रायपुर। रायगढ़ जिले के तमनार में कोयला खदान खोले जाने को लेकर चल रहा विवाद हिंसक झड़प में बदलने के बाद अब राजनीतिक रूप ले चुका है। आंदोलनरत ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने घटना के लिए जिला प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने मामले की जांच की बात कही है। इसी बीच भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह ने विकास के लिए राजस्व की आवश्यकता का मुद्दा उठाया है।
तमनार दौरे से लौटने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पूर्व मंत्री शिव डहरिया और कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के साथ रायपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि तमनार की घटना भाजपा की गांव, गरीब, किसान और आदिवासी विरोधी नीतियों का परिणाम है। उन्होंने बताया कि घटना की जांच के लिए कांग्रेस की ओर से जांच दल का गठन किया गया है।
दीपक बैज ने कहा कि 27 दिसंबर की घटना के लिए यदि कोई जिम्मेदार है तो वह जिला प्रशासन है। आंदोलनकारियों को साजिश के तहत कुचलने की रणनीति बनाई गई और ग्रामीणों को उकसाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कलेक्टर और एसपी मौके पर मौजूद रहने के बावजूद धरने पर बैठे ग्रामीणों से संवाद तक नहीं किया। इस पूरे घटनाक्रम की जिम्मेदारी कलेक्टर और एसपी की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में कोयला खदान का आवंटन किया गया था, जिसकी जनसुनवाई 8 दिसंबर को निर्धारित थी। किसान और आदिवासी 5 दिसंबर से जनसुनवाई स्थगित करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे थे। इसके बावजूद 8 दिसंबर को जनसुनवाई कराई गई, जिसमें 14 गांवों के करीब 10 हजार से अधिक लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर विरोध दर्ज कराया। आरोप है कि जिला प्रशासन ने स्थल से दूर एक कोने में टेबल लगाकर जनसुनवाई की औपचारिकता पूरी की।
दीपक बैज ने कहा कि जिंदल पावर कंपनी को कोयला खदान आवंटित की गई है और जनसुनवाई के दौरान कंपनी के कर्मचारियों से कथित तौर पर फर्जी हस्ताक्षर कराए गए। ग्रामीणों ने इसे गलत बताते हुए विरोध किया और धरना दिया। कांग्रेस ने ग्रामीणों की समस्याएं सुनीं और उनकी मांगों का समर्थन किया है।
उन्होंने सवाल उठाया कि चोरी-छिपे जनसुनवाई क्यों कराई गई और इसे तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए। बैज ने आरोप लगाया कि 27 दिसंबर को पुलिस बल की मौजूदगी में जिंदल कंपनी की कोयले से भरी गाड़ियों को रवाना किया गया, जिससे ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया। उन्होंने दावा किया कि इस दौरान करीब 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया, महिलाओं के साथ बदसलूकी की गई, आंसू गैस छोड़ी गई और लोगों को प्रताड़ित किया गया। इसके बाद स्थिति बिगड़ी और हिंसक झड़प की घटना सामने आई।