Sakti news-छत्तीसगढ़ के लगभग 13 लाख किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर मिला कृषि ऋण

सहकार भारती ने जताया आभार

सक्ती

छत्तीसगढ़ राज्य के लाखों किसानों के लिए यह खरीफ 2025 का सीजन उम्मीदों और भरोसे से भरा हुआ है। इस बार प्रदेश सरकार ने किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पकालीन फसल ऋण देकर यह साबित कर दिया है कि सही योजना और मजबूत सहकारिता ढांचे से गाँव-गाँव में किसान की आर्थिक रीढ़ को मजबूती दी जा सकती है।

राज्य सरकार ने चालू खरीफ सीजन में सहकारिता के माध्यम से ₹7800 करोड़ का कृषि ऋण वितरण का लक्ष्य तय किया था। इस लक्ष्य के विरुद्ध अब तक ₹5661 करोड़ का ऋण किसानों को बांटा जा चुका है। इस योजना से प्रदेश के 12.76 लाख किसानों को औसतन ₹45,000 का शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिला है।

इस राशि का लाभ किसानों को सीधे खेती-किसानी के लिए मिला है — चाहे वह बीज खरीदना हो, खाद और कीटनाशक लेना हो या मजदूरी और सिंचाई जैसे जरूरी खर्च। इससे किसानों को महंगे ब्याज दर वाले निजी कर्ज से राहत मिली है और खेती की लागत में सीधी बचत हुई है।

छत्तीसगढ़ में सहकारिता को गाँव-गाँव तक पहुँचाने का काम पैक्स समितियाँ (Primary Agricultural Credit Society) करती हैं। प्रदेश में वर्तमान में 1956 पैक्स समितियाँ हैं, जो ग्रामीण स्तर पर किसानों को ऋण, खाद, बीज, कीटनाशक और कृषि यंत्रों जैसी सुविधाएँ देती हैं।

पैक्स समितियाँ किसानों के बीच भरोसे का केंद्र बन गई हैं। किसान सीधे अपनी समिति में जाते हैं, कागजात जमा कराते हैं और समिति से ही उन्हें ऋण मंजूर होता है। इसके बाद जिला सहकारी बैंक के माध्यम से किसानों के खातों में राशि भेज दी जाती है। यह पूरी प्रक्रिया तेज, पारदर्शी और किसान हितैषी है।

घनश्याम तिवारी ने जताया पैक्स कर्मचारियों और बैंकों का आभार

सहकार भारती छत्तीसगढ़ पैक्स प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक श्री घनश्याम तिवारी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह सफलता केवल सरकारी योजना या कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें हर स्तर पर हजारों कर्मचारियों, समितियों के प्रबंधकों और जिला सहकारी बैंकों की बड़ी भूमिका है।

घनश्याम तिवारी ने कहा, “प्रदेश की 1956 पैक्स समितियों के कर्मचारियों ने गाँव-गाँव जाकर किसानों से संपर्क किया, ऋण फॉर्म भरवाए, दस्तावेज पूरे करवाए और हर किसान तक यह सुविधा पहुँचाई। यह काम आसान नहीं होता — इसके लिए पूरे प्रदेश में सहकारिता परिवार ने दिन-रात एक कर दिया।“

उन्होंने जिला सहकारी बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों का भी आभार जताया, जिन्होंने ऋण राशि को किसानों के खातों में समय पर ट्रांसफर करने में कोई कोताही नहीं बरती। इसी सहयोग से हजारों किसान खरीफ सीजन की शुरुआत में ही खेती के लिए तैयार हो सके।

किसानों के चेहरे पर मुस्कान : साहूकारों से मिली मुक्ति

छत्तीसगढ़ के किसान अब निजी साहूकारों के चंगुल से बाहर आ रहे हैं। पहले किसानों को खेती के लिए बिचौलियों और साहूकारों से ऊँचे ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता था। ब्याज दर कई बार 3% महीने से भी अधिक होती थी। इस बार किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर औसतन 45 हजार रुपये का ऋण मिला है। यह सीधे किसान की जेब में बचत के समान है।

