, ईश्वर स्वयं उनके पास चलकर गए है।

Shrimad Bhagwat Katha उन्होंने कहा कि भागवत के चार भाग होते है, जिनमे जो भगवान के हो जाये वह भागवत है। भगवान के उपदेश का नाम भागवत है। भगवान के प्रियजनों का नाम भागवत है। जिसके अंदर भगवान विद्यमान है वह भागवत है। एवं भगवान से सम्बध जोड़ले जिसकी अंदर भक्ति जागृत हो जाये व भागवत है।

महराज जी ने कहा कि श्री वृन्दावनधाम वह धाम है जहा पर मुक्ति को भी मुक्ति मिल जाती है। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन मे वृन्दावनधाम जरूर जानी चाहिए। क्योंकि वहां जाने के बाद जीवन का उद्धार हो जाता है। इनके अलावा मन व शरीर पर काबू कर भक्तिभाव मे ध्यान लगाने।

Shrimad Bhagwat Katha सनातन धर्म व शास्त्रों के बारे में भी बताया गया। आज लोग धर्म व शास्त्रों को न मानते हुए अपने मनमर्जी करने में लगे हुए है। पति के प्रति पत्नी का धर्म कैसे होना चाहिए, क्योंकि पति को परमेश्वर की दर्जा दिया गया है। सनातनकाल में देखा जाए तो कई उदाहरण आपके सामने होंगी। भारत देश भी नारी के समपर्ण व त्याग के कहानी से गौरान्वित रहा है। श्रीमद्भागवत कथा में सृष्टि का विस्तार, कपिला खयान, सती एवं ध्रुव चरित्र की कथा बताई गई।

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