:राजकुमार मल:
भाटापारा: लोकल 50 से 60, उत्तर प्रदेश 60 से 70 और 65 से 80 रुपए प्रति किलो जैसी कीमत के साथ महाराष्ट्र का गुड़ सबसे आगे है। यह गर्मी आगे भी बने रहने की संभावना है क्योंकि गुड़ उत्पादकों को मांग के अनुरूप गन्ना नहीं मिल रहा है।
शायद पहला मौका है जब गुड़, शक्कर से काफी आगे निकल चुका है। गुड़ की यह सरपट दौड़ फिलहाल थमने की संभावना इसलिए भी नहीं है क्योंकि मीठा अचार बनाने वाली कंपनियों की डिमांड निकली हुई है। जबकि घरेलू मांग अपने पूर्ववत् स्तर पर बनी हुई हैं। इसके अलावा अपने स्तर पर होलसेल काउंटर अब भंडारण भी कर रहे हैं।
75 फ़ीसदी फसल शुगर फैक्ट्रियों में
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में गन्ना की फसल को नुकसान पहुंचने के बाद उत्पादन में लगभग 25 से 35 फीसदी कमी आई। इसे देखते हुए शक्कर कारखाना प्रबंधनों ने गन्ना की खरीदी पर शुरू से ही ध्यान दिया। इससे गुड़ बनाने वाली इकाइयों को इच्छित मात्रा में गन्ना नहीं मिल पाया। शक्कर कारखाने की खरीदी से छूटा 25 फ़ीसदी गन्ना ही गुड़ कारखानों तक पहुंचा। असर अब गुड़ की तेज कीमत के रूप में सामने है।
इसलिए भी गुड़ गर्म
पहले भी बनाए जाते रहे हैं मीठे अचार लेकिन बड़ा बदलाव तब आया, जब इसमें अचार बनाने वाली इकाइयों ने रुचि दिखाई। तैयार उत्पादन को बेहतर प्रतिसाद मिलता देखकर अब गुड़ में प्रतिस्पर्धी खरीदी का दौर चला हुआ है। इसे और भी आगे बढ़ा रहीं हैं स्थानीय स्तर पर मीठा अचार बनाने वाली छोटी ईकाइयां और स्व सहायता समूह। जाहिर था ऐसी स्थितियों में गुड़ का गर्म होना। यह स्थिति अचार का सीजन तक बने रहने की धारणा है।
महाराष्ट्र का गुड़ सबसे आगे
अपने छत्तीसगढ़ का गुड़ पहली बार 50 से 60 रुपए किलो जैसी कीमत पर उपभोक्ताओं को हैरत में डाले हुए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश का गुड़ 60 से 70 रुपए किलो की कीमत के साथ हैरान कर रहा है गुड़- शक्कर बाजार को। पर पहली बार 65 से 80 रुपए किलो के भाव के साथ महाराष्ट्र का गुड़ सबसे आगे है। यह तेजी आगे भी बने रहने की संभावना है क्योंकि मीठा अचार बनाने वाली ईकाइयों की मांग का दबाव अपने स्तर पर कायम है। इधर जूस,आईसक्रीम, लस्सी और कुल्फी के लिए निकली मांग के बावजूद शक्कर 43 से 48 रुपए किलो पर शांत है।