विलुप्त होते नाट्यकला को बचाए रखने की चुनौती
दिलीप गुप्ता
सरायपाली :- सरायपाली से महज 6-7 किलोमीटर की दूरी पर बसा है छोटा सा गांव बड़ेपंधी। जहां के ग्रामीण पिछले 72 वर्षों से अनवरत रामनवमी के अवसर पर रामलीला का मंचन कर न सिर्फ लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं बल्कि लोगों में आध्यात्मिक चेतना भी जगा रहे हैं। यहां के ग्रामीणों को बचपन से ही रामायण की कथा मुंहजुबानी याद हो जाती है। प्रतिवर्ष रामनवमी के अवसर पर बड़े पंडी में राम जन्मोत्सव का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस वर्ष भी पूर्णमासी नाट्य कला परिषद के कलाकारों द्वारा संगीत मय रामलीला का मंचन किया जा रहा है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से कला प्रेमी पहुंच रहे हैं। ग्राम बड़ेपंधी संस्कृति, कला और भक्ति का त्रिवेणी संगम बना हुआ है जहां रोज भक्त डुबकी लगा रहे हैं।
प्रसिद्ध कलाकार घनसुन्दर ने बताया कि सोशल मीडिया के इस युग में नाट्य विधा एक तरह से विलुप्त होने की कगार पर है। प्राचीन समय में नाटक न सिर्फ मनोरंजन का साधन था बल्कि लोक चेतना जागृत करने का उपयुक्त मंच भी था। बड़ेपंधी में जिस रामलीला का मंचन किया जाता है वह उड़िया साहित्यकार बालूंकेश्वर द्वारा रचित उड़िया रामायण से उद्धृत गीति नाट्य है। ग्रामीण बताते हैं कि स्व. मोहनलाल भोई,स्व पूर्णचंद्र भोई,स्व.गौरांग प्रधान, कलाकारों को तराश कर उनके व्यक्तित्व के अनुरूप संवाद एवं गीतों की रचना कर उनमें हास्य का पुट भरकर एक सुंदर नाटक का संयोजन किया गया है। आज भी इस नाटक कला को ग्रामीण पीढ़ी दर पीढ़ी संरक्षित करने का काम कर रहे हैं। मगर आज की नई पीढ़ी जिस तरह साहित्य, कला और संस्कृति से विमुख हो रही है उसको देखते हुए नाटक क
रामलीला का मंचन उड़िया भाषा में किया जाता है जो ग्रामीणों की मातृभाषा है। बच्चे रामायण के पात्रों के चरित्र को न सिर्फ आसानी से समझ पाते हैं बल्कि उनके चारित्रिक गुणों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। इस बार छात्रों की परीक्षा मार्च में ही समाप्त होने से रामलीला को लेकर भारी उत्साह है। शाम ढलते ही रंगमंच के आसपास अपनी जगह सुरक्षित करने के लिए बैठने के लिए दरी बिछा देते हैं और जैसे ही नाटक प्रारंभ होता है लोगों की हुजूम उमड़ पड़ता है।
सरपंच प्रतिनिधि प्रकाश भोई ने बताया कि बड़ेपंधी के लिए यह पर्व कला संस्कृति से जुड़ा हुआ है। रामलीला ग्रामीणों को एकता के सूत्र में पिरोने का काम करता है। 9 दिनों तक गांव में शुद्ध सात्विक भोजन बनता है तथा लोग स्वप्रेरित होकर नशा पान से दूर रहते हैं। संध्या कालीन आरती में समस्त ग्रामीण शामिल होकर 1 घंटे तक हरे राम हरे कृष्ण का महामंत्र का सामूहिक जाप करते हैं। इस आयोजन से निश्चित रूप से ग्रामीणों में एक आध्यात्मिक चेतना जागृत होती है।
नारी पात्र का अभिनय भी पुरुष करते हैं
अब तक 5 रात नाटक का मंचन हो चुका है पंचम दिवस किष्किंधा कांड, राम सुग्रीव मिलन एवं बाली वध का मंचन हुआ। नाटक में जिस पात्र का अभिनय जिसको दिया जाता है उसी के अनुरूप उसका मेकअप किया जाता है। इस नाटक की एक विशेषता यह भी है की नारी पात्र का अभिनय भी के पुरुष करते हैं। मुख्य अभिनय में राम का पात्र घनसुन्दर भोई, लक्ष्मण प्रमोद भोई, हनुमान कुलदीप बारीक, बाली बीरेंद्र प्रधान, सुग्रीव संजय प्रधान, तारा सुरेंद्र भोई, अंगद धीरज भोई,और मंत्री की भूमिका महेश भोई ने निभाई,. अन्य कलाकारों में बीरबल प्रधान,उसत प्रधान,जयदेव भोई,गणपति बारीक,विजय गिरी,साधुराम, संतोष,नाटक का एक अभिन्न अंग संगीत होता है जिसमें पारंपरिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है जिसमें ढोलक मंजीरा विशेष भूमिका होती है ढोलक वाद्य कलाकार दाशरथी भोई सूरदास होने के बावजूद भी सुमधुर ढोलक बजाकर लोगों को सम्मोहित कर देते हैं। रामलीला मंचन में नीलाम्बर गड़तिया, दुर्बादल प्रधान, मथामणी, लिंगराज, नारायण, जयदेव भोई,चक्रधर, विजय प्रधान, लक्ष्मीधर बारीक, योगेंद्र नन्दे, तेजराम सेठ, तरणी सेन प्रधान, मेकअप कलाकार आरतभंजन, मदन बारीक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
नवनिर्वाचित सरपंच श्रीमती मंजुलता भोई ने इस आयोजन के लिए अपना तन,मन,धन देने के लिए ग्रामवासियों और कलाकारों का धन्यवाद ज्ञापित किया है। आगामी दिनों सुंदरकांड, लंकाकांड, उत्तरकांड और रामराज्य की प्रस्तुति होगी। जिसमें दर्शक नए-नए कलाकारों के कला को देखने के लिए उत्सुक हैं।