Rakshabandhan festival : रक्षाबंधन पर्व
Rakshabandhan festival : रक्षाबंधन के बारे में अनेक कथाएँ हैं। एक कथा के अनुसार एक कल्पांत में वेदों का ज्ञान लुप्त हो गया था। मधु और कैटभ नाम के राक्षसों ने ब्रह्मा जी से वेदों को छीन लिया और रसातल में छिप गए। ब्रह्मा जी ने वेदोद्धार के लिए भगवान विष्णु की स्तुति की। स्तुति सुन कर भगवान विष्णु ने हयग्रीव के रूप में अवतार लिया। हयग्रीव अवतार में उनकी देह मनुष्य की थी, लेकिन सिर घोड़े का था। भगवान हयग्रीव ने फिर से वेदों का ज्ञान ब्रह्माजी को दिया। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी। भगवान हयग्रीव बुद्धि के देवता है। शुक्ल यजुर्वेदीय ब्राह्मण उस दिन को उपाकर्म मनाते हैं, जिसमें रक्षासूत्र भी बांधा जाता है।
हयग्रीव नाम का एक राक्षस भी था, उसका वध भगवान विष्णु ने हयग्रीवावतार में किया।
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देवासुर संग्राम में देवताओं की असुरों द्वारा सदा पराजय ही पराजय होती थी। एक बार इन्द्राणी ने इन्द्र के हाथ पर विजय-सूत्र बांधा और विजय का संकल्प कराकर रणभूमि में भेजा। उस दिन युद्ध में इंद्र विजयी रहे|
राजा बली का सारा साम्राज्य भगवान विष्णु ने वामन अवतार के रूप में दान में प्राप्त कर लिया था और सिर्फ पाताल लोक ही उसको वापस दिया। अपनी भक्ति से राजा बलि ने विष्णु को वश में कर के उन्हें अपने पाताल लोक के महल में ही रहने को बाध्य कर दिया। लक्ष्मी जी ने बड़ी चतुरता से राजा बली को रक्षासूत्र बांधकर एक वचन लिया और विष्णु जी को वहाँ से छुड़ा लाईं। तब से रक्षासूत्र बांधते समय —
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चलः॥
मन्त्र का पाठ करते हैं।
महाभारत में शिशुपाल वध के समय भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली में चोट लग गयी थी और रक्त बहने लगा। तब द्रोपदी वहीं खड़ी थी, उसने अपनी साड़ी का एक पल्लू फाड़कर भगवान श्रीकृष्ण की अंगुली में एक पट्टी बाँध दी। चीर-हरण के समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की लाज की रक्षा की।
महाभारत के युद्ध में यह रक्षासूत्र माता कुंती ने अपने पोते अभिमन्यु को बाँधा था। जब तक यह रक्षासूत्र अभिमन्यु के हाथ में बंधा था तब तक उसकी रक्षा हुई। रक्षासूत्र टूटने पर ही अभिमन्यु की मृत्यु हुई।
मध्यकाल में विदेशी आक्रान्ताओं द्वारा हिन्दू नारियों पर अत्यधिक अमानवीय क्रूरतम अत्याचार होने लगे थे। तब से महिलाऐं अपने भाइयों को राखी बाँधकर अपनी रक्षा का वचन लेने लगीं, तब से रक्षासूत्र बांधकर रक्षाबंधन मनाने की यह परम्परा चल पड़ी।
भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में पेशवा नाना साहब और और रानी लक्ष्मीबाई के मध्य राखी का ही बंधन था। रानी लक्ष्मीबाई ने पेशवा को रक्षासूत्र भिजवा कर यह वचन लिया था कि वे ब्रह्मवर्त को अंग्रेजों से स्वतंत्र करायेंगे।
बंग विभाजन के विरोध में रविन्द्रनाथ टैगोर की प्रेरणा से बंगाल के अधिकाँश लोगों ने एक-दूसरे को रक्षासूत्र बांधकर एकजूट रहने का सन्देश दिया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक इस दिन परम पवित्र भगवा ध्वज को राखी बांधते हैं, और हिन्दू राष्ट्र की रक्षा का संकल्प लेते हैं।
श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान शिव धर्मरूपी बैल पर बैठकर अपनी सृष्टि में भ्रमण करने आते हैं। हमारे घर पर भी उनकी कृपादृष्टि पड़े, और वे कहीं नाराज न हो जाएँ, इस उद्देश्य से राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों में महिलाऐं अपने घर के दरवाजों पर रक्षाबंधन के पर्व से एक दिन पहिले “सूण” मांडती हैं।
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Rakshabandhan festival : इस पावन पर्व पर भगवान से मेरी प्रार्थना है कि धर्म की रक्षा, पुनःप्रतिष्ठा और वैश्वीकरण हो, भारत अपने द्वीगुणित परम वैभव को प्राप्त हो, अखंड हो, और असत्य व अन्धकार की शक्तियाँ पराभूत हों। सब तरह के बुरे विचारों और बुरे संकल्पों से हमारी स्वयं की रक्षा भी हो।