मणिपुर हिंसा- सुप्रीम कोर्ट ने फिर दिखाई सख्ती कहा- नफरती भाषण न दे कोई भी पार्टी

Manipur

SC ने कहा कि राज्य में हिंसा बढ़ाने के लिए मंच के रूप में शीर्ष अदालत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता

नई दिल्ली। मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से सख्ती दिखाते हुए कहा है कि कोई भी पार्टी नफरती भाषण न दे जिससे मामला और बढ़े। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि वह केंद्र और मणिपुर राज्य पर लोगों के जीवन की रक्षा के लिए तैयारी करने का दबाव बनाएगी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कुकी जनजाति की सुरक्षा भारतीय सेना से कराए जाने संबंधी मणिपुर ट्राइबल फोरम की याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोर्ट के लिए सेना और अर्धसैनिक बलों को ऐसा निर्देश जारी करना अनुचित होगा।

सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों से संतुलन की भावना बनाए रखने और किसी भी नफरत भरे भाषण में भाग नहीं लेने का आग्रह किया। बता दें कि एक दिन पहले उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि राज्य में हिंसा बढ़ाने के लिए मंच के रूप में शीर्ष अदालत का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने मणिपुर में संघर्षरत जातीय समूहों को अदालती कार्यवाही के दौरान संयम बरतने का सुझाव दिया। साथ ही उसने स्पष्ट किया कि वह हिंसा खत्म करने के लिए कानून एवं व्यवस्था के तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकता है क्योंकि यह केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।

राज्य में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में अब तक कम से कम 150 लोगों की मौत हो चुकी है तथा सैकड़ों अन्य घायल हो गए हैं। पहली बार हिंसा तीन मई को तब भड़की जब मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं। जनजातीय नगा और कुकी आबादी का हिस्सा 40 प्रतिशत है और वे पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

सोमवार को सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने एनजीओ ‘मणिपुर ट्राइबल फोरम’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस से कहा, ‘‘हम नहीं चाहते कि कार्यवाही और इस अदालत का उपयोग राज्य में हिंसा और अन्य समस्याओं को बढ़ाने के लिए एक मंच के रूप में किया जाए। हम कानून एवं व्यवस्था के तंत्र को अपने हाथ में नहीं ले सकते। सुरक्षा सुनिश्चित करना केंद्र और मणिपुर सरकार की जिम्मेदारी है। यह एक मानवीय मुद्दा है।’’

पीठ ने कहा कि ज्यादा से ज्यादा वह प्राधिकारियों को स्थिति को बेहतर बनाने का निर्देश दे सकती है। पीठ ने मणिपुर में मौजूदा हालात पर राज्य के मुख्य सचिव द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर गौर करने के बाद विभिन्न समूहों की ओर से पेश वकीलों से कहा, ‘‘हमें स्थिति को बेहतर बनाने के लिए मंगलवार तक कुछ सकारात्मक सुझाव दीजिए और हम केंद्र तथा मणिपुर सरकार से इस पर गौर करने के लिए कहेंगे।’’ गोंसाल्विस ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछली सुनवाई में कहा था कि संघर्ष में 10 लोगों की जान गई है, लेकिन अब मरने वालों की संख्या 110 हो गई है और हिंसा जारी है।

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