नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि बीजेपी और संघ के बीच किसी प्रकार का मतभेद नहीं है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “हमारा हर सरकार के साथ अच्छा रिश्ता है। कुछ व्यवस्थागत विरोधाभास हो सकते हैं, लेकिन झगड़ा कहीं नहीं है।”

शिक्षा का मकसद केवल साक्षरता नहीं
भागवत ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ना-लिखना नहीं, बल्कि व्यक्ति को बेहतर इंसान बनाना है। तकनीक का प्रयोग मानव हित में होना चाहिए ताकि वह मनुष्य पर हावी न हो। उन्होंने कहा, “सच्ची शिक्षा वही है जो व्यक्ति का संपूर्ण विकास करे और उसे इतनी क्षमता दे कि वह विष को भी औषधि में बदल सके।”
परंपरा और मूल्यों को शिक्षा में शामिल करने पर जोर
संघ प्रमुख ने कहा कि मौजूदा शिक्षा प्रणाली अंग्रेजों की बनाई व्यवस्था पर आधारित है, जो शासन के लिए थी, विकास के लिए नहीं। अब समय आ गया है कि शिक्षा में परंपरा, इतिहास और मूल्यों को शामिल कर आत्मगौरव की भावना बच्चों में जगाई जाए।
नई शिक्षा नीति की सराहना
भागवत ने कहा कि नई शिक्षा नीति में पंचकोशीय शिक्षा, कला, खेल, योग और संस्कृत को शामिल करना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भारत को सही मायनों में समझने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी है।