(Sahitya Akademi) नफरत को हरा कर ही इस मुश्किल दौर से निकल पाएगा देश

(Sahitya Akademi)

(Sahitya Akademi) ‘घृणा के समय में प्रेम’ पर साहित्य अकादमी के दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत, देश के जाने-माने साहित्यकार, नामचीन और चर्चित कवियों को सुनने का मिल रहा मौका

 

(Sahitya Akademi) रायपुर। साहित्य अकादमी, छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद ‘घृणा के समय में प्रेम’ विषय पर दो दिवसीय महत्वपूर्ण आयोजन की शुरुआत शनिवार 11 फरवरी की सुबह सिविल लाइंस के न्यू सर्किट हाउस स्थित कन्वेंशन हॉल में हुई। देश भर के ख्यातिलब्ध लेखक, कवि व चिंतक इसमें शामिल हुए और मौजूदा दौर के घृणा के माहौल पर चिंता जताते हुए इसके विरुद्ध लगातार काम करने की जरूरत पर बल दिया।

आयोजन में समूचे छत्तीसगढ़ से साहित्यकारों, प्रबुद्धजनों और बड़ी संख्या में नौजवानों ने हिस्सा लिया। यहां कन्वेंशन हॉल खचाखच भरा हुआ था और बहुत से लोगों को खड़े होकर व्याख्यान सुनना पड़ा।

(Sahitya Akademi) सुबह उद्घाटन के दौरान वैचारिक सत्र में वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार विष्णु नागर ने युवाओं की सर्वाधिक उपस्थिति पर संतोष जताते हुए कहा कि-आप लोगों को नफरत को पराजित करने में अहम भूमिका निभाना है और इसके बाद ही देश अब तक के सबसे मुश्किल दौर से निकल पाएगा।

(Sahitya Akademi) वरिष्ठ साहित्यकार प्रभु नारायण वर्मा ने कहा कि आज देश भर में फैलाई जा रही घृणा दरअसल भय की एक चिलम है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज अगर हमारे देश में सबसे प्रमुख ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फार लोकल’ तो यह नफरत ही है। आज नाम बदलना ही विकास का सबसे बड़ा सूचक है। 60 साल से भी पहले कभी मुक्तिबोध ने जिसे ‘सपने में…’ और ‘अंधेरे में…’ देखा था वह यथार्थ में दिख रहा है।

(Sahitya Akademi) वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने इस दौरान कहा कि आज सिर्फ हमारे देश में नहीं नहीं बल्कि दुनिया के कई मुल्कों में ऐसा ही घृणा का माहौल है। हमें उम्मीद रखना चाहिए कि नफरत का यह दौर एक न एक दिन खत्म होगा लेकिन इसके लिए हम सभी को संगठित होकर लम्बा संघर्ष करना होगा।

(Sahitya Akademi) विचारक सियाराम शर्मा ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा गांधी की हत्या पर जश्न मनाने वाले लोगों की नफरत को हम समझ सकते हैं। आज जनता को एक भीड़ में बदल दिया गया है। भीड़ की हिंसा को वैधता मिल चुकी है, लोकतंत्र और हमारे नागरिक होने के बोध को अब खत्म किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि फांसीवाद को एक चुनाव में नही हराया जा सकता, यह संघर्ष लम्बा है। इसके लिए हम सबको एकजुट होकर कार्य करना होगा।

(Sahitya Akademi) इस वैचारिक सत्र में युवा कवि अदनान कफील दरवेश ने कहा कि आज जिस संगठित रूप से घृणा फैलाई जा रही है, हमें भी उसी संगठित रूप से प्रेम को फैलाने एकजुट रहना होगा। इसके लिए हमें लगातार काम करना होगा। उन्होंने कहा कि आज घृणा फैलाने के लिए किसी सत्ता प्रतिष्ठान पर ही सवाल नहीं है बल्कि समाज में कई संस्थाएं भी हैं जो संगठित रूप से घृणा फैला रही हैं।

इससे पहले आधार वक्तव्य देते हुए संयोजक व वरिष्ठ पत्रकार राजकुमार सोनी ने कहा कि आज बढ़ते घृणा के माहौल में प्रतिवाद बेहद जरूरी है और यह प्रतिवाद प्रेम के अलावा कुछ और नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि आपसी संवाद, सहिष्णुता, करुणा और प्रेम जैसे नैतिक मूल्यों को पुख्ता करने में साहित्यकारों व समाज के विभिन्न हिस्सों की क्या सांस्कृतिक भूमिका पर हम सभी को गंभीरता से विचार करने और उसे व्यवहारिक रूप से धरातल पर उतारने की जरूरत है।

आयोजन की शुरुआत में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष ईश्वर सिंह दोस्त ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि आज मनुष्य के विवेक को कुंद करते हुए जिस तरह से नफरत का वातावरण बन रहा है, तब आपसी प्रेम व सौहार्द की मनुष्य के विवेक को सुरक्षित रखने में कैसी भूमिका है, इस पर बात करना बेहद जरूरी है।

 

नफरत के माहौल पर बात करते हुए गला रुंध गया नागर का

(Sahitya Akademi) आयोजन में मौजूद वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार विष्णु नागर ने जब नफरत के माहौल पर बोलना शुरू किया तो उनका गला भर आया। विष्णु नागर देश भर में हक और इंसानियत की बात करने वालों के अंजाम पर बोल रहे थे और वह बेहद भावुक हो गए। किसी तरह उन्होंने खुद को संभाला और फिर वक्तव्य पूरा किया। विष्णु नागर ने इस बात पर खुशी जताई कि आयोजन में युवाओं की सर्वाधिक भागीदारी है और पूरा हॉल नौजवानों से खचाखच भरा है। उन्होंने कहा कि अब उम्मीद सिर्फ आप नौजवानों से ही है, अगर आप लोगों ने नफरत को पराजित कर दिया तो वाकई में देश अब तक के सबसे मुश्किल दौर से निकल जाएगा। उन्होंने कहा कि वह 75 की इमरजेंसी व 92 का अयोध्या वाला माहौल देख चुके हैं लेकिन आज देश बेहद मुश्किल दौर में है। उन्होंने कहा कि आज हालात ऐसे हैं कि अब घटियापन की स्थापना हो चुकी है। आज जो जितना घटिया होगा, वह उतना ही उनके काम का होगा।

कहानी व कविता पाठ में युवाओं ने ली दिलचस्पी
वैचारिक सत्र के उपरांत कहानी पाठ का आयोजन किया गया। जिसमें नामचीन कहानीकार राजेंद्र दानी, कैलाश बनवासी, आनंद बहादुर व कामेश्वर पांडेय ने अपनी कहानियों का पाठ किया। इसके बाद अगले सत्र में मौजूदा दौर के प्रमुख हस्ताक्षरों ने कविता पाठ किया।

इनमें हरीश चंद्र पांडे, मदन कश्यप, कुंअर रवीन्द्र, नंदकुमार कंसारी, विनोद वर्मा,निधीश त्यागी, अनुपम सिंह और अरबाज खान की संवेदनशील कविताओं ने भी उपस्थित दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया। वहीं ‘सब कुछ याद रखा जाएगा’ लिखने वाले युवा कवि आमिर अज़ीज़ और मॉब लिंचिंग पर ‘वास्तविक कानून’ जैसी मर्मस्पर्शी कविता लिखने वाले नवीन चौरे की कविताओं को भी युवाओं ने पूरी तन्मयता से सुना।

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