तकनीक और पारदर्शिता : सहकारिता में नई ऊर्जा

पैक्स समितियाँ और जिला सहकारी बैंक तकनीक का बेहतर इस्तेमाल कर रहे हैं। ज्यादातर समितियों को कंप्यूटरीकृत कर दिया गया है। ऋण वितरण की जानकारी ऑनलाइन अपडेट होती है और किसानों के खातों में राशि सीधे RTGS या NEFT से ट्रांसफर होती है। इससे पारदर्शिता बढ़ी है और बिचौलियों का रोल खत्म हो गया है।

घनश्याम तिवारी कहते हैं कि सहकार भारती पैक्स प्रकोष्ठ ने समितियों के कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण देकर यह सुनिश्चित किया कि किसानों को किसी भी स्तर पर परेशानी न हो। डिजिटल रिकॉर्ड से समिति की जवाबदेही भी बढ़ी है और किसानों का भरोसा और मजबूत हुआ है।

सहकारिता से आत्मनिर्भर किसान : सरकार का स्पष्ट विजन

छत्तीसगढ़ सरकार का स्पष्ट मानना है कि सहकारिता ही गांव और किसान को आत्मनिर्भर बना सकती है। यही वजह है कि पैक्स समितियों को बहुउद्देशीय सेवा केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में भी कदम उठाए जा रहे हैं। भविष्य में एक ही पैक्स समिति से किसान ऋण के साथ-साथ खाद-बीज, कृषि यंत्र किराये पर लेना, उपज का भंडारण, विपणन और प्रसंस्करण तक कर पाएंगे।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और सहकारिता मंत्री की अगुवाई में सहकारिता को डिजिटल और मजबूत बनाने के लिए नई समितियाँ खोली जा रही हैं, पुराने भवनों का नवीनीकरण हो रहा है और कर्मचारियों को नई तकनीकों से जोड़ा जा रहा है।

पैक्स प्रकोष्ठ का आह्वान : हर पात्र किसान को मिले योजना का लाभ

सहकार भारती पैक्स प्रकोष्ठ के संयोजक घनश्याम तिवारी ने कहा कि प्रदेश के सभी 1956 पैक्स समितियों को निर्देशित किया गया है कि वे हर गाँव के पात्र किसान को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण से जोड़ें। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान जानकारी के अभाव में साहूकार के पास न जाए, इसके लिए समितियों को जागरूकता अभियान चलाना होगा।

उन्होंने कहा कि किसानों को समय पर ऋण मिलने से खेती की लागत घटेगी और उत्पादन बढ़ेगा। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उनका कहना है कि सहकारिता से समृद्धि का सपना तभी साकार होगा, जब हर किसान को समय पर और बिना किसी परेशानी के ऋण मिलेगा। कवर्धा के किसान लक्ष्मीनारायण साहू कहते हैं, “हमारे गाँव में पहले साहूकार ही विकल्प था। पैक्स से ऋण मिलने के बाद अब मैं खुद भी दूसरों को समिति से ऋण लेने के लिए प्रेरित कर रहा हूँ। यह सच में किसानों के लिए वरदान है।”

सहकारिता के मजबूत ढांचे से बदलेगी खेती की तस्वीर

छत्तीसगढ़ ने चालू खरीफ सीजन में जो रिकॉर्ड बनाया है, वह सिर्फ आँकड़ा नहीं बल्कि सहकारिता तंत्र की ताकत का प्रमाण है। लगभग 13 लाख किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर औसतन 45 हजार रुपये का ऋण मिलना बताता है कि सही नीति, ईमानदार कर्मचारी और मजबूत संस्थागत ढांचा मिलकर किस तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदल सकते हैं। घनश्याम तिवारी ने सही कहा कि सहकारिता से समृद्धि का सपना साकार होगा, बशर्ते सभी समितियाँ सक्रिय, जवाबदेह और तकनीकी रूप से सशक्त रहें। आने वाले समय में छत्तीसगढ़ का यह मॉडल देश के अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बनेगा।

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