रायपुर. बलौदाबाजार वन मंडल के अर्जुनी परिक्षेत्र में दिवाली के दो दिन बाद एक गर्भवती बायसन (गौर) का शिकार कर लिया गया। शिकारियों ने करंट लगाकर बायसन को मारने के बाद उसका सिर और पैर काट दिए। मृत मादा बायसन के पेट में एक विकसित भ्रूण पाया गया। इस घटना ने वन विभाग की निगरानी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस मामले को लेकर रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता और पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कठोर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि त्योहारी सीजन में शिकार की संभावनाओं को लेकर पहले ही विभाग को आगाह किया गया था, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
सिंघवी ने बताया कि उन्होंने दिवाली से पहले ही मुख्य वन्यजीव संरक्षक को पत्र भेजकर चेताया था कि त्योहारी छुट्टियों के दौरान फील्ड स्टाफ की सतर्कता कम हो जाती है, जिससे शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने खासकर दिवाली और शरद पूर्णिमा के बाद पेट्रोलिंग बढ़ाने, स्निफर डॉग की तैनाती और एंटी-पोचिंग टीमों को सक्रिय रखने की सलाह दी थी।
सिंघवी का कहना है कि उनका पत्र विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया और केवल औपचारिकता निभाते हुए आगे बढ़ा दिया गया। यदि स्निफर डॉग स्क्वॉड को बारनवापारा अभ्यारण में समय रहते भेजा जाता, तो शिकारियों में भय बना रहता और बायसन व उसके अजन्मे बच्चे की जान बच सकती थी।
उन्होंने बताया कि पिछले साल रायगढ़ वन मंडल में भी इसी तरह की घटना हुई थी, जहां जंगली सूअर के शिकार के लिए बिछाए गए करंट प्रवाहित तार में फंसकर एक हाथी की मौत हो गई थी।
सिंघवी ने वन विभाग पर आरोप लगाया कि वाइल्डलाइफ विंग वन्यप्राणियों की सुरक्षा के अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है और अब वह जैवविविधता वाले इलाकों में इको-टूरिज्म प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा ध्यान दे रहा है। उन्होंने मांग की है कि विभाग टूरिज्म के बजाय वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन और एंटी-पोचिंग उपायों पर ध्यान केंद्रित करे तथा सभी अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और टाइगर रिजर्व में प्रशिक्षित स्निफर डॉग स्क्वॉड की अनिवार्य तैनाती की जाए।