Jandhara Media Group :  जनमंच पर संतुलन का समीकरण कार्यक्रम का आयोजन : छात्र संघ का चुनाव है जरूरी इससे देश को मिलेगा युवा नेतृत्वकर्ता

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Jandhara Media Group : छात्र संघ चुनाव होने से छात्रों में बढ़ेगी नेतृत्व क्षमता

 

छात्र नेता खड़ा कर सकता है आंदोलन, बस माद्दा होना चाहिए..

 

पहले राजनीति छात्र नेता पर निर्भर करते थे लेकिन अब छात्र नेता राजनीति पर है निर्भर

 

 

Jandhara Media Group : रायपुर। भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। इस देश में छात्र राजनीति हो या भारतीय राजनीति इसमें युवाओं का अहम भूमिका है। एक दौर था जब छात्र राजनीति से देश और प्रदेश में बड़े बड़े उभरकर सामने आते थे। जिन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाया।  ऐसे में सवाल यह उठता है कि वर्तमान में जो छात्र नेता हैं क्या उनमें नेतृत्व क्षमता की कमी है या उनको वैसा प्लेटफार्म नहीं मिल पा रहा है इन्हीं सब सवालों को जानने के लिए एशियन न्यूज़ का खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण का आयोजन किया गया…इसमें छात्र संगठन और उनके परिदृष को जानने का प्रयास किया गया।

Jandhara Media Group :  इस बार संतुलन का समीकरण में कैंपस पॉलिटिक्स और छात्र राजनीति के असर और उसके भविष्य पर चर्चा हुई…इसमें यह जानने का प्रयास किया गया कि पढ़ाई और पॉलिटिक्स के बीच कैसे संतुलन बिठाया जाता है… इस अवसर पर अपनी बात रखने के लिए पूर्व छात्र नेता और वर्तमान के छात्र नेता, स्टूडेंट और शिक्षक शामिल हुए। सभी ने इस विषय  प्रमुखता से बात रखी। इस कार्यक्रम को अभिनीत शुक्ला ने संचालन किया।

 

Jandhara Media Group :  छत्तीसगढ़ में अगले साल छात्रसंघ का चुनाव होने जा रहा है इसका एलान विगत दिनों  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने खुद किया है साथ ही छात्र आयोग के गठन की मांग को पूरा करने का भी आश्वासन दिया था। इससे छात्र संगठन और युवा नेताओं को एक बार फिर मौका मिलेगा। और  छात्रों को नेता बनने का सपना पूरा होगा। इससे छात्र आगे बढ़ेंगे और अपने प्रदेश और देश का नेतृत्व करेंगे।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व छात्र नेता अनिल पुसदकर ने कहा कि नेतृत्व क्षमता हर छात्र और युवा में होता है सवाल यह है की उनको कितना मौका मिलता है उसे कैसे निखारा जाता है। मैं छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को बहुत-बहुत बधाई दूंगा कि उन्होंने निर्वाचन प्रक्रिया शुरू कर छात्र संघ के चुनाव किया जाएगा यह बहुत बड़ा कदम है उन्होंने कहा छात्र नेता जो फिल्मों में दिखते हैं वह नहीं है असल में छात्र नेता वह है जो I आम स्टूडेंट और लोगों की बात करता है उसकी हक की बात करता है उन्होंने कहा कि जो एक सक्रिय छात्र नेता होता है वह अपनी पढ़ाई के साथ लोगों की समस्याओं को भी सुनता है !

वहीं पूर्व छात्र नेता संजय पाठक ने कहा कि हमारे समय में जो छात्र राजनीति होती थी और जो अब हो रही है उसमे आसमान जमीन का अंतर है पहले छात्र नेता स्टूडेंट और लोगों के हक की बात करते थे लेकिन वर्तमान में सिर्फ छात्र नेता राजनीति पार्टी या नेताओं के पीछे घूमते हैं अभी जरूरी है कि छात्र नेता अपने नेतृत्व क्षमता को समझें और छात्रों की हक की बात करे।

जनधारा मीडिया समूह के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि मौजूदा दौर कैरियर ओरिएंटेड का समय है ऐसे समय में बहुत कम लोग चाहते हैं कि हमारा बच्चा राजनीतिक में जाए क्योंकि इसमें कैरियर का कोई संभावना नहीं होता है जो छात्र या व्यक्ति क्षेत्र में आता है उसका नेतृत्व क्षमता और कुशलता पर निर्भर करता है कि वह किस प्रकार से आगे बढ़ेगा।

अगर नेतृत्व क्षमता और लोगों को समस्याओं को उठाने वाला होता है तो वह आगे बढ़ सकता है लेकिन इस समय छात्र संगठन राजनीति पार्टियों के सारण में जा रहे हैं वर्तमान में छात्र संगठन किसी ना किसी संगठन से जुड़े हैं वहीं स्कूल कालेज में छात्र संघ का चुनाव भी नहीं हो रहे हैं इससे छात्र नेता भी मनोनित होकर आ रहे हैं इससे उनके नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठ रहे है हालांकि अगले साल छत्तीसगढ़ में चुनाव होने जा रहा है इससे छात्र नेताओं को लाभ मिलेगा।

