Jagdalpur News : बस्तर संभाग की 8 से अधिक सीटों को प्रभावित करती है जगदलपुर सीट….

Jagdalpur News : बस्तर संभाग की 8 से अधिक सीटों को प्रभावित करती है जगदलपुर सीट....

Jagdalpur News : बस्तर संभाग की 8 से अधिक सीटों को प्रभावित करती है जगदलपुर सीट….

 

जीती सीट को हारने की जोड़-तोड़ में जुटे कांग्रेसी
-मुख्यमंत्री का काम तो विधायक रेखचंद का नाम गूंज रहा
जगदलपुर। विधानसभा चुनाव के लिए चंद माह बाकी हैं। राज्य में सरकार बनाने सत्तारूढ़ कांग्रेस व विपक्षी दल भाजपा कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। चुनावी बिसात पर अपने अनुकूल माहौल बनाने दोनों प्रमुख दलों के राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर के नेता डटे हैं। ऐसे में अगर एक सीट को हारने में कांग्रेसी जोड़- तोड़ कर रहे हैं, कहा जाए तो अचरज

नहीं होना चाहिए। वर्तमान हालात को देखकर तो यही कहा जा सकता है। जगदलपुर सीट बस्तर संभाग की 12 में से एकमात्र ऐसी सीट है, जो अनारक्षित है। शेष सभी सीटें अजजा के लिए आरक्षित हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार बस्तर संभाग में लगभग 65 फीसदी आदिवासी एवं 35 फीसदी गैर आदिवासी जनसंख्या का निवास है। इस

प्रकार मोटे तौर पर कहा जा सकता है कि जगदलपुर का विधायक इस 35 प्रतिशत जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। जगदलपुर सीट का असर बस्तर संभाग की आठ सीटों सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, बस्तर, चित्रकोट, कोंडागांव, जगदलपुर पर पड़ने के अलावा केशकाल, कांकेर, भानुप्रतापपुर व अंतागढ़ पर भी पड़ता है क्योंकि इन

सीटों की बंगाली, मारवाड़ी, ब्राह्मण व दीगर गैर आदिवासी समुदायों में से अनेक का रोटी- बेटी का संबंध बस्तर के इस भू- भाग से प्रगाढ़ता से है। इन परिस्थितियों के बावजूद जगदलपुर सीट को लेकर रचे जा रहे षड्यंत्र से कांग्रेस के रायपुर से दिल्ली तक के नेता अपने स्थानीय नुमाईंदों के द्वारा अंधेरे में रखे जा रहे हैं।
75 हजार वोट पाने वाले बस्तर संभाग के एकमात्र विजेता

जगदलपुर के वर्तमान विधायक रेखचंद जैन हैं। छात्र जीवन से कांग्रेस से जुड़े रेखचंद जैन का काम इस विधानसभा क्षेत्र में बोलता है। 2018 में चुनाव जीतने के बाद से सतत रूप से सक्रिय रेखचंद जैन शहर से लेकर गांव तक समान रूप से सक्रिय रहे हैं। पिछले एक साल में विधानसभा क्षेत्र में 200 से अधिक देवगुड़ियों/ मातागुड़ियों का जीर्णोद्धार

करवाकर उन्होने ग्रामीणों को अपना मुरीद बना लिया है। सड़क, पुल- पुलिया व अन्य परंपरागत निर्माण कार्यों को जिस तरह से तेजी दी है, वह देखते ही बनती है। समाज के सभी वर्गों के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहने की उनकी खूबी जरूर कुछ लोगों को नागवार गुजरी है। 2018 के चुनाव में जगदलपुर सीट पर उन्हें 76556 वोट हासिल हुए

थे। आज़ादी के बाद से आज तक विधानसभा के किसी भी चुनाव में किसी भी दल के प्रत्याशी को आज तक इतने अधिक वोट नहीं मिले हैं। इस उपलब्धि के बावजूद भाजपा से सांठगांठ कर कांग्रेस का एक धड़ा श्री जैन को कमजोर बताने पर तुला है। पिछले एक साल से जगदलपुर में वर्तमान विधायक को कमजोर बताने की साजिश रची जा रही है। इस खेल में पहले जहां कुछ कांग्रेसी ही जुटे थे, वहीं बाद में भाजपा के एक गुट को भी सहमत किया गया है।
27 हजार वोट से जीते थे रेखचंद
2018 के विधानसभा चुनाव में रेखचंद जैन ने 27440 वोट से भाजपा प्रत्याशी को हराया था। साफ एवं बेदाग छवि, सतत सक्रियता, कांग्रेस कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क, लगातार दौरा आदि श्री जैन की खूबियाँ मानी जाती हैं। यही वजह है कि श्री जैन को भाजपा से जुड़े कट्टर समर्थक भी जगदलपुर सीट पर मजबूत व सशक्त कांग्रेस प्रत्याशी के

रूप में देखते हैं। कांग्रेस के भी अधिकांश लोगों का यही मानना है कि जगदलपुर सीट जीतने के लिए रेखचंद जैन को ही टिकट दिया जाना चाहिए। इनके अनुसार यदि पार्टी आलाकमान चंद लोगों की साजिश में आकर कोई प्रतिकूल फैसला करता है तो उसका विपरीत असर बस्तर जिला ही नहीं संभाग की अन्य सीटों पर भी पड़ सकता है।

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