रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को एक अच्छी खबर दी है। चेन्नई स्थित आईसीएफ में पहले हाइड्रोजन चालित कोच (ड्राइविंग पावर कार) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। रेल मंत्री ने बताया कि भारत 1200 एचपी हाइड्रोजन ट्रेन विकसित कर रहा है। इससे भारत हाइड्रोजन चालित ट्रेन तकनीक में अग्रणी देशों में शामिल हो जाएगा। इस पहल को भारत के रेलवे सेक्टर को ग्रीन एनर्जी की तरफ ले जाने का बड़ा कदम माना जा रहा है।
पांच महीने पहले रेल मंत्री ने दी थी ये जानकारी
पांच महीने पहले रेल मंत्री ने सदन में कहा था कि भारतीय रेल ने देश की पहली हाइड्रोजन ट्रेन विकसित करने के लिए एक अत्याधुनिक परियोजना पर काम शुरू किया है, जो दुनिया की सबसे लंबी और अधिकतम शक्ति वाली हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक होगी। ट्रेन के साथ, हाइड्रोजन को फिर से भरने के लिए एकीकृत हाइड्रोजन उत्पादन-भंडारण-वितरण सुविधा की कल्पना की गई है। भारतीय रेल ने प्रायोगिक आधार पर पहली हाइड्रोजन ट्रेन के विकास के लिए डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डेमू) रेक पर हाइड्रोजन फ्यूल सेल के रेट्रोफिटमेंट (पुनःसंयोजन) द्वारा एक अत्याधुनिक परियोजना शुरू की है।
हाइड्रोजन ईंधन सेल का इस्तेमाल
आपको बता दें, हाइड्रोजन चालित ट्रेनों में हाइड्रोजन ईंधन सेल का इस्तेमाल कर बिजली उत्पन्न होती हैं। यह बिजली ट्रेन के मोटरों को चलाने के लिए उपयोग की जाती है, जिससे यह डीज़ल या कोयले के मुकाबले बहुत कम प्रदूषण फैलाती है। हाइड्रोजन ईंधन सेल ट्रेनों से एकमात्र उत्सर्जन जल वाष्प का है, जो उन्हें कार्बन-मुक्त परिवहन विकल्प बनाता है।
हाइड्रोजन ट्रेन के फायदे
हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें पर्यावरण के लिए बेहद लाभकारी साबित होंगी। यह ट्रेन सिर्फ जल वाष्प का उत्सर्जन करती हैं। हाइड्रोजन ट्रेनें कोई भी प्रदूषक गैसें नहीं निकालतीं, केवल पानी की वाष्प छोड़ती हैं, जो पर्यावरण को सुरक्षित रखती है। इसके अलावा, हाइड्रोजन प्राकृतिक रूप से उपलब्ध है और इसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर और पवन ऊर्जा से भी बनाया जा सकता है, जिससे यह एक स्थायी ईंधन बन जाता है।
इन ट्रेनों को ईंधन भरने में समय बहुत कम लगता है, जिससे संचालन में आसानी होती है। इनकी इंजन तकनीक अधिक कुशल होती है, जिससे ईंधन की खपत कम होती है और प्रदर्शन बेहतर होता है। ये ट्रेनें लगभग शांत चलती हैं और किसी प्रकार की ध्वनि या दिखने वाले प्रदूषण पैदा नहीं करतीं।