Plantation : देता है ‘धूप’, बनती हैं दवाइयां,  पौधरोपण में अचानक बढ़ी मांग ‘साजा’ की

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राजकुमार मल

 

Plantation   देता है ‘धूप’, बनती हैं दवाइयां,  पौधरोपण में अचानक बढ़ी मांग ‘साजा’ की

Plantation  भाटापारा- पौधरोपण की सूची में नाम भले ही नहीं है लेकिन पहली बार साजा के पौधों की मांग जैसी निकली हुई है, उसे देखकर नर्सरियां हैरान हैं। यही वजह है कि वन विभाग की रोपणियों में फिर से नए पौधों की तैयारी है।

रुझान इस बरस कुछ ज्यादा ही बढ़ा हुआ देखा जा रहा है पौधरोपण को लेकर। अर्जुन, करंज और नीम जैसी औषधीय महत्व रखने वाली प्रजातियों के बीच पहली बार, साजा के पौधों का रोपण अपेक्षाकृत ज्यादा जगह ले रहा है। वजह के पीछे सबसे महत्वपूर्ण है, छाल में मिलने वाले औषधीय गुण और लकड़ियों का बेहद मजबूत होना।

देता है धूप, बनती हैं दवाइयां

 

 

खुरदुरी और गहरी दरारों वाला यह वृक्ष पायरोगॉलोल और कैटेचोल जैसा महत्वपूर्ण रसायन देता है। गहरे लाल रंग वाले इस केमिकल से पूजा के धूप और सौंदर्य प्रसाधन सामग्री बनाया जाता है। इसके अलावा चमड़े को रंगने व फोटोग्राफिक डेवलपर्स के रूप में भी काम आता है। यही वजह है कि छाल की मांग इन उद्योगों में पूरे साल बनी रहती है।

नाविकों की पहली पसंद

 

 

मजबूत और टिकाऊ होने की वजह से साजा की लकड़ियों से बनी नाव, समुद्री नाविकों में खूब खरीदी जाती है। भारतीय रेल अब भी साजा की लकड़ियों का सबसे बड़ा खरीददार बना हुआ है। देश का सबसे बड़ा यह उपक्रम साजा की लकड़ियों का उपयोग रेल क्रॉस-टाई बनाने में करता है। वह क्षेत्र भी बड़ी मांग कर रहा है, जो पैनलिंग बनाता है।

बेहद दिलचस्प

 

साजा की कुछ प्रजातियों में, सूखे दिनों में जल संग्रहण करने की क्षमता होती है। देश के बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में हुए अनुसंधान में यह खुलासा हुआ है कि साजा का वृक्ष एक निश्चित अनुपात में पानी का भंडारण करता है। पानी की मात्रा, पेड़ों की आवृत्ति पर आधारित होने का भी खुलासा हुआ है। इसका उपयोग सूखे दिनों में पेयजल के रूप में किया जाता है।

ऐसा है साजा

 

35 मीटर की अधिकतम ऊंचाई तक जाने वाला साजा का वृक्ष पर्णपाती होता है। 22 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जोरदार बढ़त लेने वाली यह प्रजाति 1000 से 2000 मिलीमीटर बारिश पसंद करती है। जलोढ़ मिट्टी पर तैयार होने वाला साजा, खराब और उथली मिट्टी के प्रति भी सहनशील है।

लकड़ी बेहद मजबूत

 

 

साजा जिसे टर्मिनलिया टोमेंटोसा के नाम से जाना जाता है की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। इससे हल, मुख्य मेयार, बैलगाड़ी आदि बनाई जाती है। सूखी लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। वृक्ष में औषधि गुण होने के कारण इसका उपयोग कई तरह के बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।

 

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज आफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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