ओडिशा के अंगुल में हुआ भव्य स्वागत
दिलीप गुप्ता
सरायपाली :- ओडिशा की पवित्र धरती व पावन नगरी श्री जगन्नाथ पुरी की यात्रा व पहुंचने का मार्ग सरायपाली होकर भी जाया जाता है । सैकड़ो वर्षो पूर्व से जब देश के विभिन्न भागों से श्री जगन्नाथ के दर्शन करने भक्तगण , साधु , संतो का समाज यात्रा में निकलता था तो सरायपाली की धरती भी पवित्र हो जाया करती थी । इसी तारतम्य में नगर के सुप्रसिद्ध कथावाचक व पंडित आचार्य पद्मलोचन महाराज भी ग्राम अमरकोट से श्री जगन्नाथ पुरी के लिए विगत 3 जून से अपने 10 दिवसीय पैदल यात्रा के निकल गए हैं । वे आगामी 11 जून को पुरी पहुंचकर श्री जगन्नाथ मंदिर पहुंचकर महाप्रभु का दर्शन कर अपनी पैदल यात्रा का समापन करेंगे ।
इस संबंध में क्षेत्र के प्रसिद्ध कथावाचक व पंडित आचार्य शेषचार्य जी महाराज व पंडित रामकुमार जी ने जानकारी देते हुवे बताया कि “जब संत धरती पर चलते हैं, तब प्रभु की कृपा स्वयं साथ चलती है।”
ऐसी ही एक अनुपम यात्रा इन दिनों प्रारंभ हुई है — पूज्य आचार्य श्री पद्मलोचन जी महाराज की श्री जगन्नाथ पुरी की ओर पदयात्रा करते हुवे ।
यह केवल एक बाह्य यात्रा नहीं, बल्कि एक अंतर्यात्रा है — आत्मा से प्रभु तक, व्यक्ति से विराट तक तथा संकल्प से समर्पण तक की ।
विगत 3 जून को अमरकोट स्थित श्री पंकजा मंदिर में मां भगवती जी की पूजा अर्चना कर व आशीर्वाद ग्रहण कर सैकड़ों की संख्या में उपस्थित भक्तगणों की उपस्थिति में प्रस्थान किया गया । अब तक की यात्रा के दौरान वे प्रथम रात्रि प्रवास – घाटकछार हरियाली से आच्छादित शांत घाटकछार की भूमि ने सबसे पहले महाराज श्री का स्वागत किया। वहाँ का वातावरण जैसे प्रतीक्षा कर रहा हो एक दिव्य उपस्थिति की। रात्रि में संतों के मधुर भजन और प्रभु स्मरण की ध्वनि ने पूरा वातावरण भक्तिमय कर दिया। ओडिशा के बरगढ़ नगर में प्रवेश करते ही भक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा। नगरवासियों ने भव्य पुष्पवर्षा और संकीर्तन के साथ महाराज श्री का स्वागत किया। इस अवसर पर महाराज श्री ने कहा कि “भक्ति कोई एक दिन की भावना नहीं है। यह जीवन की शैली है, जिसमें हर सांस भगवान को समर्पित होती है ।
तीसरा पड़ाव के तहत संबलपुर की भूमि पर जैसे ही चरण पड़े, वहाँ की वायु भी आनंदित हो उठी। नगर के प्रमुख संतजन, विद्वान और सैकड़ों श्रद्धालु बड़ी श्रद्धा से दर्शन करने पहुँचे।
यहाँ महाराज जी माँ समलाई के भी दर्शन व आरती कर मां का आशीर्वाद प्राप्त किया । मंदिर परिसर में
महाराज ने संबलपुर में भक्तों को यह संदेश दिया कि“पदयात्रा केवल चलना नहीं, यह अंतर्यात्रा है — जहाँ हर कदम पर प्रभु का स्मरण हो और हृदय में प्रेम का विस्तार हो।”
आगामी पड़ाव रेडख़ोल , बोएंडा व अंगुल था । अभी वर्तमान में आचार्य श्री पद्मलोचन महराज अंगुल में हैं जहां अनेक भक्तों ने उनका स्वागत किया ।रात्रि विश्राम के पूर्व वे वहां प्रवचन देंगे । आचार्य पद्मलोचन महराज ने बताया कि यात्रा के दौरान हर दिन प्रभातकालीन हरिनाम संकीर्तन,और सायंकालीन भजन-संध्या का आयोजन हो रहा है।