- शिव महापुराण कथा में तृतीय दिवस उमड़ा भक्तों का जनसैलाब
- रचा है सृष्टि जिस प्रभु ने वही ये सृष्टि चला रहे है– के भजन पर जमकर झूम उठे श्रद्धालु
(दिपेश रोहिला)
पत्थलगांव। जशपुर जिले के कुनकुरी क्षेत्र अंतर्गत मयाली में विश्व के सबसे बड़े प्राकृतिक शिवलिंग मधेश्वर पहाड़ के पास विश्व विख्यात कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा द्वारा 21 मार्च के शिव महापुराण की कथा की जा रही है, जो कि 27 मार्च तक चलेगी। जिसमें छत्तीसगढ़ सहित अन्य प्रदेशों से आए लाखों शिव भक्तों को संगीतमय वातावरण में कथा का रसपान कराया जा रहा। इस अवसर पर शिव भक्त हर हर महादेव के जयकारे और भजनों में जमकर थिरकते दिखे। रविवार को कथा के तृतीय दिवस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय समेत अन्य यजमानो ने भी कथा का श्रवण किया।
इस दौरान कथा की शुरूआत करते हुए पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा कि इस संसार में जन्म तो पशु पक्षी भी लेते है मगर इस मनुष्य जीवन की सत्यता यही है कि भगवान शंकर की जो कोई भक्ति करता है वही जीवन में सुख की अनुभूति प्राप्त करता है। मृत्युलोक में आने के बाद भी यदि ईश्वर की भक्ति से दूर हो गए तो यह शरीर किसी काम का नहीं, भारत भूमि के संत कहते है अपने चित्त और अंतःमन को संतुष्ट रखना बहुत ही कठिन है, उन्होंने भिक्षुक और राजा की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि एक भिक्षुक ने राजा के दरबार में जाकर कहा कि इस छोटे से पात्र पर मुझे ना वैभव , संपदा कुछ अधिक नहीं चाहिए केवल इस छोटे से पात्र को भरकर दे दीजिए। उस राजा ने कहा आप किसके पास भिक्षुक मांगने खड़े है जरा विचार कीजिए, यदि कुछ मांगना ही है तो अधिकांश वस्तु या अन्य कुछ की मांग कीजिए।
जिसके बाद राजा उस पात्र को लेकर अपने भंडारण गृह जाता है और सारे आभूषण,अन्न,सामान उस पात्र में समा जाते है, मगर वह पात्र नहीं भर पाता राजा ने सोचा यह कोई साधारण पात्र नहीं है, यह तो मनुष्य के खोपड़ी की तरह है जो जितना भी भरा हो मगर खाली रहता ही है। क्योंकि दुनिया की जितनी भी दौलत से आपके पास रहे आपका मन तब तक तृप्त नहीं हो सकता जब तक शिव भक्ति में लीन नहीं होंगे। इस कथा के दौरान तेज बारिश और तूफान के शुरू होने से पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने एक वाक्य कहा कि जिस तरह अधिक तेज बारिश होने पर यदि छाता लेकर इंसान खड़े भी हो जाए तो पानी गिरना बंद नहीं होता मगर छाता बल जरूर देता है जिससे शरीर भीग ना पाता। ठीक इसी प्रकार शिव महापुराण की कथा भी वैसी है जो इंसान को बल प्रदान करती है। क्योंकि पृथ्वी पर यदि जन्म लिया है तो सुख और दुख इस मानव के शरीर में चलता रहेगा।
उन्होंने कहा कि स्वयं श्री गुरुनानक देव से किसी ने पूछा कि जन्म के वक्त बच्चा क्यों रोने लगता है तब उन्होंने जवाब दिया कि परमात्मा के पास से जब कोई जीव मृत्युलोक में आता है तो वह परमात्मा के बिछड़ने के वियोग में रोने लगता है, भगवान श्रीराम,कृष्ण और महापुरुषों में संत तुकाराम,मीराबाई जितने ने भी जन्म लिया उन्होंने भी सुख दुख का सामना किया है। भगवान शिव को चढ़ाया गया एक लोटा जल और आपके द्वारा की गई भक्ति आपके दुखों को दूर करती है। वहीं विश्व विख्यात कथावाचक पंडित श्री प्रदीप मिश्रा ने कहा “अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का, काल भी उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का” जिसका अर्थ जो शिव की उपासना में डूबा हो और महाकाल की कृपा जिस पर बनी हो उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता मगर जो मनुष्य जीवन में गलत कर्मों में रहते है उनकी अकाल मृत्यु निश्चित है। उन्होंने आगे कथा का रसपान कराते हुए कहा कि इस संसार सागर में सहजता से रहना सरल बात नहीं है। लोगों ने यह कहावत बना दी है कि दया दुख का कारण है जबकि दया सुख का कारण है। जिस तरह भगवान शिव ने अमृत से भरा कलश देवताओं को देकर और विष से भरा कलश स्वयं ग्रहण करके मां पार्वती से कहा कि देवता अमृत पीकर भी अमर नहीं होंगे, और मैं विष पीकर भी अमर हो जाऊंगा, क्योंकि दया ही सुख का कारण है।
शिव कथा कहती है जिसे ताना और अपशब्द सहन किया हो वही दुनिया के दिल में राज करता है। उन्होंने फेसबुक से लेकर अन्य सोशल मीडिया के प्लेटफार्म की ओर इंगित करते हुए कहा कि वर्तमान में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोग 24 घंटे गाली देते दिखेंगे कि उन्होंने ऐसा किया वैसा किया। मगर सत्य यह है कि सम्पूर्ण भारत भूमि यदि आज भगवामय नजर आ रही है तो उन्हीं की देन है। जिससे सनातन धर्म और अधिक मजबूत हो रहा। उन्होंने सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे संतु निरामया, का श्लोक कहते हुए कहा सनातन धर्म के जितने मंदिर,शिवालय,तीर्थ स्थल,पाठशाला,गौशाला जहां कहीं भी हैं वहां बच्चे से लेकर बुजुर्गों को एक दूसरे से जोड़ना और संजो कर रखना सिखाया जाता है।
उन्होंने कहा सनातन धर्म से जो भिन्न हैं उनके विचार सनातन धर्म को एक ओर किनारे कर देना है लेकिन सनातन धर्म वैसा नहीं है। क्योंकि सृष्टि में नहीं दृष्टि में प्रेम होना चाहिए। इस दौरान उन्होंने उपस्थित कथा श्रोतागणों और जशपुरवासियों से कहा कि अवंतिकापुरी में यदि जाएं तो महादेव के 84 रूपों का दर्शन जरूर करें। जिसके बाद भगवान शिव का जाप और भजन करते हुए शिव भक्त झूम उठे। तृतीय दिवस की आरती के दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी श्रीमती कौशल्या साय समेत अन्य समाजसेवी एवं जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
पहाड़ी कोरवाओं ने सुनी शिव महापुराण कथा–
वहीं बोरोकोना, तहसील मनोरा से आए पहाड़ी कोरवाओं ने भी भक्ति रस की बह रही धारा में दिव्य स्नान किया। दिनेश राम, राजनाथ राम, रंजीत राम ने बताया कि आज भगवान शिव की कथा सुन कर उनके मन को आत्मिक खुशी मिली। उन्होंने कहा कि पंडित श्री प्रदीप मिश्रा के प्रवचनों में जिस प्रकार से शिव भक्ति के साथ ही जीवन जीने का संदेश दे रहे है। उसका पालन करने से जीवन सफल हो जाएगा।