रायपुर: राजधानी में 12 से 16 नवंबर तक राष्ट्रीय मुक्तिबोध नाट्य समारोह होने जा रहा है। इस समारोह में 15 नवंबर को रंग मंदिर में विवेचना रंगमंडल, जबलपुर द्वारा ‘निठल्ले की डायरी’ नाटक पेश किया जाएगा। साथ ही वरिष्ठ पत्रकार व रंगकर्मी स्व अरुण पांडेय जी की जीवन यात्रा पर उनके छोटे भाई विवेक पांडेय द्वारा लिखित और निर्देशित नाटक ‘किस्साए बड़के दा’ का मंचन भी किया जाएगा।

“निठल्ले की डायरी” हरिशंकर परसाई द्वारा व्यंग्य निबंधों का एक संग्रह है, जो सामाजिक और राजनीतिक विसंगतियों पर आधारित है। इसमें व्यंग्य के माध्यम से आम आदमी के जीवन से जुड़े विषयों, जैसे राजनीति, भ्रष्टाचार और आडंबर पर तीखा कटाक्ष किया गया है। सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक नवीन चौबे इस नाटक अभिनय पिछले 29 वर्षों से करते आ रहे है लगभग 850 से 900 प्रस्तुतियां 1996 से लेकर अबतक की जा चुकी है इस नाटक में 18 से 19 कहानियों का प्रस्तुतिकरण किया गया है जिसे पढ़ने में हंसी आती है, लेकिन गंभीर मुद्दों पर सोचने को भी मजबूर करती है। परसाई की भाषा सरल और मजेदार है। वे रोजमर्रा की बातों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हैं, लेकिन सच के करीब रहते हैं।
वहीं ‘किस्साए बड़के दा’ अरुण पांडेय जी को समर्पित एक ऐसी प्रस्तुति है जो भाग-दौड़ भरे इस दौर में एक ऐसे शख्स को केंद्रीत करती है जो इतना आदर्शवादी है जिसके आदर्शों को कोई भी पसंद नहीं करता है। एक बड़ा भाई जो समाज से इतना अलग जिसनें शादी नहीं की, जिसने सरकारी नौकरी तो की लेकिन अपने आदर्शों के चलते उससे कभी समझौता नहीं किया, जिसने रंगमंच में अपनी छाप ऐसी छोड़ी जिनके जाने के बाद भी रंगमंच उन्हें कभी भूल नहीं पाएगा। इस कहानी में स्व अरुण पांडेय जी के छोटे भाई विवेक पांडेय अपने भाई को याद करते हुए उनके जीवन के कुछ किस्सों को पर मंच पर साझा करते हुए दिखाई देंगे।

समारोह में इन दो प्रस्तुतियों के अलावा देशभर से नाट्य मंडलियां भाग लेंगी और अलग-अलग रचनाओं पर आधारित कहानियों का मंचन होगा। 12 नवंबर से 16 नवंबर तक रंग मंदिर, रायपुर में होने वाले कला और साहित्य के इस महाकुंभ में शामिल होने के लिए शहरवासियों में उत्साह देखा जा रहा है।