mobile and tv : नई पीढ़ी टेक्नोलॉजी से अधिक प्रभावित
Mobile and tv : चारामा ! वर्तमान समय में नई पीढ़ी टेक्नोलॉजी से इतनी अधिक प्रभावित हो चुकी है कि वे पुस्तकों से धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं, आज हम मोबाइल और टीवी पर जो चीजें ज्यादा से ज्यादा देखते हैं, वह हमें बहुत जल्द याद होती है और लंबे समय तक याद रहती हैं, लेकिन हम पुस्तकों पर वही चीज जब पढ़ते हैं और समझने की कोशिश करते हैं तो हम उसे आसानी से याद नहीं कर पाते और हम उसे जल्दी भूल जाते हैं या हम पुस्तकों से जो ज्ञान अर्जित करते हैं या कुछ समझते और सीखते हैं !
Mobile and tv : उसे याद रखने के लिए हमें उसका रिवीजन करना बहुत जरूरी होता है ।लेकिन अगर हम खेल-खेल में और किसी टेक्नालॉजी जैसे मोबाइल, टीवी के माध्यम से उसी चीज को सीखने पड़ते हैं समझते हैं तो हमें एक बार में ही वह हमारे दिमाग में बैठ जाती है और हमें वह लंबे समय तक याद रहती है।
इन्ही टेक्नोलॉजी और तरीकों से बड़े-बड़े शहरों में आज स्कूलों में तकनीकों के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जा रही हैं, यही तरीके अब गांव के स्कूलों में भी पहुंचने की जरूरत है ,
हालांकि नेटवर्क और गैजेट्स के अभाव में तेजी से बच्चों को जोड़ना संभव तो नहीं, लेकिन हम उन्हें अपने तरीकों से खेल खेल में पढ़ाई की नई तरीकों से जोड़ सकते हैं, ऐसा ही कुछ विकासखंड में शिक्षकों के द्वारा कोशिश की जा रही है कि उनकी स्कूलों के बच्चों को नए तरीकों से ,कविताओं के माध्यम से पुस्तकीय ज्ञान के साथ साथ शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं।
Mobile and tv : जो बच्चों के लिए काफी हित कर साबित हो रहा हैं, जिससे बच्चे आसानी से सीख भी रहे, समझ भी रहे और उन्हें याद भी हो रहा है।
ऐसा ही शिक्षा हमने प्राथमिक शाला चुचरुंगपुर में देखी ,जहां नव पदस्थ शिक्षक श्रीमती इंदु साहू के द्वारा बच्चों को हिंदी गणित अंग्रेजी व अन्य कविताओं को खेल-खेल में सिखाने का प्रयास बच्चों को किया जा रहा है,
बच्चे इन चीजों में काफी रूचि ले रहे हैं, बच्चों को कविताएं याद हो आसानी से इसके लिए वह कविताओं को चित्रण के रूप में बच्चों को उसी वेशभूषा और परिस्थितियों में डालकर उन्हें कविताएं पढ़ा रही हैं ताकि बच्चे आसानी से समझ सके, खेल खेल में बच्चे कविताएं याद कर रहे हैं।
Mobile and tv : बच्चों को मात्राएं सिखाई जा रही है बच्चों को मात्राएं सीखने में बहुत कठिनाई होती हैं, ऐसे में मात्राओं को आसानी से सिखाने के लिए उनके द्वारा दीवाल पर एक सर्कल बनाकर एक पेपर को गोल आकृति में टांगा गया है उस पेपर बोर्ड में ऊपर में रिक्त स्थान रखा गया और नीचे बारह खड़ी की 12 मात्राएं अंकित की गई, अब उस पेपर बोर्ड पर रिक्त स्थान पर अक्षर लगाकर उस पेपर को घुमाकर बच्चो से मात्राएं पूछी जा रही हैं। सभी अक्षरों को बारी बारी लगाकर उस सर्कल को घुमाया जाता हैं।
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Mobile and tv : जिससे बच्चे उस मात्रा से उस अक्षर को जोड़ रहे हैं ,जैसे क में आ की मात्रा से का, क में छोटी इ की मात्रा से की ,बड़ी ई मात्रा से की, इस तरह बच्चों को सिखाने का प्रयास किया जा रहा है,
Mobile and tv : बच्चों को सम विषम की जानकारी वास्तविक चीजों से दी जा रही है, वास्तविक चीजों को उनके समक्ष रखकर उनसे सम विषम पूछा जा रहा है, बच्चों को चित्रण और पेपर पर अंकित संख्याओं से इकाई दहाई सैकड़ा सिखाना है तो चित्र के माध्यम से उन्हें इकाई दहाई सैकड़ा सिखाया जा रहा है। विभिन्न आकृतियां जाकर उन्हें गिनती सिखाई जा रही है,
अक्षर वर्णमाला और अंग्रेजी के अक्षर भी उन्हें सिखाया जा रहे हैं। इसको देखने के बाद खुद को भी अच्छा लगता है कि शिक्षकों के द्वारा नए तरीकों को अपनाकर बच्चों को खेल-खेल में सिखाने का प्रयास किए जा रहे हैं, जहां बच्चे पहले पुस्तक पढ़ने के लिए अपने आप को तैयार नहीं कर पा रहे थे ,
Mobile and tv : वहां वे खेल खेल में कई घंटों तक स्कूलों में समय बिताकर खेल खेल में शिक्षा का अध्ययन कर रहे हैं और स्कूल की छुट्टी होने के बाद भी इन्हीं तरीकों से वे घर पर भी अध्ययन कर रहे हैं। शिक्षक के इस प्रयास की पूरे गांव वालों ने भी सराहना की है बच्चों के शिक्षक स्तर में काफी सुधार देखा गया है और बहुत बदलाव हुए हैं।
Mobile and tv : इस संबंध में विकास खंड शिक्षा अधिकारी एसपी कोसरे को जानकारी दी गई तो उन्होंने शिक्षिका के इस तरीकों की सराहना की और कहा कि शिक्षक के पढ़ाने का तरीका बहुत अलग है और बहुत अच्छा है, एक शिक्षक का काम बच्चों में शिक्षा के प्रति अलग जगाना हैं,बच्चों को शिक्षा के प्रति रुचि लाना भी होता है और शिक्षिका ने वह काम बखूबी से निभाया है ।उनके इस तरीके को अन्य कई प्राइमरी स्कूलों में भी बच्चों को सिखाने के लिए अपनाया जाएगा ताकि बच्चे खेल-खेल में बहुत सी चीजें सीखे। और वर्तमान समय में चुनौती है कि बच्चे इसी तरीके से शिक्षा अपनाएं।
गांव के पालक भी बच्चों के साथ कभी कभी शिक्षक की इस पढ़ाने के तरीके का संज्ञान लें ,ताकि घरों में भी वे बच्चों को इस तरह खेल खेल में पढ़ा सके।