गरियाबंद। जिले में झोलाछाप डॉक्टर्स की लापरवाही से आदिवासी युवक की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोपियों की पतासाजी में जुट गई है. ये पूरा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम पेंड्रा का है.
जानकारी के मुताबिक, 40 वर्षीय पुरुषोत्तम ध्रुव निवासी पेंड्रा ग्राम को बवासीर की शिकायत थी. इलाज के लिए उन्होंने ओडिसा सीमा स्थित झोलाछाप डॉक्टर से संपर्क किया. जिसके बाद 20 अगस्त को बबलू टांडी और संजू राजपुत नाम के दो युवक पुरुषोत्तम के घर पहुंचे. उन्होंने इलाज के लिए 30 हजार में सौदा किया और फिर इलाज शुरू किया. तीन दिन तक चले उपचार के अंतिम दिन बीमार शख्स को अधमरा छोड़ झोला छाप भाग गए.
उन्होंने युवक के परिजनों को गुप्त रोग का हवाला देकर इलाज वाले कमरे में अंदर नहीं घुसने मना कर दिया. इसी बीच दोनों मौका देखकर इलाज के 10 हजार रुपए लिए बिना ही वहां से भाग गए. मृतक की बड़ी बेटी को आशंका हुई तो उसने कमरा खोला तो उसके पिता खून से लथपथ कराहते हुए दिखे. आनन फानन में गरियाबंद सरकारी अस्पताल भर्ती कराया गया. लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. मल द्वार में गलत तरीके से चीरे लगाने के कारण खून बह चुका था, जिससे उसकी मौत हो चुकी थी. इस घटना को लेकर आदिवासी समाज में आक्रोस है. समाज के प्रतिनिधि मंडल पीड़ित के घर पहुंचे और आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज और पीड़ित परिवार के लिए 50 लाख रुपए के मुआवजे की मांग की है.
पीएम रिपोर्ट और घटना के संबंध में साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 105,3(5) के तहत यह मामला दर्ज कर लिया है. वहीं आरोपियों के पतासाजी में पुलिस जुट गई है.