Indian women :भारतीय महिलाओं को हर कदम पर खुद को करना पड़ता है साबित : हिमानी शिवपुरी

Indian women :

Indian women  आज तनिष्का चटर्जी दर्शकों से हुएं रूबरू

 मेहमानों ने दीप प्रज्ज्वलित कर फिल्म समारोह का किया उद्घाटन

 ‘सिनेमा में स्त्री और स्त्री का सिनेमा’ विषय पर केंद्रित है फिल्म समारोह

 दिग्गज फिल्म की हो रही ‘मास्टर क्लास’

आज से फिल्मी सितारों, निर्देशकों और लेखकों का लगा जमवाड़ा

 राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मों का हो रहा प्रदर्शन

स्क्रिप्टिंग से लेकर किरदारों के चयन है अहम

उदभव ओझा – मास्टर क्लास

“फ़िल्म संगीत की बदलती दुनिया- कल, आज और कल”

5वें अंतराष्ट्रीय फ़िल्म फेस्टिवल में उद्भव ओझा ने ली मास्टर क्लास

फेमस धुनों के उदाहरण देकर रखी अपनी बात

Indian women रायपुर । राजधानी रायपुर में पांचवें रायपुर अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह का शुभारंभ बॉलीवुड के चर्चित अभिनेत्री तनिष्का चटर्जी और हिमानी शिवपुरी ने दीप प्रज्ज्वलित कर की…साथ ही इस अवसर पर रायपुर अंतराष्ट्रीय फिल्म समारोह के डारेक्टर अजित राय और छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी रायपुर के अध्यक्ष सुभाष मिश्र मौजूद रहे…यह फेस्टिवल छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी, रायपुर की ओर से आयोजित किया जा रहा है तीन दिनों तक चलने वाले यह समारोह 28 से 30 अप्रैल तक चलेगा ……जो ‘सिनेमा में स्त्री और स्त्री का सिनेमा’ विषय पर केन्द्रित है…इस अवसर पर सभी मेहमानों को यंगवस्त्र मोमेंटो और पुष्प गुच्छ देखकर सम्मानित किया गया….इस अवसर पर हिमानी शिवपुरी ने कहा कि भारत में महिलाओं को हर क्षेत्र में मशक्कत करनी पड़ती है…हमारा समाज पुरुष प्रधान है इसलिए स्त्रियों को हर कदम पर खुद को साबित करना बढ़ता है…. वहीं तनिष्का चटर्जी ने इस अवसर पर अपनी जर्नी शेयर किया…उन्होंने अपनी फिल्म ‘ रोम रोम में” के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि इस फिल्म को बनाने में काफी परेशीनिया आई…इसके बावजूद यह फिल्म बनी और आपके पास है….

इस अवसर पर छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजुअल आर्ट सोसाइटी, रायपुर के अध्यक्ष सुभाष मिश्रा ने दंतेवाड़ा में शहीद हुए जवानों के प्रति संवेदना जताते हुए सभी शहीदों को श्रद्धांजलि दी…साथ ही इस अवसर पर दो मिनट के लिए मोन रखकर उन शहीदों को नमन किया गया… सुभाष मिश्रा ने तीन दिनों तक चलने वाले इस फिल्म फेस्टिवल के रूपरेखा को बताया…..उन्होंने बताया की कोरोना काल के बाद यह फेस्टिवल को आयोजित किया गया…. इस फेस्टिवल से रायपुर के कला प्रेमियों को बहुत कुछ सीखने और समझने का मौका मिलेगा…उन्होंने यह भी बताया कि यह फिल्म समारोह नई पीढ़ी के कलाकारों, फिल्मकारों, निर्माताओं को ध्यान में रखकर किया जाता है…. इसमें जो दिग्गज अभिनेता या अभिनेत्रियां, लेखक, बुलाए जाते हैं उनसे नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा….

फेस्टिवल में मास्टर क्लास का आयोजन किया गया…मास्टर क्लास में धर्मेंद्र ओझा ने सिनेमा, टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफार्म के लिए आइडिया, कहानी, पटकथा कैसे लिखें इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी….उन्होंने कहा किसी भी फिल्म, टेलीविजन और ओटीटी के लिए पटकथा या स्टोरी लिखने के लिए नयापन और यूनिक होना आवश्यक है…उन्होंने कहा की एक सिनेमा लेखक को अपनी आडिया रोचकता के साथ प्रस्तुत करना चाहिए… उन्होंने शोले का उदाहरण देते हुए बताया की इस फिल्म बनने से पहले इसके स्क्रिप्ट लेखक ने बिना किसी स्क्रिप्ट के इस आडिया को निर्देशक और प्रोड्यूशर को सुनाया तो उन्हे पसंद आया जिसके बाद इसपर फिल्म बनी…उन्होंने इस अवसर पर बताया की एक फिल्म को बनाने के लिए किस तरह से कहानी, संवाद और पात्र चयन होना चाहिए….

