Korea news- राजस्व न्यायालयीन व्यवस्था में सुधार की उठी मांग

मध्यप्रदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी पदस्थापना नियम लागू करने की मांग तेज

रायपुर/बैकुंठपुर
मध्यप्रदेश शासन द्वारा राजस्व विभाग में राजस्व न्यायालयीन कार्यों के त्वरित निपटारे हेतु तहसीलवार पृथक-पृथक पदस्थ अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर आदेश जारी किया गया है। प्रत्येक तहसील में प्रभारी तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं गैर न्यायालयीन कार्यों हेतु पृथक राजस्व अधिकारी की पदस्थापना की गई है।

मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले का हालिया आदेश (क्रमांक 4084/विवनि/2025 दिनांक 11 जुलाई 2025) इस बात का उदाहरण है, जिसमें तहसीलवार राजस्व न्यायालयीन एवं गैर न्यायालयीन कार्य हेतु अलग-अलग अधिकारियों की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से निर्धारित की गई है। आदेश में उल्लेख है कि:

न्यायालयीन कार्यों की जवाबदेही स्पष्ट हो सकेगी। गैर न्यायालयीन कार्यों (कार्यालयीन मैनेजमेंट, राजस्व अभिलेख प्रबंधन, भूसंवर्धन आदि) में सुगमता होगी।

आमजन के प्रकरण शीघ्रता से निराकृत होंगे।

छत्तीसगढ़ में भी उठी मांग

छत्तीसगढ़ के कई राजस्व कर्मचारी संगठनों व ग्रामीण जनप्रतिनिधियों का कहना है कि राजस्व न्यायालयों में प्रकरणों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, वहीं तहसीलदारों को अतिरिक्त गैर-न्यायालयीन कार्य भी सौंप दिए जाते हैं, जिससे प्रकरणों के निराकरण में देरी हो रही है।

वनाधिकार, नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, अवैध कब्जा हटाने जैसे मामलों में महीनों की देरी आम हो गई है। मध्यप्रदेश के आदेश की तर्ज पर छत्तीसगढ़ शासन भी यदि तहसीलवार न्यायालयीन एवं गैर न्यायालयीन कार्यों हेतु अलग-अलग पदस्थापना आदेश जारी करे, तो –

न्यायालयीन प्रक्रिया में गति आएगी। ग्रामीणों को त्वरित न्याय मिलेगा। राजस्व व्यवस्था में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी।

सरकार से की गई मांग

राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों व जनप्रतिनिधियों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री छत्तीसगढ़ में भी मध्यप्रदेश जैसे आदेश जारी करें, जिससे राजस्व न्यायालयों के लंबित प्रकरणों का शीघ्र निपटारा हो सके और आम नागरिकों को राहत मिल सके।

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