रायपुर। यात्रियों की सुविधा के लिए रायपुर रेलवे स्टेशन पर हाल ही में बैटरी कार सेवा की शुरुआत की गई है। इस सेवा के तहत प्रति व्यक्ति ₹50 और सामान के लिए ₹30 की दर तय की गई है। इसका उद्देश्य यात्रियों को एक प्लेटफॉर्म से दूसरे प्लेटफॉर्म तक आसानी से पहुँचाने और भारी सामान ढोने में सहायता प्रदान करना है। हालांकि यह सुविधा जहां यात्रियों के लिए राहत बनी है, वहीं रेलवे स्टेशन में कार्यरत कुलियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।

बैटरी कार सेवा के खिलाफ कुलियों ने मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि इस नई व्यवस्था से उनके रोजगार पर सीधा असर पड़ रहा है। पहले यात्री भारी सामान उठाने या प्लेटफॉर्म बदलने के लिए कुलियों की मदद लेते थे, लेकिन अब बैटरी कारों के चलन से उनकी आवश्यकता घट गई है।

सोमवार को छत्तीसगढ़ के विभिन्न रेलवे स्टेशनों – रायगढ़, बिलासपुर, दुर्ग, भाटापारा और रायपुर से आए सैकड़ों कुलियों ने अपने परिवारजनों के साथ रायपुर रेलवे स्टेशन परिसर में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। कुलियों ने न केवल प्रदर्शन किया बल्कि बैटरी कारों की आवाजाही को भी रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उन्होंने कई बार अपनी मांगों को लेकर डीआरएम ऑफिस में गुहार लगाई, लेकिन अब तक रेलवे प्रशासन की ओर से कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। कुलियों की मुख्य मांग है कि या तो रेलवे बैटरी कार सेवा को बंद करे या फिर उन्हें रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में समायोजित किया जाए, ताकि उनका जीवन यापन प्रभावित न हो।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्टेशनों पर काम करने वाले कुली इस मुद्दे को लेकर एकजुट हो चुके हैं और आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज करने की चेतावनी दी है।
रेलवे प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।