 

पहले सत्र में आठ से अधिक शार्ट फिल्मों का हुआ प्रदर्शन

पहली फिल्म प्रस्थान को प्रदर्शित की गई.. जिसके निर्देशक डॉ अजय मोहन सहाय है…वहीं दूसरी फिल्म अभिषेक मोहंती द्वारा रचित और निर्देशित बिंदी, शशि मोहन सिंह निर्देशित गोमती, हीरा मानिकपुरी की फिल्म मृदुला का प्रदर्शन किया गया….साथ बता दें की रात तक चलने वाले इस फिल्म समारोह में कई सत्र हैं जिनमे देश भर के नामी और दिग्गज कलाकर, निर्देशक, प्रोड्यूसर एवं लेखक लोगों से रुबरु होंगे….साथ ही मास्टर क्लास में कला और एक्टिंग की बारीकियां बताएंगे…पहला मास्टर क्लास धर्मेंद्र नाथ ओझा लेंगे….वे सिनेमा, टेलीविजन और ओटीटी के लिए स्क्रिप्ट कैसे लिखे आदि की बारीकियां बताएंगे….वहीं फिल्म रफ बुक का प्रदर्शन भी किया जाएगा… साथ ही इसपर फिल्म पर तनिष्का चटर्जी का संवाद होगा…..
प्रदर्शित शॉर्ट फिल्म अलग अलग विषय पर केंद्रित थी…सभी फिल्मों ने कई संदेश दिए…प्रदर्शित फिल्म ‘गोमती’ गांव के परिवेश को दर्शाता है जहां एक महिला को इस बिना पर प्रताड़ित और यातना दिया जाता है कि वह डायन है….उन्हें गांव वालों से तिस्कार मिलता…हर पल जादू टोना करने के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है…इसमें दो नए कपल इस बुजुर्ग महिला को बचाती हैं और उन्हें न्याय दिलाते हैं…

 

मास्टर क्लास में धर्मेंद्र ओझा ने स्क्रिप्ट राइटिंग की बताई बारीकियां

फ़ेमस स्क्रिप्ट राइटर धर्मेंद्र नाथ ओझा ने 5वें अंतराष्ट्रीय फ़िल्म समारोह में मास्टर क्लास ली.. जिसका विषय था- ‘ सिनेमा, टेलिविज़न और ओटीटी के लिए लिखना- आइडिया, कहानी, पटकथा और संवाद”.. बता दें कि धर्मेंद्र नाथ ओझा ने कई बॉलीवुड फिल्में, शार्ट फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिख चुके हैं जिसे अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई अवार्ड्स मिला है.. मास्टर क्लास की शुरुआत में उन्होंने “आर्ट ऑफ स्टोरी टेलिंग” के बारे में बताया.. इस अवसर पर उन्होंने यह भी बताया कि कैसे किसी स्क्रिप्ट लिखने के पहले उस बारे में विचार किया जाता है, इसके अलावा रमेश सिप्पी डायरेक्टेड फेमस फ़िल्म ‘ शोले’ का कॉन्सेप्ट कैसे तैयार किया गया था, यह कुल 6 कैरेक्टर के इर्द-गिर्द लिखी कहानी साधारण थी, लेकिन उसे स्क्रीन में परोसा जाना इसे खास बनाता है.. मास्टर क्लास में धर्मेन्द्र नाथ ओझा ने बताया कि स्क्रिप्टिंग का पहला पड़ाव कैरेक्टर/ किरदार होता है.. स्टोरी गढ़ते हुये लेखक स्वयं को किरदार की तरह देखने लग जाता है…  मुन्नाभाई एमबीबीएस, लगान, विक्की डोनर जैसे फिल्मों का उदाहरण देते हुए किरदारों के रोल सलेक्शन पर ज़ोर देने की बात कही..उन्होंने फिल्मों के शार्ट दिखाकर स्क्रिप्ट और पत्र रोल के बारे में बताया…उन्होंने लगान का उदहारण देते हुए बताया की किस प्रकार से इस फिल्म में राजा को लगान माफी के लिए जाता है और वहां से क्रिकेट मैच खेलने की चुनौती मिलती है… और उसे आमिर खान स्वीकार कर लेता है…इस फिल्म में यहां से अलग मोड़ लेती है….

