Navratri Festival : शक्ति जागरण का पर्व हैं नवरात्रि : राजेंद्र शर्मा
Navratri Festival : सक्ती l नवरात्रि पर्व शक्ति जागरण का पर्व है, प्रत्येक मनुष्य को अपने अंतःकरण की शक्ति को हमेशा जागृत रखने हेतु आदि शक्ति मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए l
संसार में शक्तिमान की ही सत्ता, होती है और उसी की पूजा भी होती है l निशक्तजन हमेशा निंदित भी होता है l नवन यज्ञ नवरात्रि महोत्सव को , प्रायश्चित यज्ञ भी विद्वानों ने कहा है l सभी प्रकार के पाप और ताप से मुक्ति देवी जगदंबिका करती हैं l
नवरात्रि के प्रथम दिन, घट स्थापना करते हुए, बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ देवी अंबिका की पूजा करना परम कल्याणकारी है l नौ दिनों तक होने वाली देवी की पूजा प्रतिष्ठा में देवी जगदंबिका के अलग-अलग स्वरूप नाम और उनके भोग भी निश्चित है l
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भागवत प्रवाह आध्यात्मिक सेवा संस्थान छत्तीसगढ़ के संस्थापक आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने बताया कि,प्रथम दिन देवी दुर्गा का शैलपुत्री के नाम से आवाहन और पूजा की जाती है, तथा गौ माता के घृत का भोग लगाया जाता है l इसी प्रकार द्वितीया तिथि को, ब्रह्मचारिणी मैया को मिश्री का भोग , तृतीया तिथि को चंद्रघंटा स्वरूप मैया का भोग गौ माता का दूध, चतुर्थी तिथि को कुष्मांडा मैया को — मालपुआ का भोग, पंचमी तिथि को स्कंद माता देवी को — पके हुए केला का भोग,
सष्ठ तिथि को देवी कात्यायनी को मधु अर्थात शहद का भोग, सप्तमी तिथि को कालरात्रि देवी के स्वरूप होने पर, गुड़ का भोग, अष्टमी तिथि को महागौरी स्वरूप देवी को — नारियल का चुरा, और नवमी तिथि को देवी का स्वरूप सिद्धिदात्री के रूप में होता है — इस दिन धन के लाई का भोग लगाना चाहिए l
आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने नवरात्रि विधि के संबंध में यह भी बताया कि — नवरात्रि का सीधा अर्थ है— नौ दिनों की रात्रि पूर्ण होने तक देवी की पूजा अर्चना करना, क्योंकि नवरात्रि की नवमी तिथि को देवी दुर्गा का स्वरूप — सिद्धि दात्री के रूप में होती है , जो हमारे यज्ञ के संकल्प को और हमारे जीवन के लक्ष्य को सिद्धि प्रदान करती हैं l इसलिए नवमी तिथि पूर्ण होने पर ही भंडारा अधिक प्रसाद लेना चाहिए l
Navratri Festival : कन्या भोजन करने हेतु विशेष सावधानी रखते हुए, 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्या को ही, कन्या भोज हेतु सुनिश्चित करें कन्या भोज में भी नौ देवियों के अलग-अलग नाम से पूजा की जाती है l 2 वर्ष की कन्या को — कुमारी * 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति * 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी ,, तथा 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी * 6 वर्ष की कन्या को कालिका * 7 वर्ष की कन्या को चंडिका * 8 वर्ष की कन्या को शांभवी ,* नव वर्ष की कन्या को दुर्गा, और 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा नाम से, पूजा करते हुए उपहार आदि देकर आशीर्वाद लिया जाता है l
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Navratri Festival : 2 वर्ष से कम और 10 वर्ष से अधिक की कन्या को कन्या भोज में नहीं बैठना चाहिए, 2 वर्ष से कम आयु की कन्या में रस और गंध का ज्ञान नहीं होता, और स्वाद से भी अनभिज्ञ रहती हैं l शरद ऋतु की नवरात्रि पर्व की मंगल कामना करते हुए, आचार्य द्वारा आग्रह किया गया है कि सभी बेटियों और नारी शक्तियों का सम्मान करते हुए उन्हें में देवी स्वरूप का दर्शन कर अपने जीवन को कृत कृत्य करें, और रोज ही किसी न किसी देवालय में जाकर मां की आराधना करें l