Pitru Paksha 2024 : अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो क्या करें ….आइये जानें
श्राद्ध के दिन
Pitru Paksha 2024 : 🙏🏻 जिस दिन आप के घर में श्राद्ध हो उस दिन गीता का सातवें अध्याय का पाठ करें । पाठ करते समय जल भर के रखें । पाठ पूरा हो तो जल सूर्य भगवन को अर्घ्य दें और कहें की हमारे पितृ के लिए हम अर्पण करते हें। जिनका श्राद्ध है , उनके लिए आज का गीता पाठ अर्पण।
श्राद्ध कर्म
🌞 अगर पंडित से श्राद्ध नहीं करा पाते तो सूर्य नारायण के आगे अपने बगल खुले करके (दोनों हाथ ऊपर करके) बोलें :
🌞 “हे सूर्य नारायण ! मेरे पिता (नाम), अमुक (नाम) का बेटा, अमुक जाति (नाम), (अगर जाति, कुल, गोत्र नहीं याद तो ब्रह्म गोत्र बोल दे) को आप संतुष्ट/सुखी रखें । इस निमित मैं आपको अर्घ्य व भोजन कराता हूँ ।” ऐसा करके आप सूर्य भगवान को अर्घ्य दें और भोग लगायें ।
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तुलसी
🌿 श्राद्ध और यज्ञ आदि कार्यों में तुलसी का एक पत्ता भी महान पुण्य देनेवाला है | पद्मपुराण (ऋषिप्रसाद – अक्टूबर २०१४ से )
श्राद्ध के लिए विशेष मंत्र
” ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं स्वधादेव्यै स्वाहा । “
🌞 इस मंत्र का जप करके हाथ उठाकर सूर्य नारायण को पितृ की तृप्ति एवं सदगति के लिए प्रार्थना करें । स्वधा ब्रह्माजी की मानस पुत्री हैं । इस मंत्र के जप से पितृ की तृप्ति अवश्य होती है और श्राद्ध में जो त्रुटी रह गई हो वे भी पूर्ण हो जाती है।
श्राद्ध में करने योग्य
श्राद्ध पक्ष में १ माला रोज द्वादश मंत्र ” ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ” की करनी चाहिए और उस माला का फल नित्य अपने पितृ को अर्पण करना चाहिए।
क्या है श्राद्ध कर्म का फल – श्राद्ध का संबंध श्रद्धा से है, श्रद्धापूर्वक पितरों का स्मरण और उनके निमित्त जो भी दान आदि पुण्यकर्म तीर्थ आदि क्षेत्रों में किया जाता है, वह सब एकत्र होकर श्राद्ध करने वाले श्राद्धकर्ता के पितरों को सद्गति प्रदान करता है, फलस्वरूप पितरों के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली समस्त प्रकार की बाधाऐं, पितृदोष आदि का शमन होता है।
गरूड़ पुराण में कहा गया है कि श्राद्धकर्म करने से संतुष्ट होकर पितृ, श्राद्धकर्ता को आयु, पुत्र, यश, मोक्ष, स्वर्ग, कीर्ति, बल, वैभव, सुख, धन और धान्य वृद्धि का आशीष प्रदान करते हैं। पूर्ण विधि-विधान करने में असमर्थ व्यक्ति भी अपनी क्षमता अनुसार तीर्थ आदि क्षेत्र में श्रद्धापूर्वक पुण्य कर्म करके पितरों को सद्गति दिला सकता है।
Pitru Paksha 2024 : सामर्थ्य न हो, तो कैसे करें श्राद्धकर्म – सूर्य की रश्मियों के साथ ही पितृगण पृथ्वी पर अवतरित होते हैं, अतः सूर्यदेव को हाथ जोड़कर प्रार्थना कर ले कि मैं श्राद्ध के लिए जरूरी धन और साधन न होने से पितरों का श्राद्ध करने में असमर्थ हूं, इसलिए आप मेरे पितरों तक मेरी भावनाओं और प्रेम से भरा प्रणाम पहुंचाएं और उनको तृप्त करें। पितरों के निमित्त गरीबों को भोजन, गाय को चारा खिलाना, जल में काले तिल डालकर तर्पण करने के पुण्य फल से पितरों सहित कर्ता का कल्याण होता है। यदि सच्चे मन से पितरों की सद्गति की कामना पितृपक्ष में की जाए तो पितृदेवता उससे भी संतुष्ट हो जाते हैं।