Lord Bholenath भगवान भोलेनाथ की महिमा सबसे न्यारी

Lord Bholenath

Lord Bholenath शिव का अर्थ ही कल्याण

 

 

Lord Bholenath सक्ती !  भगवान भोलेनाथ की महिमा संपूर्ण जगत में सबसे न्यारी है , शिव नाम से उन्हें पुकारा जाता है , शिव का अर्थ ही कल्याण होता है , भगवान शिव सबका कल्याण ही करते हैं , और भी यही भोलेनाथ राम नाम के आदि आचार्य हैं l भगवान शिव जी को काम भी कभी स्पर्श नहीं कर सकता , और यदि ऐसा किया तो उसे जलकर भस्म होना पड़ता है l

चांपा नगर के मारुति बिहार में आयोजित महामृत्युंजय अनुष्ठान तथा महा रुद्राभिषेक के अवसर पर आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने सभी शिव भक्तों को बताया कि भगवान शिव जी जल प्रिय है l उन्हें प्रसन्न कर उनकी कृपा व आशीर्वाद पाना बड़ा ही सहज और सरल है , केवल जल अर्पण करने से ही वे अपने भक्तों पर प्रसन्ना हो जाते हैं , दूध ,दही ,शहद ,शर्करा ,घी ,और पंचामृत से अभिषेक करने पर वैभव और धन-धान्य की प्राप्ति होती है l वही भगवान भोलेनाथ पर एक बेलपत्र अर्पण कर देने पर ही अक्षय पुण्य प्राप्त होता है पुराणों में उल्लेख मिलता है कि पंचाक्षर मंत्र : ओम नमः शिवाय कहते हुए यदि शिवजी में बेलपत्र अर्पण करें तो जन्म जन्मांतर के पाप भी नाश हो जाते हैं l

 

यदि किसी भक्तों को रात्रि में बुरे स्वप्न अथवा डरावने सपने आते हो तो शिवजी में शमी पत्र समर्पण करने पर उन्हें बुरे सपने से मुक्ति मिलती है l धनधानिया और स्थिर लक्ष्मी चाहने वाले व्यक्ति को भगवान शिव की विशेष अर्चना और रुद्राभिषेक रुद्राष्टाध्याई से करना ही चाहिए क्योंकि भगवान शिव जी के प्रिय गण कुबेर जी महाराज हैं जो धन्य धन्य के प्रदाता है l
आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने बताया की बेलपत्र अपने हाथों से चयन करना चाहिए और कभी भी किसी बेल वृक्ष के शाखा को नहीं काटना चाहिए क्योंकि बेल का वृक्ष ही साक्षात शिव का स्वरूप है, भगवान भोलेनाथ में सफेद आक,धतूरा , श्वेत पद्म पुष्प समर्पण करने से उनकी प्रसन्नता प्राप्त होती है l

 

किसी गृहस्थ में भगवान शिव जी के एक ही शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए एक से अधिक नहीं l देवाधिदेव महादेव की पूजा परिवार में समरसता और सामंजस्यता हे तू भी संकल्पित होकर करना श्रेष्ठ है क्योंकि आज परिवार में परस्पर विरोध और दूरियां बढ़ती जा रही हैं , आचार्य ने यह भी बताया कि केवल भगवान भोलेनाथ के ही पूरे परिवार की पूजा एक साथ की जाती है अन्य किसी देवी-देवताओं की नहीं l और इन सभी के वाहनों की भी एक साथ एक ही स्थान पर रहना सामंजस्य ता और आपस में प्रेम का परिचय और मनुष्यों के लिए प्रेरणास्पद भी है , क्योंकि शिव परिकर मैं एक तरफ भगवान शिव जी के वाहन नंदी हैं तो वहीं दूसरी ओर मैया गौरी का वाहन सिंह है , भगवान गणेश जी का वाहन मूषक है तो दूसरी ओर शिवजी के गले में नाग है , भगवान कार्तिकेय का वाहन मयूर है तो वहीं दूसरी ओर शिवजी के गले में सर्प है , फिर भी किसी प्रकार का कोई विरोधाभास अथवा प्रभाव कभी नहीं होता , इसलिए परिवार में आपस में प्रेम और संबंधों की मर्यादा को बनाए रखने के लिए भगवान भोलेनाथ की पूजा अवश्य ही सभी परिवार में होनी चाहिए l

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इस अवसर पर करुणा सोनी ,  गीता राजेश सोनी ,  भगवती भूपत देवांगन , मॉनिटर शिव देवांगन , श्रीमती अमृता गौतम पांडे ,  शांति शर्मा, श्री शिव कुमार देवांगन ,  शशि प्रभा अरुण कुमार सोनी ,,अमृत , रश्मि सोनी , मिथिलेश रामा सोनी प्रयास एवं मेधावी स्वर्णकार तथा आत्माराम देवांगन अधिवक्ता सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे l

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