Prime Minister Modi in Dubai
Prime Minister Modi in Dubai : PM मोदी दुबई में 21 घंटे रहेंगे. इस दौरान वो कई द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे. पीएम मोदी यहां कई सत्र संबोधित करेंगे. जलवायु परिवर्तन को रोकने की दिशा में होने वाला ये यूएन का सालाना आयोजन है.
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Prime Minister Modi in Dubai : इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि भारत और UAE हरित और समृद्ध भविष्य को आकार देने के लिए एक साथ खड़े हैं. पीएम मोदी ने कहा कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन को लेकर हम काम कर रहे हैं.
इसके साथ ही पीएम मोदी ने ये भी कहा कि जलवायु परिवर्तन समस्या के निर्माण में विकासशील देशों ने योगदान नहीं किया है, लेकिन उन्हें इसके समाधान में योगदान करने के इच्छुक हैं
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लेकिन इन देशों को योगदान देने के लिए आवश्यक वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी की बड़ी आवश्यकता है, जो उनके पहुंच से बाहर है इसलिए इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब इन देशों को योगदान करने के लिए आवश्यक संसाधन मिलेंगे.
12 PM – COP 28 लीडरशिप पवेलियन पहुंचेंगे.
1205 PM- UAE राष्ट्रपति और UN सेक्रेटरी जनरल से मुलाकात.
1.15-2PM – वर्ल्ड क्लाइमेट समिट- ओपनिंग सेशन में संबोधन.
2-2.55 PM – द्विपक्षीय वार्ता.
जलवायु सम्मेलन में ‘जय भारत’
प्रधान मंत्री ने संयुक्त अरब अमीरात की अपनी छठी यात्रा के दौरान कहा, ‘भारत और UAE एक हरित और अधिक समृद्ध भविष्य को आकार देने में भागीदार के रूप में खड़े हैं, और हम जलवायु कार्रवाई पर वैश्विक चर्चा को प्रभावित करने के अपने संयुक्त प्रयासों में दृढ़ हैं.’
पीएम मोदी ने कहा, स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण को साझा करने वाले देशों के रूप में, भारत और संयुक्त अरब अमीरात वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा प्रयासों में अग्रणी के रूप में उभरे हैं. उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के भीतर जलवायु कार्रवाई के लिए UAE की अटूट प्रतिबद्धता की सराहना की है.
पर्यावरण मंत्री का बयान
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘पिछले 9 सालों में पेरिस समझौते के बाद भारत ने जो प्रतिबद्धता जताई उसमें पहला है कार्बन उत्सर्जन की तीव्रता में कमी. दूसरा है नए एनर्जी सोर्स पर भारत की निर्भरता.
मैं गर्व से कह रहा हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम G20 में भी पहले देशों में से हैं, जिसने 9 साल पहले ही अपना लक्ष्य हासिल कर लिया. ये भारत की प्रतिबद्धता और सक्षम नेतृत्व का ही नतीजा है.’
जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद इसका खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को मुआवजा देने के उद्देश्य से हानि और क्षति कोष के संचालन को लेकर हुए समझौते का भारत ने बृहस्पतिवार को ‘सकारात्मक संकेत’ के तौर पर स्वागत किया. इस कोष को लेकर हुए समझौते पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आई, खास कर ‘ग्लोबल साउथ’ से.