Manipur Latest News : मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के विरोध में सर्वआदिवसी समाज ने विरोध प्रदर्शन करते हुए करवाया नगरबन्द 

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दुर्जन सिंह 

 

Manipur Latest News मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुए अत्याचार के विरोध में सर्वआदिवसी समाज ने विरोध प्रदर्शन करते हुए करवाया नगरबन्द 

 

 

Manipur Latest News बचेली – मणिपुर मे आदिवासियों के साथ ह्दय विदारक घटना सामने आई है मणिपुर की आदिवासी महिलाओं का शर्मनाक वीडीयों वायरल हुआ है, महिलाओं को निर्वस्त्र करके स्तनों के साथ खिलवाड़ किया गया , उसके जनागों में हाथ डाला जा रहा है , एवं खुली परेड कराई जा रही है जो कानून व्यवस्था पर सीधी सीधी चोट है !

आज एक आदिवासी महिला ही नही बल्कि देश कि अस्मिता भी बेआबरू हो गई है, यह घटना से इंसानियत को तार तार कर देने वाली है। इसे लेकर आदिवासी समाज में भारी आक्रोश है, मणिपुर में सरकार की कानून व्यवस्था पूरी तरह खत्म हो चुक है इसलिए हम राष्ट्रपति शासन की मांग करते है।

जैसे की आपको विदित है मणिपुर में दो कुकी आदिवास महिलाओं को निर्वस्त्र कर सार्वजनिक रूप से अपमानित करने और सामुहिक बलात्कार का शिकार बनाने का वीडियो सामने आया है, यह कृत्य मानवीय संवेदनाओ को तार तार करने वाली है । इस घटना की जानकारी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और मणिपुर के मुख्य मंत्री एन बीरेन सिंह दोनो को होने के बाद भी लगातार पूरे राज्य में अशाति और दहशत , डर का माहौल खड़े किया गया है ये दोनो सरकारों ने अपना सांप्रदायिक योजना के तहत मणपुर को जाति हिंसा के आग में धकेल दिया है।

मणिपुर में पिछले ढाई महीने से जो हो रहा है। सामान्य घटना क्रम नही हैं। मैतई और कुकी के बीच संघर्ष का सांप्रदायिक पक्ष आप पूरी संवेदना के साथ समझिए देश में एक बड़ा सवाल खड़े हो गया है। जिस देश में राष्ट्रपति आदिवासी हो और जिस प्रदेश का राज्यपाल आदिवासी हो और संयोग से आप ड्वाय महिला है, ऐसे में इस प्रकार वीभत्स घटना राजनैतिक प्रश चिन्ह खडे़ करता है। 4 मई कि घटना 16 मई को एफायर लौर आज तक कोई कार्यवाही नहीं इससे महिला आयोग के साथ दोनो हो सरकार के द्वारा घटना को छुपाने का प्रयास लगता है !

मीडिया के माध्यम से प्राप्त जानकारी अनुसार मैताई समुदाय मणिपूर को आबादी का 53 और कुकी आदिवास केवल 16 प्रतिशत है ऐसे में उनके बीच के संघर्ष का क्या परिणाम होने वाला है , स्पष्ट समझा जा सकता है। पिछले ढाई महीने में जो घटना क्रम सामने आये है।

उनको सामने रखने पर उसका पैटर्न कमोबेश वैसे ही नजर आता है ज जो 2002 के दौरान गुजरात के दंगों में नजर आया था। ये हमले तीन मई को आरंभ हुए थे और 4 मई का एक वीडियो अभी सामने आया है। जिसमें दो कुकी आदिवासी महिलाओं को मैतई युवको ने घेरे हुए है उन्हे निर्वस्त कर दिया गया है और उनके शरीर पर भीड़ हाथ फेर कर उन्हे अपमानित कर रहे है और बाद में इनमें से 20 साल की युवा लड़की के साथ सामुहिक बालात्कार भी किया गया। पहले उस लड़की के पिता को भीड़ ने मार से छीनकर अपने साथ ले गयी । दो कुकी महिलाओं को नग्न कर अपमानित करने की घटना को दिल्ली तक पहुंचने में दो महीने से ज्यादा लग गये ।

यह कहना बड़ा मुश्किल है कि ऐसी कितने भयावह कांड अभी भी पर्दे में छुपे होगे । लगभग 35 लाख की आबादी वाले इस राज्य में इन ढाई महीने में लगभग डेढ़ सौ लोगों की हत्या हो चुकी है ढाई सौ से ज्यादा धार्मिक स्थलो एवं मकानो में तोड़े फोड़ और आगजनी की जा चुकी है चार हजार से ज्यादा हथियारो को पुलिस थानो से लुटा गया है और साठ हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। ऐसी खबर से अनुमान लगाया जा सकता है कि कितनी भयावह स्थिति है लेकिन राज्य और केंद्र सरकार कानों में रुई डालकर सोयी हुई है।

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सर्व आदिवासी समाज आपसे करबद्ध निवेदन करता है कि इस घटना को तत्काल संज्ञान मे लेते हुए राज्य को बर्खास्त कर इसकी न्यायिक जाँच कर दोषियो को फांसी की सजा देकर कुकी आदिवासी महिला ही नहीं बल्कि मातृत्व को न्याय मिलें । राष्ट्रपति एवं सुप्रिम कोर्ट के जज के नाम से बचे के एस डी एम को ग ज्ञापन सौंपा गया ।

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