भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को कहा कि केंद्रीय बैंक मृतकों के बैंक खातों, लॉकर के दावों के निपटान के लिए प्रक्रिया को सुगम और स्टैन्डर्डाइज्ड बनाएगा। इस पहल का उद्देश्य मृत ग्राहकों के नामांकित व्यक्तियों के पक्ष में दावों के निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाना है। मल्होत्रा ने कहा कि इसके अलावा, केंद्रीय बैंक, आरबीआई ‘रिटेल-डायरेक्ट’ मंच की कार्यक्षमता का विस्तार करने की योजना बना रहा है ताकि खुदरा निवेशक व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) के माध्यम से ट्रेजरी बिल (सरकारी प्रतिभूति) में निवेश कर सकें। उन्होंने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की जानकारी देते हुए कहा कि हम मृतकों के बैंक खातों और लॉकर में रखी वस्तुओं से संबंधित दावों के निपटान की प्रक्रिया को मानकीकृत करने के लिए कदम उठा रहे हैं। इससे निपटान अधिक सुविधाजनक और सुगम होने की उम्मीद है।
दावों का शीघ्र निपटाना इसका उद्देश्य
बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के प्रावधानों के तहत, जमा खातों, लॉकर में रखी वस्तुओं के संबंध में ‘नॉमिनी’ की सुविधा उपलब्ध है। आरबीआई के विकासात्मक और नियामक नीतियों पर बयान के अनुसार, इसका उद्देश्य ग्राहक की मृत्यु होने पर दावों का शीघ्र निपटान या वस्तुओं की वापसी या सुरक्षित जमा लॉकर की सामग्री को वापस दिलाना तथा परिवार के सदस्यों को होने वाली कठिनाई को कम करना है। मौजूदा निर्देशों के अनुसार, बैंकों को ‘नॉमिनी’ व्यक्ति/कानूनी उत्तराधिकारियों के किए गए दावों के शीघ्र और परेशानी मुक्त निपटान की सुविधा के लिए एक सरलीकृत प्रक्रिया अपनाने की आवश्यकता है। वर्तमान में विभिन्न बैंकों में ये प्रक्रियाएं अलग-अलग होती हैं। आरबीआई के अनुसार, ग्राहक सेवा मानकों को बेहतर बनाने के उद्देश्य से, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने और बैंकों को प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों को मानकीकृत करने का निर्णय लिया गया है।
मसौदा जल्द जारी किया जाएगा
इस संबंध में एक परिपत्र का मसौदा जल्द ही सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया जाएगा।’’ वर्तमान में, मृतक के ‘नॉमिनी’ व्यक्ति द्वारा खाते और लॉकर से संबंधित दावों के संबंध में सभी बैंकों की अपनी प्रणाली और प्रक्रियाएं हैं। इसी प्रकार, बिना ‘नॉमिनी’ वाले खातों के लिए बैंकों की प्रक्रियाओं में कुछ भिन्नता हो सकती है। इस कदम से प्रक्रिया मानकीकृत और सरल होगी।