Multimedia group : आज की जनधारा मल्टीमीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से क्या मजदूरों के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं ?

Multimedia group :

Multimedia group आज की जनधारा मल्टीमीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से क्या मजदूरों के लिए अच्छे दिन आने वाले हैं ?

Multimedia group दुनिया भर के मजदूरों को समर्पित ईरानी कवि सबीर हका की इन पंक्तियों के साथ सुभाष की बात शुरू करते हैं-

ईश्वर भी एक मज़दूर है
ज़रूर वह वेल्डरों का भी वेल्डर होगा,
शाम की रोशनी में
उसकी आंखें अंगारों जैसी लाल होती हैं,
रात उसकी क़मीज़ पर
छेद ही छेद होते हैं।

Multimedia group दरअसल मजदूर हमारे समाज का वह तबका है जिस पर समस्त आर्थिक उन्नति टिकी होती है । वह मानवीय श्रम का सबसे आदर्श उदाहरण है । वह सभी प्रकार के क्रियाकलापों की धुरी है । आज के मशीनी युग में भी उसकी महत्ता कम नहीं हुई है । उद्‌योग, व्यापार,कृषि, भवन निर्माण, पुल एवं सड़कों का निर्माण आदि समस्त क्रियाकलापों में मजदूरों के श्रम का योगदान महत्त्वपूर्ण होता है । मजदूर अपना श्रम बेचता है । बदले में वह न्यूनतम मजदूरी प्राप्त करता है । उसका जीवन-यापन दैनिक मजदूरी के आधार पर होता है ।

Multimedia group मजदूरों के लिए प्रांतीय तथा केन्द्र सरकार की ओर से समय-समय पर कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की जाती है । रोजगार गारंटी कार्यक्रम के अधीन ग्रामीण क्षेत्र के मजदूरों के लिए कम से कम सौ दिनों के रोजगार या बेरोजगारी भत्ते की व्यवस्था की गई है । इन कदमों से मजदूरों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में सुधार हुआ है ।

Multimedia group सरकार इसे और बेहतर करना चाहती है, दिहाड़ी मजदूरों की हालत सुधारने के लिए और 2030 तक लाखों मजदूरों को अति गरीबी से निकालने के लिए श्रम मंत्रालय मिनिमम वेज न देकर लिविंग वेज देने की योजना बना रही है. श्रम मंत्रालय में इस योजना के लिए तेजी से मंथन चल रहा है.

लिविंग वेज भारत के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है और इसका बड़ा राजनीतिक असर भी होगा. भारत में अभी मिनिमम वेज यानी न्‍यूनतम मजदूरी 178 रुपये और अगर इसे लिविंग वेज से कन्‍वर्ट किया जाएगा तो इसमें करीब 25 फीसदी तक इजाफा हो सकता है.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MENU