करीला धाम का राई नृत्य फिर विवादों में, परंपरा बनाम सोशल मीडिया की बहस तेज

अशोकनगर। मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले में स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थल करीला धाम एक बार फिर सुर्खियों में है। माता सीता और लव-कुश की जन्मस्थली माने जाने वाले इस प्राचीन मंदिर में रंगपंचमी के अवसर पर लगने वाले विशाल मेले के दौरान होने वाले पारंपरिक राई नृत्य को लेकर सोशल मीडिया पर विवाद छिड़ गया है। कुछ वायरल वीडियो में इस नृत्य को अशोभनीय बताते हुए आस्था और मर्यादा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

करीला धाम की विशेष पहचान यह है कि यहां भगवान राम के बिना माता सीता की पूजा होती है। मंदिर परिसर में माता जानकी के साथ लव-कुश और महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमाएं स्थापित हैं। लोकमान्यता के अनुसार, वनवास काल में यहीं माता सीता ने लव-कुश को जन्म दिया था। रंगपंचमी पर यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं और भव्य मेले का आयोजन होता है।

इस मेले की प्रमुख परंपरा राई नृत्य है। सदियों से चली आ रही मान्यता के अनुसार, जब किसी श्रद्धालु की मन्नत—विशेषकर संतान प्राप्ति—पूरी होती है, तो वह माता के दरबार में कृतज्ञता स्वरूप राई नृत्य का आयोजन कराता है। विश्वास है कि लव-कुश के जन्मोत्सव पर स्वर्ग से अप्सराओं ने नृत्य किया था, उसी परंपरा से बुंदेलखंड का यह लोकनृत्य भक्ति और उत्सव का प्रतीक बन गया।

रंगपंचमी के अवसर पर देशभर से कलाकार यहां पहुंचते हैं और ढोल-मंजीरे की थाप पर राई नृत्य प्रस्तुत करते हैं। हालांकि, हाल के दिनों में सोशल मीडिया पर प्रसारित कुछ वीडियो ने विवाद को जन्म दिया है। आलोचकों का कहना है कि राई नृत्य के नाम पर किए जा रहे कुछ प्रदर्शन धार्मिक मर्यादा के अनुरूप नहीं हैं, जबकि परंपरा से जुड़े लोग इसे आस्था और लोकसंस्कृति का अभिन्न हिस्सा बताते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *