Modi Government : मोदी सरकार ने बच्चों के पाठ्य-पुस्तकों को लेकर लिया ऐतिहासिक फैसला, भारत के बच्चे अब लेंगे गीता और वेद की शिक्षा
Modi Government : नई दिल्ली: मोदी सरकार ने बच्चों के पाठ्य-पुस्तकों को लेकर ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब बच्चों को श्रीमदभगवद गीता का पाठ पढ़ाया जाएगा। श्रीमदभगवद गीता के श्लोकों और संदर्भ को पाठ्य-पुस्तकों में शामिल किया जाएगा।
Modi Government : देश की शिक्षा राज्यमंत्री अन्नपूर्णा ने लोकसभा में पत्र लिखते हुए इस संबंध में जानकारी दी । दरअसल, केंद्र सरकार चाहती है कि विद्यार्थी, भारतीय संस्कृति के बारे में सीखे। इसको देखते हुए यह फैसला किया गया है।
अन्नपूर्णा ने इस विषय में जानकारी दी है कि की कक्षा छठी और सातवीं की पुस्तकों में वेदों का ज्ञान और श्रीमदभगवद गीता के संदर्भ शामिल किया जाएगा । वहीं, कक्षा 11 और 12 की पाठ्य-पुस्तकों में संस्कृत में इन धर्मग्रंथों के श्लोक जोड़े जाएँगे। अन्नपूर्णा देवी ने कहा है
कि श्रीमदभगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय विभिन्न मंत्रालयों, राज्यों, विभागों और केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त हुए इनपुट के आधार पर किया गया है।
इसके लिए ने काम भी आरंभ कर दिया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा लिए गए निर्णय से बच्चे भारतीय संस्कृति के संबंध में जान सकेंग
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अन्नपूर्णा देवी ने लोकसभा में जानकारी दी है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का पैरा 4.27 भारत के पारंपरिक ज्ञान से संबंधित है, जिसमें सभी के कल्याण का प्रयास निहित है। इसके साथ ही शिक्षा राज्यमंत्री ने कहा कि,
‘यदि हमें इस शताब्दी में ज्ञान की शक्ति बनना है, तो हमें अपनी विरासत को समझना होगा और विश्व को काम करने के ‘भारतीय तरीके’ के संबंध में सिखाना होगा।’
स्कूल में गीता पढ़ाने का कोंग्रेसियों ने किया विरोध
वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पाठ्य-पुस्तकों में श्रीमदभगवद गीता को शामिल करने के केंद्र सरकार के फैसले की आलोचना की है। उनका कहना है कि भाजपा शिक्षा व्यवस्था का भगवाकरण करने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने यह भी कहा कि यदि भाजपा श्रीमदभगवद गीता को पाठ्यक्रम में शामिल कर रही है, तो उसे अन्य धर्मों की पुस्तकों के बारे में भी विचार करना चाहिए।
गुमनाम क्रांतिकारियों की कहानियां भी किया जाएगा सामील
बता दें कि, भारतीय संस्कृति और विरासत से बच्चों को अवगत कराने को लेकर संसदीय पैनल ने देश के लिए बलिदान होने वाले पूर्वोत्तर के ‘गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों’ की कहानियों को भी में शामिल करने की अनुशंसा की थी। संसदीय पैनल का कहना था
कि छात्र भारत के समृद्ध इतिहास को जान सकें, इसके लिए स्कूली पाठ्य-पुस्तकों में स्वतंत्रता सेनानियों और देश के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी जाना चाहिए।