Shraadhpaksha : श्राद्धपक्ष ( पितृपक्ष )
Shraadhpaksha : पूर्वजों ने हमारा निर्माण किया। हमारे चरित्र से लेकर सर्वांगीण विकास की गाथा के रचयिता तो वे पूर्वज ही हैं। तो उनके परलोक गमन के पश्चात हमारा कोई दायित्व शेष अवश्य बचता होगा, ऐसा विचार सबके मन में आना चाहिए। यदि वर्तमान नहीं करेगा भूत के लिए, तो भविष्य भी नहीं करेगा वर्तमान के लिए। प्रत्येक प्राणी अपने पूर्वजों के विकसित रूप में मानवीय मूल्यों का संरक्षण करने के लिए समर्थ है इस दायित्व को स्वीकार करना सभी का ध्येय है यह मार्ग मानवता का सहज क्रम है।
इसलिए श्राद्धकर्म अवश्य करें।
जिनके कुल-खानदान में श्राद्धकर्म नहीं होते हैं उनके कुल-खानदान में दीर्घजीवी आत्माएं ज्यादा नहीं आती हैं । बुद्धिमान और माता-पिता का आदर करने वाली संताने नहीं होती और उनके कुल-खानदान में निरोगता का साम्राज्य नहीं रहता ।
पितृपक्ष का प्राविधान इसीलिए प्रायोजित है।
Bhatapara Market : नारियल भड़का, शांत है इलायची दाना… प्रसाद में तूफानी तेजी
Shraadhpaksha : आपसभी को अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त हो और उनके आशीर्वाद रूपी आशीष से आपके और आपके पूरे परिवार के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि हो, यही मंगलकामना हैं।