RTI activist आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा थाने में एफआईआर दर्ज कराने के बाद भी झूठे केस में फंसाने का सिलसिला जारी

RTI activist

RTI activist दंतेवाड़ा जिले में सूचना के अधिकार अधिनियम ग्राम पंचायतों से जानकारी निकालना मतलब जान जोखिम में डालना।

RTI activist दंतेवाड़ा– भारत में “हर सरकारी विभाग के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने” के लिए सूचना मांगने के लिए सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) कार्यकर्ताओं को परेशान किया जाता हैं। यहां तक ​​कि उनकी हत्या भी कर दी गई । कई लोगों को नियमित रूप से हमले का सामना करना पड़ता है।

RTI activist ग्राम पंचायत और स्थानीय प्रशासन से जानकारी मांगने वाले लोगों को भी सामाजिक बहिष्कार के साथ झूठे केस में फंसाने का प्रयास किया जाता हैं। घोटालों से संबंधित आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले कुछ कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई। कई धमकियां और हमले (हत्या सहित) मीडिया द्वारा रिपोर्ट नहीं किए जाते हैं।

RTI activist  नागरिकों पर हमलों या उत्पीड़न की 300 से अधिक घटनाओं और कम से कम 51 हत्याओं और 5 आत्महत्याओं की मीडिया रिपोर्टों को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से जोड़ा जा सकता है।

महाराष्ट्र के बाद गुजरात आरटीआई उपयोगकर्ताओं पर सबसे अधिक हमलों वाले राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है।

RTI activist  छत्तीसगढ़ राज्य के नक्सल प्रभावित इलाकों में एक दंतेवाड़ा जिला के ग्राम पंचायतों से जनकल्याणकारी कार्य एवं शासन द्वारा विभिन्न मदों से खर्च की गई राशियों का ब्यौरा सूचना के अधिकार अधिनियम से मांगेंगे तो जानकारी आपको आसानी से नही मिलेगी। पहले आपको ग्राम पंचायत कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ेंगे।

उसके बाद आपको सूचना देने में नानुकुर किया जायेगा, फिर उसके बाद आपको धमकाया जाएगा, आवेदन वापिस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा। फिर भी आप नही माने तो आपको पीटा जाएगा। आपके ऊपर जानलेवा हमला भी हो सकता हैं, इन सब के बाद भी नही माने तो झूठे केस में फंसाने की कोशिश की जाएगी।

RTI activist  ऐसा ही ताजा मामला दिनांक 07.12.2022 को जनपद पंचायत गीदम में देखने को मिला हैं। जिले के आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष यादव द्वारा ग्राम पंचायत हाऊरनार में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन किया गया था। समयावधि समाप्त हो जाने के बाद आवेदक ने प्रथम अपील लगाई थी।

जिसकी सुनवाई दिनांक 07.12.2022 को जनपद कार्यालय में 12.00 बजे रखी गई थी। आवेदक एवं जनसूचना अधिकारी/सचिव हाऊरनार को जनपद सीईओ ने फैसला सुनाते हुये सचिव को 07 दिवस के भीतर नि: शुल्क जानकारी आवेदक को देने को कहा गया।

RTI activist  इसके पश्चात सचिव एवं फरसपाल सरपंच ने आवेदक को कार्यालय के बाहर लेजाकर पूछने लगे तुम आवेदन क्यो लगाए हो। उसके बाद पीछे से कुछ लोग गालियाँ देने लगे। उसी समय नागुल सरपंच नाहरू ने आवेदक को गालियाँ देते जान से मारने की धमकी देते हुए मुक्के से मारना चालू कर दिया।

उसके बाद वहां कुछ लोगों द्वारा भी मारपीट की गई।सूचना के अधिकार अधिनियम से जानकारी मांगना आवेदक को महंगा पड़ गया।

आईटीआई करता नहीं जिसकी अफेयर गीदम थाना में कराई है

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