नई दिल्ली। भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में कई बड़े सौदों को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। ये सौदे भारतीय वायुसेना और नौसेना की ताकत को बढ़ाएंगे। इनमें 114 राफेल फाइटर जेट्स, 6 अतिरिक्त P-8I विमान और 113 F-404 इंजन शामिल हैं। ये खरीदारी भारत की आत्मनिर्भरता और सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ MiG-21 स्क्वाड्रनों के रिटायरमेंट के बाद वायुसेना की घटती ताकत (29 स्क्वाड्रन) को संबल प्रदान करेंगी।
114 राफेल जेट्स: ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा
भारतीय वायुसेना ने 114 राफेल फाइटर जेट्स की खरीद का प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को भेजा है, जिसकी अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है। इन जेट्स में 60% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री होगी। फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर इन्हें बनाएगी। वर्तमान में भारत के पास 36 राफेल जेट्स हैं, जो 2016 के सौदे से मिले, और नौसेना के लिए 36 और ऑर्डर पर हैं। इस सौदे के बाद कुल राफेल जेट्स की संख्या 176 हो जाएगी।
राफेल जेट्स ने ऑपरेशन सिंदूर में चीनी PL-15 मिसाइलों को हराकर अपनी क्षमता साबित की है। नए जेट्स लंबी दूरी की एयर-टू-ग्राउंड मिसाइल्स से लैस होंगे। प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय के डिफेंस फाइनेंस, डिफेंस प्रोक्योरमेंट बोर्ड और डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) में विचाराधीन है। DAC से ‘एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी’ (AoN) मिलने के बाद औपचारिक बातचीत शुरू होगी। सौदा पक्का होने पर अगले 18 महीनों में पहला स्क्वाड्रन (18 जेट्स) डिलीवर हो सकता है।
अतिरिक्त सुविधाएं और आत्मनिर्भरता
केंद्र सरकार इस खरीद को तेज करने पर जोर दे रही है। दसॉल्ट एविएशन हैदराबाद में M-88 इंजनों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहॉल (MRO) सुविधा स्थापित करेगी। यह सौदा MRFA (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) प्रोग्राम के तहत गवर्नमेंट-टू-गवर्नमेंट (G2G) तरीके से होगा। इसके अलावा, 6 अतिरिक्त P-8I विमान और 113 F-404 इंजन की खरीद से नौसेना और वायुसेना की मारक क्षमता में इजाफा होगा।
रक्षा क्षेत्र में नया कदम
ये सौदे भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि ये खरीदारी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने और भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।