:हिंगोरा सिंह:
अंबिकापुर: सरगुजा के मूर्धन्य साहित्यकार स्वर्गीय राम प्यारे रसिक के की द्वितीय पुण्यतिथि पर हिन्दी साहित्य परिषद सरगुजा द्वारा सेवा निवृत्त प्राचार्य बबन पांडे के मुख्य आतिथ्य, वरिष्ठ साहित्यकार बी डी लाल, पार्षद श्रीमती प्रियंका गुप्ता के विशिष्ट आतिथ्य तथा हिंदी साहित्य परिषद जिलाध्यक्ष विनोद हर्ष की अध्यक्षता में काव्यांजलि कार्यक्रम भारतेंदु भवन अंबिकापुर में आयोजित किया गया।

इस अवसर पर सरगुजा के वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय राम प्यारे रसिक जी को जिले के साहित्यकारों द्वारा उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवा निवृत्त प्राचार्य बबन पांडे ने स्वर्गीय रसिक जी को अद्वितीय कवि निरूपित करते हुए उन्हें गीत, ग़ज़ल,
व्यंग्य हर विधा में निपुण साहित्यकार बताया। उन्होंने कहा कि सरगुजा में साहित्य को समृद्ध व लोकप्रिय बनाने में उनका योगदान अतुलनीय है। इस अवसर पर कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बी डी लाल ने उनके साथ बिताए समय को याद करते हुए उन्हें साहसी रचनाकार की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि उनके समाचार पत्र सरगुजा संदेश में उनके संपादकीय स्तंभ “नगर कल्लोल” में छपने वाले व्यंग्य को कौन नहीं जानता, अपने व्यंग्य बाणों में वो बड़े से बड़े राजनीतिज्ञों को भी नहीं छोड़ते थे। इस अवसर पर हिंदी साहित्य परिषद के जिलाध्यक्ष विनोद हर्ष ने उन्हें अपनी पंक्तियों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि “किन शब्दों में लिखूं आपकी शैली और प्रकार को, आज भी मांज रही है सबके कलम की धार को, नहीं हैं इस धरा पे रसिक चाचा तो क्या हुआ, गर्व रहेगा सदा आप पर सरगुजा के कलमकार को”।

कार्यक्रम में परिचयात्मक उद्बोधन रखते हुए कवियित्री संध्या सिंह ने उनकी प्रसिद्ध ग़ज़ल की पंक्तियाँ उद्धृत कीं “जिनकी नज़र में कुछ भी दिखता नहीं रसिक है, उन रहबरों के हाथों में आज मशालें हैं”। इस अवसर पर स्वर्गीय रसिक जी के सुपुत्र कवि प्रकाश कश्यप ने उनकी रचना का पाठ किया “यही याचना तुमसे प्रभु है मेरा बारंबार, सत्य राह पर चलूं निरंतर जब छूटे संसार”।

इस अवसर पर गायिका श्रीमती सीमा खानवलकर व सारिका मिश्रा ने स्वर्गीय रसिक जी के गीतों का गायन किया। इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेवी ब्रम्हा शंकर सिंह ने भी उनके साथ बिताए पलों को याद कर अपने संस्मरण सुनाए। इस अवसर पर आयोजित काव्यांजलि कार्यक्रम में कवि देवेन्द्र नाथ दुबे, एसपी जायसवाल, शायरे शहर यादव विकास, राजेश पांडे अब्र, डॉ योगेन्द्र गहरवार, विनोद तिवारी, विनोद हर्ष, कवि संतोष सरल, नीलम सोनी, रंजीत सारथी, कृष्ण कांत पाठक, मुकुंद लाल साहू, गीता द्विवेदी, अंजू पांडे, शिरीन खान, रामलाल विश्वकर्मा, संध्या सिंह, जयंत खानवलकर, अजय श्रीवास्तव, जय गुप्ता, विजेंद्र अहीर, चंद्र भूषण मिश्रा, विशाल शर्मा तथा आनंद यादव सहित उपस्थित कवियों ने अपनी शानदार रचनाओं का पाठ कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। कार्यक्रम का संचालन हिंदी साहित्य परिषद के महासचिव संतोष दास सरल ने तथा आभार प्रदर्शन कवि प्रकाश कश्यप ने किया।

इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेवी, पत्रकार हरि किशन शर्मा, वेद प्रकाश अग्रवाल, वंदना दत्ता, हरिशंकर सिंह, जयप्रकाश चौबे, अशोक सोनकर, बी.एन.प्रसाद, डॉ.सुदामा मिश्र, राजेश मिश्रा, राजधानी मिश्र, चंदा कश्यप, राहुल पांडेय, दिनेश केहरी, सुनिता कश्यप, प्रशांत कश्यप, राजेश त्रिपाठी, अनिल त्रिपाठी, जय शुक्ला, दीपक ठाकुर, प्रतीक कश्यप, मंजू कश्यप, मुकेश राजवाड़े, ममता कश्यप, संध्या कश्यप, जागृति धुर्वे,कमल पटेल,वेद,वंश सहित नगर के साहित्य प्रेमी व गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.