Manendragarh News : कारनामों का गढ़ बना नवीन एमसीबी जिले का वन मंडल मनेंद्रगढ़
Manendragarh News : मनेंद्रगढ़। कारनामों का गढ़ बना नवीन एमसीबी जिले का वन मंडल मनेंद्रगढ़ जो कि हमेशा किसी न किसी मामले को लेकर सुर्खियों में रहता हैं फिर भी क्या जांच या कार्यवाही हुई यह • एक पहेली बन कर ही रह जाता है । ऐसा ही अब एक और चौकाने वाला मामला मनेंद्रगढ़ वन मंडल अंतर्गत बिहारपुर व मनेन्द्रगढ़ वन परिक्षेत्र का है।
https://jandhara24.com/news/163209/last-divisional-conference-today/
Manendragarh News : जहां वनमंडल अधिकारी मनेन्द्रगढ़ ने रेंज में पदस्थ दो रेंजरों के अवकाश में जाते ही अपने उच्च अधिकारी मुख्य वन संरक्षक सरगुजा वन वृत के आदेश को दरकिनार कर जिले में अपने कार्यों व भुगतान को लेकर हमेशा चर्चित डिप्टी रेंजरों को जिले में मनेन्द्रगढ़ व बिहारपुर रेंज का प्रभारी बना दिया जिन्हें महज एक माह में तीन रेंज में करोड़ों का चेक काट
दिया गया जबकि इसके पूर्व बिहारपुर में इतने काबिल डिप्टी रेंजर बतौर रेंजर प्रभार लेने के महज एक माह बाद ही साढ़े 3 करोड़ का कार्य कराने की उपलब्धि और रिकार्ड बना चुके हैं। अब एक बार फिर लगभग सत्तर लाख का चेक मनेन्द्रगढ़ रेंज व बिहारपुर रेंज में करीब सत्तासी लाख का चेक काट कर इन्हें भुगतान हेतु वन मंडल अधिकारी ने दो डिप्टी
रेंजरों को जिम्मेदारी सौपा है जिससे अब वन मंडल अधिकारी के ट्रांसफर के चर्चा से पूर्व इस तरह मनेन्द्रगढ़ में लगभग सत्तर लाख व बिहारपुर रेंज बना चुके हैं। अब एक बार फिर लगभग सत्तर लाख का चेक मनेन्द्रगढ़ रेंज व बिहारपुर रेंज में करीब सत्तासी लाख का चेक काट कर इन्हें भुगतान हेतु वन मंडल अधिकारी ने दो डिप्टी रेंजरों को जिम्मेदारी सौपा है
जिससे अब वन मंडल अधिकारी के ट्रांसफर के चर्चा से पूर्व इस तरह मनेन्द्रगढ़ में लगभग सत्तर लाख व बिहारपुर रेंज
में करीब सत्तासी लाख रुपये के चेक भुगतान को लेकर गड़बड़झाला होने की सुगबुगाहट हैं क्यो की जिन डिटी रेंजरों को प्रभार देकर चेक काटा गया है वे इसके पूर्व भी भुगतान को
लेकर जिले में काफी चर्चित रह चुके हैं किंतु कोरिया जिले में एक बन अधिकारी के कृपा से ये बचते चले आ रहे वही अब एक बार फिर ये डिप्टी रेंजर लाखो का भुगतान पाते ही मनेन्द्रगढ़ में रेंजर बनने के जुगाड़ में लगे हैं। जबकि आपको बता दें की प्रभारी डिटी रेंजर संखमुनि पाण्डेय को इसके पूर्व बिहारपुर रेंज में 30 नवंबर 2021 को रेंजर का प्रभार
दिया जाता है। जनाब को एक महीने रेंज के कार्यों को समझने में ही करीब करीब वक्त लग जाता है। उसके तुरंत बाद एक महीने के भीतर ही कह सकते हैं दिसंबर में साढ़े तीन करोड़ के कार्यों का भुगतान करा दिया जाता है। जब कि इसके पूर्व भी मनेन्द्रगढ़ वन मंडल में बहरासी व कुवारपुर रेंज में इस तरह का मामला सामने आ चुका है जहा जाच में अनियमितता
भी मिला व पूर्व अधिकारी पर जाच भी चली किन्तु क्या कार्यवाही हुई यह केवल कागजों तक ही सीमित हैं जिससे एक बार पुनः जिले में प्रभार मिलते ही मनेन्द्रगढ बिहारपुर व केल्हारी रेंज में करोड़ो के भुगतान होने को लेकर यह जिले में चरचा का विषय बना हुआ है की आखिर साहब डिप्टी रेंजरों पर आईएफएस ट्रांसफर को सुगबुगाहट से पूर्व इतने मेहरवान क्यो हैं ।
रेंजर बताएं कहां खपाए एक महीने में करोड़ों रुपए
बेहद ताज्जुब के इस वाक्या के बाद जब जनाब रेंजर साहब से जानकारी ली जाती है या फिर पूछा जाता है की साहब इतने कम वक्त में इतना बड़ा कार्य जो आपने कराया है इसमें क्या क्या और कहा कहा कराया है। तो रेंजर साहब भड़क जाते है और सारा लपड़ा जनाब डीएफओ व एसडीओ साहब की तरफटरका देते है। जिससेऋ सीधा मतलब और नतीजों
पर अगर गौर करें तो विभाग कितनी ईमानदारी से अपना काम कर रहा है। साफ समझ आ जाता है। पिशहाल जनाब प्रभारी डिप्टी रेंजर साहब मनेन्द्रगढ़ व बिहारपुर अपनी जुबानी करोड़ो की राशि के व्यय का हिसाब कब पदस्थ रेंजरो के अवकाश पर आते ही बताएगी कागजों में देखना बाकी है।
आखिर क्या है माज़रा
एक कहावत बड़ी मशहूर है की चोर चोरी से जाए पर हेराफेरी से ना जाए। इस कहावत को हम किसी से जोड़कर नहीं लिख रहे है लेकिन जंगलों के नुमाइंदों के बीच एक वाकया बड़ा चर्चित रहा है। खास करके मनेंद्रगढ़ वन मंडल की बात करे तो यहाँ पर अक्सर देखा गया है
की रिटायर होने वाले रेजर या अवकाश में जाने की सूचना पत्र मिलते ही गए रेजर को उसके कराए गए कुछ महीनों के कार्यों का भुगतान विभाग द्वारा रोक दिया जाता है या फिर सूत्रों की माने तो उसे उस भुगतान के एवज में उच्चाधिकारियों की बड़ी खुशामत करनी पड़ती है।
ऐसे बहुत कम लोग ऐसा जोखिम उठाते है जिसके बाद नव पदस्थ रेजर को रिटायर हुए रेंजर के कार्यों की बची राशि का भुगतान दे दिया जाता है एक समझौते की बात पर| जिससे आने वाले नवपदस्थ को बिना हीन फिटकरी के पकी पकाई हाडी मिल जाती है और देने वालो की भी चादी, बहरहाल यदि इन कार्यों के भुगतान की जांच हो जाये तो कई चौकाने वाले मामले सामने आ सकते हैं।