रायपुर: बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की हनुमान कथा 4 अक्टूबर से रायपुर के गुढ़ियारी में होने जा रही है। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पंडित शास्त्री ने धमतरी जिले के गंगरेल बांध तट पर विराजमान मां अंगारमोती का चमत्कार सुनाया।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब वे करीब 15 साल के थे, तब उन्होंने मां अंगारमोती के दर्शन किए। उस समय उन्हें चाय पीने की इच्छा हुई, लेकिन आसपास सभी दुकानें बंद थीं। उन्होंने पूजा-अर्चना की और लौटते समय एक बूढ़ी महिला से मिले। बूढ़ी महिला ने उन्हें चना खिलाया और उनकी चाय की इच्छा पूरी की। पंडित शास्त्री के अनुसार, वह चाय उन्होंने जीवन में कहीं नहीं पी थी। इसके बाद कई बार मंदिर गए, लेकिन बूढ़ी महिला का कहीं पता नहीं चला।
मां अंगारमोती – आस्था का केंद्र
धमतरी जिले के गंगरेल की खूबसूरत वादियों में विराजमान मां अंगारमोती 52 गांवों की अधिष्ठात्री देवी मानी जाती हैं। उनका दरबार 600 साल पुराना है। 1972 में गंगरेल बांध के निर्माण के दौरान डूबे गांवों के बाद भक्तों ने नदी के किनारे माता का मंदिर बनाया। माता अंगारमोती को वनदेवियों की बहन माना जाता है और कहा जाता है कि उनके चमत्कार से कई नि:संतान महिलाओं की गोद भरी है।

विशेष पूजा और अनोखी परंपरा
मां अंगारमोती के मंदिर में महिलाएं बिना पल्लू लिए शीश नवाकर पूजा करती हैं। हर साल दिवाली के बाद पहले शुक्रवार को यहां मड़ई का आयोजन होता है, जिसमें हजारों भक्त भाग लेते हैं। निःसंतान महिलाएं संतान प्राप्ति की मन्नत लेकर मंदिर परिसर में पेट के बल लेटकर, हाथों में नारियल, अगरबत्ती, नींबू और फूल लेकर पूजा करती हैं। माना जाता है कि मड़ई में बैगा महिलाएं के ऊपर से गुजरते हैं और जिन पर उनका पैर पड़ता है, उनकी गोद जरूर भर जाती है।

मंदिर और मड़ई के माध्यम से मां अंगारमोती की शक्ति और चमत्कार दूर-दूर तक फैली हुई है। भक्तों का कहना है कि माता अपने दरबार में आने वाले किसी भी श्रद्धालु को खाली हाथ नहीं लौटने देती।