MP News : पढ़ना सबसे महत्वपूर्ण, अध्ययन के लिए आयु की सीमा जरूरी नहीं: यादव

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MP News :  पढ़ना सबसे महत्वपूर्ण, अध्ययन के लिए आयु की सीमा जरूरी नहीं: यादव

MP News :  भोपाल !   मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि पढ़ने के लिए आयु की सीमा नहीं होती। पढ़ना सबसे महत्वपूर्ण है। जिंदगी के इम्तहान में यह आवश्यक है कि जो भी कार्य या दायित्व मिले उसे पूरा करें। अच्छे कार्य का अनुसरण दुनिया भी करेगी।

डॉ यादव आज यहां एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी संभागों की प्रतिभाशाली बेटियों का सम्मान किया। डॉ यादव ने अपने पीएचडी गुरू गोपाल शर्मा और केमिस्ट्री शिक्षक रमाकांत नागर का सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूजन ने जीवन में दिशा दिखाई। गुरू के प्रति विद्यार्थी को सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए। गुरू पूर्णिमा के तीन दिन पूर्व आज अपने गुरूओं को सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जीवन में पांच गुरू होते हैं। माता, पिता, शिक्षक, आध्यात्मिक गुरू के अलावा दर्पण अर्थात आइना भी हमारे गुरू की तरह होता है। दर्पण हमें वास्तविकता बताता रहता है। हमारे मन में उमड़-घुमड़ रहे सवालों के उत्तर भी देता है। दर्पण में हम अपना चेहरा या सौन्दर्य देख सकते हैं लेकिन अधिक महत्वपूर्ण आंतरिक सौन्दर्य होता है।

MP News : कार्यक्रम में पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ,महिला एवं बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री नरेंद्र पटेल उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश में अनेक विद्यार्थी अध्ययन के साथ किसी कार्य या रोजगार के साथ जुड़े होते हैं। पढ़ने की ललक होतो जीवन में कोई बाधा सामने नहीं आती। डॉ यादव ने स्वयं के अध्ययन काल का उल्लेख करते हुए कहा कि स्नातक पाठ्यक्रम के दौरान होटल संचालन और स्थानीय निकाय में दायित्व मिलने के बाद भी स्नात्ताकोत्तर पाठ्यक्रम पूरा करने का कार्य उन्होंने किया है। यहीं नहीं पर्यटन निगम में अध्यक्ष होते हुए साथ-साथ पीएचडी करने का कार्य भी किया।

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MP News : उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न छात्राओं के प्रश्नों के उत्तर में बताया कि वे किसी कक्षा में क्लास मॉनीटर नहीं बने लेकिन वर्ष 1982 में साइंस कॉलेज में छात्र संघ का स्वयं सचिव बनने का अवसर अवश्य मिला। इसके पश्चात आगे की उच्च शिक्षा में भी छात्र संघ के विभिन्न पदों पर रहकर दायित्व निभाया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरह विद्यार्थियों में जीवटता होना चाहिए। बड़े स्वप्न देखने की भी प्रवृत्ति होना चाहिए। स्वप्न तभी पूरे होंगे।