 

फिल्म में संवाद का है अहम रोल

धर्मेंद्र ओझा ने बताया कि फिल्म में सबसे ज्यादा अहम संवाद होता है इसलिए संवाद लिखते समय पात्र का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से पात्र होता है उसी प्रकार से उनका डायलॉग भी लिखना चाहिए… उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन का डायलॉग आमिर खान नहीं बोल सकता, उसी प्रकार किसी विलन का डायलॉग हीरो नहीं बोल सकता….इसलिए फिल्म का संवाद लिखते समय विशेष ध्यान देना चाहिए…

 

बंदुक उठाने से घर में चूल्हा नहीं जलेगा या गांव की तस्वीर नहीं बदलेगी

धर्मेंद्र ओझा ने मास्टर क्लास में एक फिल्म के दृश्य के माध्यम से संवाद की जो भूमिका होती है उसके बारे में बताया जहां एक मां और बेटी के बीच के संवाद को दिखाया है इसमें एक बेटा बागी बनकर बंदूक उठाकर समाज को बदलने का बात करता है लेकिन उसकी अनपढ़ मम्मी उसे बताती है कि बंदूक से न किसी के घर चूल्हे चलेंगे न किसी महिला के सर पर आंचल आएगा बल्कि इससे सिर्फ तबाही ही मचेगी…इस प्रकार से संवाद का अहम रोल होता है….

 

फेमस और चुनिंदा गीतों की धुन को प्ले कर बताया उसकी महत्ता

 

पांचवे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के दूसरे सत्र में संगीत पर मास्टर क्लास का आयोजन किया गया….इसका विषय ‘फिल्म संगीत की बदलती दुनिया कल आज और कल’ पर उद्भव ओझा ने मास्टर क्लास ली…बता दें कि उद्भव ओझा भारतीय फिल्मों की दुनिया मे जाने-माने सिंगर, कम्पोज़र हैं.. उन्होंने मोहब्बतें फ़िल्म से डेब्यू की थी…लेकिन आज उद्भव ओझा के कई नामी फिल्मों में संगीत दे चुके है.. इनका सितार वादन में मास्टरी है. …साथ ही इन्होंने कई धारावाहिकों में भी संगीत दिया है…मास्टर क्लास में उन्होंने फिल्मों में संगीत के बारे तकनीकी पक्ष और संगीत की जर्नी के बारे में बताया…. कई गीत की धुन को प्लेय कर लोगों को बताया की किस तरह से पहले के फिल्मों में गीतों की रिकॉर्डिंग होती थी…इसके साथ ही उन्होंने बताया की पहले ज्यादातर गीत पेड़ो के आस पास गानों एक माइक से होती थी….उन्होंने पुरानी गीत आएगा आएगा आने वाला….. सुहानी रात ढल चुकी, न जाने तुम कब आओगे… इस गीत के माध्यम से बताया की पहले के म्यूजिशियन बिना किसी टेकनोलाजी के अपनी गीत रिकार्ड करते थे….लेकिन आज इतने तकनीक होने के बावजूद भी वैसे संगीत नहीं दे पा रहे हैं…..उन्होंने आगे आवारा हूं गीत के टेक्निकल और मीटर के बारे में बताया….आगे उन्होंने गुलजार साहब के गीत हम है राही प्यार के, जो भी प्यार से मिले हम उसी के हो लिए…..इसके बारे में बताया की इस गीत के लिए गुलजार साहब को केवल टून दिया गया था….फिर उन्होंने इतना प्यारा गीत की रचना की थी….उन्होंने अनगिनत गीत और धुन को बजा कर उनके बारीकियों के बारे में बताया…खास बात यह है की इसमें दर्शकों ने अपनी रुचि दिखाया…दर्शकों के कई प्रश्नों के उत्तर उद्भव ने दिया…वहीं उद्भव के कई सवालों का जवाब दर्शकों ने भी दिया….

 

म्यूजिक ने बांधा शमा

उद्भव ओझा के संगीत के मास्टर क्लास के बाद संगीत से शमा बांध दिया…इस अवसर पर एक से बढ़कर एक गीत सुनाए। श्रोताओं ने इस इस अवसर पर खूब तालियां बजाईं और खूब झूमे..

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