Shivmahapuran : शिवमहापुराण के दूसरे दिवस मोक्ष दायक व क्षेत्रों की वर्णन की कथा सुनाई
Shivmahapuran : भानुप्रतापपुर। परिस्थितिया कैसे भी हो लेकिन मनुष्य को कभी भी अपनी धर्म नही छोड़ना चाहिए। हमे अपने धर्म पर गर्व होने चाहिए कि हम सनातन है, भगवान राम,कृष्ण व शिव की भक्त है।
सांई मंदिर सत्संग हाल में आयोजित शिवमहापुराण के दूसरे दिवस की कथा में आज बुधवार को पंडित श्री अनिल जी महाराज ने कथा में मोक्ष दायक पूण्य एवं क्षेत्रों वर्णन की कथा विस्तार पूर्वक बताया। वही ज्योर्तिलिंग मलिकार्जुन, एवं पार्थिव शिवलिंग का रुद्राभिषेक किया गया।
महाराज जी ने शिव कथा के माध्यम से बताया कि श्रीमद्भागवत कथा पितरो को तारती है जबकि शिवमहापुराण की कथा कई पीढ़ियों को तारती है।
बिंदु नामक ब्राम्हण व उनके पत्नी चंचुला एवं गौकर्ण एवं भाई धुंधकारी मोक्ष की कथा बताई। उन्होंने कहा कि बिंदु नामक ब्राम्हण पूजा अर्चना भक्तिभाव से दूर एक वेश्या की मोह में पड़ गया और अपनी पत्नी चंचुला को भी यही कर्म करने के लिए कहा। पति व पत्नी को अपने धर्म निभाना चाहिए अन्यथा इसके विपरीत जाना घोर पाप होता है। उसे मृत्यु के बाद पिसाज योनि में जन्म लेना होता है।
बिंदु ब्राह्मण भी मृत्यु के बाद पीसज हो गया लेकिन। पत्नी चंचुला ने अंतिम समय मे शिवमहापुराण की कथा सुनकर उसे आत्मसात करने से मृतु पश्चात उन्हें कैलाश धाम माता पार्वती के सखी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पत्नी चंचुला ने अपने पति का भी मोक्ष दिलाई।
अग्नि, स्त्री व पानी से जिसकी मौत होती है उसके मोक्ष केवल शिव कथा के माध्यम से ही संभव है।जहा भागवत कथा, राम कथा एवं शिव कथा होती है वहा किसी न किसी रूप में भगवान का वास रहता है !
कथा सुनने के लिए भी तीन प्रकार के लोग होते है, स्रोता, सोता एवं सरोता की तरह होती है। लेकिन जो कथा सुनकर चिंतन, मनन एवं आत्मसात करने वाले को ही पुण्य फल मिलती है।