Rajasthan Health Latest News अस्थमा के प्रति जागरुकता कार्यक्रम : करीब एक हजार मरीजों ने अस्थमा के साथ जीने की सिखी कला

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Rajasthan Health Latest News करीब एक हजार मरीजों ने अस्थमा के साथ जीने की सिखी कला

 

Rajasthan Health Latest News जयपुर !   राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को अस्थमा के प्रति जागरुकता कार्यक्रम में लगभग एक हजार अस्थमा मरीजों ने अस्थमा के साथ जीने की कला सिखी और एक सुर में बढ़ते प्रदूषण स्तर को कम करने की भगवान से प्रार्थना की।


अस्थमा के इन मरीजों ने बिरला सभागार में आयोजित इस अनोखे कार्यक्रम “आई लव क्लीन एयर” में भाग लिया और इस दौरान वरिष्ठ श्वास रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र सिंह, डॉ. शितू सिंह और डॉ. निष्ठा सिंह ने इन्हें अस्थमा के साथ जीने की कला सिखाई।

कार्यक्रम में प्रार्थना की गई कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने अधिकतम प्रदूषण स्तर 10यूजी निश्चित कर रखी है लेकिन भारत में यह स्तर नौ गुना ज्यादा यानी 90यूजी तक है। अब इसे भगवान ही ठीक कर सकते हैं। इसी तरह सभी मरीजों ने जनता, सरकार और वैज्ञानिकों से भी अस्थमा की रोकथाम में उनके द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के लिए प्रार्थना एवं अपील की।


Rajasthan Health Latest News  कार्यक्रम के आयोजक राजस्थान अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि हम रोज एक किलो भोजन, तीन लीटर पानी और 13 किलो हवा लेते हैं। भोजन ने एक छोटा सा कंकर आने, थोड़ा भी गंदा पानी पीने में आ जाए तो परेशान हो जाते हैं लेकिन चौबीस घंटे दूषित हवा लेते हैं, लेकिन इसकी कोई चिंता नहीं करते जो बहुत हानिकारक है। इसके लिए हमने अस्थमा मरीजों के साथ मिलकर जनता, सरकार, वैज्ञानिकों और भगवान से अस्थमा को बढ़ाने वाले कारकों को खत्म करने की प्रार्थना की। इस दौरान सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रविंद्र सिंह राव ने ह्रदय से जुड़ी रोचक जानकारियां साझा की।


Rajasthan Health Latest News  डॉ. शितू सिंह ने कहा कि दूषित हवा से अस्थमा होने पर दुनिया में सबसे ज्यादा मरीजों की मौत भारत में होती है। जागरूकता की कमी के कारण, देश में अस्थमा के चार में से सिर्फ एक ही मरीज को अपने अस्थमा होने की जानकारी है। विश्व में अस्थमा से होने वाली मौतों में से 43 प्रतिशत मौत सिर्फ भारत में होती है।

 

उन्होंने कहा कि लोग अभी भी अस्थमा की जांच कराने से कतराते हैं और इसके शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर इसे छिपाते हैं जबकि इसकी जांच कराकर इस रोग के होने पर इसके प्रति बरती जाने वाली सावधानियों पर ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इसलिए इन मरीजों के साथ इस अनोखे कार्यक्रम का आयोजन किया गया ताकि लोग अस्थमा के प्रति जागरुक हो सके।


उन्होंने बताया कि अस्थमा की प्रवृत्ति कभी हट नहीं सकती, ऐसे में इसके प्रति जागरुक रहने एवं अस्थमा के साथ जीने की कला सिखने की जरुरत है। डॉ. निष्ठा सिंह ने बताया कि इस वर्कशॉप में मरीजों को अस्थमा के साथ सावधानियां और जीवनशैली अपनाने के बारे में जानकारी दी गई।

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मरीजों को खुद से शपथ दिलाई गई की कि वे पेड़ लगाएंगे, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदेंगे और धूम्रपान बंद कर देंगे। मरीजों ने जनता से एलपीजी का उपयोग करने और धूम्रपान बंद करने, सरकार से एलपीजी और ग्रीन एनर्जी के लिए सब्सिडी प्रदान करने, वैज्ञानिकों से फसल जलाने की जगह तकनीक विकसित करने और भगवान से पीएम2.5 के स्तर को कम करने की प्रार्थना की।

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