वहीं पूर्व छात्र नेता शकील साजिद ने कहा जिस देश में नौजवान देश का भविष्य बनाने का काम करता है तो ये जाहिर है की नौजवानो को राजनीति में आकर देश के माहोल को बदल सकता है….ये सभी ने माना है की इस समय में छात्र नेता कमजोर हुए हैं जरूरत है इसे बदलने की…

मिर्जापुर फिल्म में दिखाई गई छात्र पॉलिटिक्स पर बात रखते हुए शुभम दूबे ने कहा कि जो फिल्मों में दिखाया जाता है वह सत्य हो ऐसा नहीं जरूरी नहीं है हम जिनको देख देख कर राजनीति करना सीखे हैं वह हमारे बीच मौजूद हैं मैने उनसे सभी का आदर और सत्कार करना सीखा है कोई भी युवा कॉलेज राजनीति करने से पहले यह सोच लेता है कि कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र लड़के उसके भाई हैं और लड़कियां बहन, रही बात छात्र राजनीति की तो यह कैसा प्लेटफार्म है जहां से लोग नेता बनते हैं और आगे राजनीति में सक्रिय होने का मौका मिलता है !

युवा छात्र नेता होने के साथ पढ़ाई किस प्रकार से मैनेज कर पाते हैं इस पर बात रखते हुए तिलोक नाथ ने कहा कि एक अच्छा छात्र एक अच्छा छात्र नेता भी होता है वह जितना मेहनत छात्रों की भलाई के लिए करता है उतना ही मेहनत अपनी पढ़ाई के लिए भी करता है जरूरी नहीं है कि छात्र नेता निकम्मा ही हो, लेकिन वर्तमान में कुछ ऐसे नेता मिल जाएंगे जो छात्र पॉलिटिक्स में है ! वह पढ़ाई में कम ध्यान देते हैं और राजनीतिक में ज्यादा ध्यान देते हैं। तिलोक नाथ ने कहा कि छात्र नेता अपने कैंपस के समस्याओं को प्रमुखता से उठा रहे हैं !

नेता गिरी में काबिलियत और चप्लूसियत पर हुई बात

 

पूर्व छात्र नेता अनिल दुबे ने बताया कि वर्तमान में काबिलियत नहीं चापलूसी चल रही है अभी जो चापलूसी कर रहा है वही आगे बढ़ रहा है लेकिन हमारे समय में ऐसा नहीं होता था उस समय निर्वाचन के तहत छात्र नेता चुने जाते थे उस समय जिसके अंदर नेतृत्व क्षमता और काबिलियत होती थी वही लोग चुने जाते थे लेकिन मनोनित की जाने पर कोई भी चुनकर आ जा रहा है। अगर पूर्व में देखा जाए तो जेपी आंदोलन के समय वही छत्तीसगढ़ में देखे तो कई ऐसे नेता हैं जो अपने काबिलियत और लीडरशिप के बदौलत आगे बढ़े हैं और अभी मंत्री विधायक हैं !

इसपर अनिल पुसदकर ने कहा कि काबिलियत चप्लूसी  बहुत भारी है इसका जीता जागता उदाहरण हमारे पास कई लोग हैं जिसके पास काबिलियत तो बहुत था लेकिन उनके अंदर चापलूसी नहीं था तो आगे नहीं पढ़े ।

वहीं अंजनय शुक्ला ने कहा कि राजनीति एक ऐसा विषय है जिसका कोई सिलेबस नहीं है यह कॉलेज जाने के बाद परिवेश और माहौल देखकर होता है इसको लेकर कोई सोच समझकर नहीं करता है मैं खुद कॉलेज गया उसके बाद मेरे मन में आया की छात्र राजनीति में…

 

राजनीतिक पार्टियों को छात्र राजनीति में कितना दखल होना चाहिए

इस पर बात रखते हुए भाजपा के प्रवक्ता मृत्युंजय दुबे ने बताया कि छात्र संघ का चुनाव प्रत्यक्ष मतदाता प्रणाली के तौर पर होना चाहिए उन्होंने कहा कि अगर छात्र का चुनाव नहीं होगा तो आगे चलकर अच्छे राजनेता समाज को या देश को नहीं मिल पाएगा.. पहले ऐसा नहीं था पहले यह था कि छात्रों को पढ़ाई के साथ ही छात्र संघ का चुनाव लड़ना था पहले यह क्राइटेरिया था कि किसी छात्र जो किसी कॉलेज में यूनिवर्सिटी में पढ़ रहा है उसके प्रति कोई भी फिर वगैरा दायर हो तो उसको चुनाव लड़ने का परमिशन नहीं मिलता था।

 

छात्र नेताओं में है काबिलियत बस मौका की है जरूरत

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पूर्व छात्र नेता प्रदीप साहू ने बताया कि छात्र नेताओं में काबिलियत या नेतृत्व क्षमता की कमी नहीं है बस जरूरी है मौका मिलने की वर्तमान में निर्वाचन पद्धति के द्वारा चुनाव नहीं होने के कारण छात्रों को मौका नहीं मिल पा रहा है अगर चुनाव के माध्यम से छात्र नेता चुने जाएंगे तो उनमें कौशल क्षमता आएगी साथ ही नेतृत्व क्षमता भी देखने को मिलेगा।

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