Rabi season …..तो तैयार करना होगा ‘खरीफनामा’, रबी में भी मिलेगा भरपूर उत्पादन

Rabi season

राजकुमार मल

 

Rabi season रबी सत्र में  बेहतर उत्पादन परिणाम किए जा सकेंगे हासिल 

Rabi season भाटापारा- चाहते हैं स्वस्थ और पोषक तत्व से भरपूर मिट्टी, तो तैयार करना होगा ‘ खरीफनामा’। यह ऐसा प्रबंधन होगा, जिसकी मदद से ना केवल उत्पादन बढ़ाया जा सकेगा बल्कि रबी सत्र में ली जाने वाली फसल में भी बेहतर उत्पादन परिणाम हासिल किए जा सकेंगे।

हरित क्रांति। यह दौर था अनाज संकट से बाहर निकलने की कोशिश का। बेतहाशा रासायनिक उर्वरक का उपयोग किया गया। आज तक जारी है ऐसा किया जाना। अनुपातहीन छिड़काव से मिट्टी की सेहत तो खराब हो चुकी है, साथ ही खत्म होते पोषक तत्व, उर्वराशक्ति पर प्रतिकूल असर डालने लगे हैं।

यह है खरीफनामा

 

उर्वरा क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी प्रबंधन का हिसाब-किताब है खरीफनामा। यह जैविक, कार्बनिक और रासायनिक गुण के लिए उपलब्ध संसाधन का अनुपातिक छिड़काव की जानकारी देता है। इससे मिट्टी के पोषक तत्व बने रहते हैं और उत्पादन भी बेहतर मिलता है।

यह है जैविक खाद

 

 

फसल अवशेष, कंपोस्ट खाद। गोबर खाद, केंचुआ खाद, लोबिया, मूंग, ग्वार और एजोला को जैविक खाद माना गया है। नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए नील हरित शैवाल सही उपाय है। इसके अलावा राईजोबियम, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम और एसीटोबैक्टर भी मदद करते हैं पोषक तत्व बढ़ाने में। दिलचस्प यह कि इनसे लोह तत्व और फॉस्फोरस की जरुरत भी पूरी हो जाती हैं।

अनुपात में रासायनिक खाद

 

Rabi season

 

रासायनिक खाद आज भी पोषण के प्रमुख स्रोत है। बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए उत्पादन का स्तर बनाए रखने में यह मदद तो करते हैं लेकिन अनुपातहीन छिड़काव से प्रमुख पोषक तत्व तेजी से खत्म हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में रबी में दोबारा उपयोग करना होता है जबकि जैविक खाद के निरंतर उपयोग से पोषक तत्व को बढ़ाने के बाद दीर्घ काल तक मिट्टी की सेहत को भी बनाए रखने में मदद मिलती है।

मृदा की संरचना एवं स्वास्थ्य के लिए आवश्यक

 

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फसलों में एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से फसल उत्पादन एवं मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मदद मिलती है। संतुलित पोषक तत्व का खेत में समन्वित उपयोग करने से मृदा की संरचना एवं स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन को अपनाने से रसायनिक उर्वरकों पर निर्भरता में कमी होने से मनुष्य एवं पर्यावरण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।

डॉ.युष्मा साव, असिस्टेंट प्रोफेसर (सॉइल्‌ साइंस), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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