रंगमंच के प्रसिद्ध अभिनेता और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) के गोल्ड मेडलिस्ट आलोक चटर्जी का असामयिक निधन हो गया। उनके निधन से पूरे रंगजगत में शोक की लहर है। आलोक चटर्जी ने दमोह और जबलपुर से रंगमंच की यात्रा की शुरुआत की थी और अपने जीवन को पूरी तरह से रंगमंच को समर्पित कर दिया।
आलोक चटर्जी भारत भवन, भोपाल के प्रमुख अभिनेता थे और उन्होंने सिनेमा के ग्लैमर से दूर रहकर रंगमंच को ही अपनी पहचान बनाया। वे महाकाल के अनन्य भक्त थे और रंगमंच को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने में अग्रणी रहे। 2017 में रायपुर के रंगमंदिर में ‘रंग जयंती’ के अवसर पर उनके प्रभावशाली अभिनय ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
आलोक चटर्जी न केवल एक उम्दा अभिनेता थे बल्कि वे एक निर्देशक और रंग गुरू भी थे। उनके निधन को रंग बिरादरी ने एक अपूरणीय क्षति माना है। उन्होंने ‘आलोकनामा’ के माध्यम से नाटकों की बारीकियों को कलाकारों तक पहुंचाया और अनेक शिष्यों को तैयार किया।
कल रात बंसल अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी अंतिम यात्रा आज दोपहर 1:30 बजे उनके निवास फाइन कैंपस, कोलार रोड से भदभदा विश्राम घाट के लिए रवाना होगी।
रंगमंच के इस नटसम्राट को विनम्र श्रद्धांजलि।
ॐ शांति।