:दिलीप गुप्ता:
सरायपाली :- शिक्षा विभाग आज के समय मे सबसे लापरवाह विभाग हो गया है । जिनकी जिम्मेदारी व्यवस्था को सुधारने व सफल संचालन की है वही सिर्फ शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के बजाय नेताओ व अधिकारियों के आगे पीछे घूमने में सर्वाधिक व्ययस्त है । जबसे वर्तमान बीईओ इस पद पर हैं तब से अधिकांश स्कूलों में अव्यवस्था अधिक हो गई है । शिक्षा व विद्यालयों के स्तर व गुणवत्ता में सुधार के स्थान पर अपना सारा ध्यान अनियमितताओं व भ्रष्टाचार में अधिक लगाए जाने से स्कूलों व शिक्षकों पर ध्यान नही दिए जाने से ग्रामीण स्तर के शिक्षक भी अपनी मनमानी करने लगे हैं । सीमा स्थित वनांचल ग्राम अमलडीह में विगत 1 जुलाई से प्रधानपाठक ही स्कूल नही आ रहे हैं । आज 16 दिनों बाद भी इसकी कोई जानकारी जिम्मेदार अधिकारी को नही होना उनकी कार्यशैली को दिखाता है ।

ब्लॉक में शिक्षा व्यवस्था सुधारने का नाम नहीं ले रही है शिक्षकों की मनमानी सामने आ रही है ऐसे में बच्चों का भविष्य कैसे संवरेगा यह सवाल खड़ा हो जाता है। दरअसल सरायपाली विकास खंड के सूदूरवर्ती ग्राम अमेलडीह में संचालित शासकीय प्राथमिक शाला के प्रधान पाठक बिना कोई सूचना लंबे समय से अनुपस्थित हैं, बिना सूचना के स्कूल में अनुपस्थित रहने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और अन्य कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी है, लेकिन लापरवाही बरतने वाली प्रधान पाठक पर किसी तरह की कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की गई है।

बता दें कि प्रधानपाठक नुरपोलाल भोई इस सत्र स्कूल खुलने के कुछ दिन बाद से 10 दिनों तक अर्जित अवकाश में थे, जो विगत 6 जुलाई से शाला में उपस्थित नहीं हो रहे हैं, और न ही इसकी सूचना किसी को दी गई है। ऐसे में शिक्षा में गुणवत्ता कैसे आएगी और बच्चों की पढ़ाई लिखाई का क्या होगा यह बड़ा सवाल सामने आ गया है। हम आपको बता दें कि इस स्कूल में युक्ति युक्तिकरण के बाद प्रधान पाठक सहित दो शिक्षक पदस्थ है लेकिन प्रधान पाठक नूरपो लाल भोई के लगातार अनुपस्थिति से शाला संचालन प्रभावित हो रहा है। स्कूल में बच्चों की बात करें तो वहां दर्ज बच्चों को स्कूली किताबें भी पूरी नहीं मिल पाई आधे अधूरे किताबों से पढ़ाई हो रही है वहीं गणवेश की पूर्ण रूप से नहीं मिल पाया। शिक्षा शास्त्र प्रारंभ हुए एक माह का समय बीत चुका है लेकिन इस तरह की व्यवस्था को दुरुस्त करने किसी का ध्यान नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है और यह विभागीय उदासीनता को इंगित करता है