India Story वे लोग, वह देश कैसा और हम कैसे?

India Story विवेक सक्सेना

India Story चूंकि वहां बेरोजगारी व बुढ़ापे की चिकित्सा की चिंताा नहीं है इसलिए हमारी तरह वे लोग ज्यादा बचत करने की बजाए खाओ पियो और मौज करने में विश्वास रखते हैं। न तो वे अपने मां-बाप का खर्च उठाते हैं और न ही दवाई दारु की चिंता करते हैं। वहां आम लोग राजनीति में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। शायद यही वजह है कि वहां पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी तादाद में भारतीय जीते। पिछली बार उनका रक्षा मंत्री भी एक भारतीय था।

India Story जब कौन बनेगा करोड़पति देख रहा था तो एक सवाल पर मैंने कुतुब मीनार का चित्र देखकर सोचा कि मैंने तो दिल्ली भी ठीक से नहीं घूमा है। पूरा देश घूमने की तो बात ही अलग है। जब कनाडा में था तो देखा कि वहां के लोगों को घूमने का कितना शौक है।

India Story छुट्टी के दिन लोग अपनी कारों के साथ लगे ट्रालर पर नौकाए लाद कर समुद्र की सैर करने के लिए जाते हैं। कहीं भी घूमने के लिए जाए तो वहां लोग गैस से चलने वाले चूल्हे लेकर आते हैं जिन पर तंदूरी व टिक्के आदि सेंके जा रहे होते हैं। समुद्र तट के किनारे लोगों को अपने बच्चों के साथ प्लास्टिक के घरों में आनंद लेते हुए देखा जा सकता है। बावजूद इस सबके कहीं कुछ भी गंदगी नजऱ नहीं आती। हर घूमने वाली जगह पर अच्छे साफ सुथरे टायलट मौजूद है। लोगों के बैठने के लिए बेंचों से लेकर गाड़ी की पार्किंग तक का पूरा प्रबंध होता है।

India Story ऐसा लगता है कि वहां की सरकार ने अपने नागरिकों के लिए ही सारी सुविधाओं का प्रबंध किया है। कहीं कूड़ा बिखरा नजर नहीं आता। हर जगह पर कूड़ा इकठ्ठा करने वाले कूड़ादान है। समुद्र किनारे घूम रही बत्तखों या दूसरे पक्षियों को कुछ खिलाना सख्त मना है। लोग सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करते हैं। हम तो अक्सर खाने का सामान घर से ही ले जाते थे क्योंकि शाकाहारी सामान खाना हमारी मजबूरी थी व बाहर हम चाय काफी व कोल्डड्रिंक ही खरीद सकते थे।

समुद्र तट पर तैरने के लिए लोगों को नावें किराए पर मिल जाती है इनके साथ ही प्रशिक्षण देने वाले तैराक भी मौजूद रहते हैं। वहां मछली पकडऩे पर सख्त पाबंदी है। आस पास काटे गए विशाल पेड़ों को काटकर बैठने के लिए धरती पर बिछा दिया गया है कहीं धूल नहीं उड़ती न ही समुद्र के किनारे पर रेत नजर आती है। वहां की मिट्टी हमारे देश जैसी होती है। तमाम खाली जगहों को लकड़ी पाटों से ढक दिया जाता है ताकि पैदल चलने में कोई दिक्कत न हो न कहीं भी मिट्टी गीली होने के कारण लोगों के पैर गंदे हों। पार्किग से लेकर समुद्र तट तक साफ सुथरे पक्के रास्ते बने हुए हैं।

वहां हर मुहल्ले व हर स्कूल में खेलने के लिए लंबे चौड़े मैदान है। ज्यादातर आम परिवारों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढ़ते हैं। बच्चा जिस इलाके में रह रहा है उसे उस इलाके के स्कूल में दाखिला देना ही पड़ता है। बच्चों को ज्यादा होमवर्क नहीं मिलता है और न ही उनकी पढ़ाई होती है। आमतौर पर लोग 12 वीं से ज्यादा नहीं पड़ते हैं क्योंकि ग्रेजुएशन व इंजीनियरिंग या डाक्टरी की पढ़ाई बहुत मंहगी है। बारहवीं पास बच्चे को ऐसी नौकरी मिल जाती है ताकि वह मां-बाप से अलग रहकर भी अपना खर्च उठा सके।

ज्यादातर ज्यादा पढऩे-लिखने वाले विदेश जैसे भारत, पाकिस्तान, चीन आदि देशों से ही है। दूसरे शब्दों में कहा जाए कि वहां के बच्चे अपने दिमाग को ज्यादा कष्ट नहीं देते हैं क्योंकि न तो उन्हें नौकरी की चिंता होती है और न ही अपने स्वर्णिम भविष्य की। जब किसी सडक़ की मरम्मत की जा रही है तो वहां झंडा दिखाकर ट्रैफिक को नियंत्रण करने वालों को भी घंटे के हिसाब से मोटी मजदूरी दी जाती है क्योकि सरकार का मानना है कि वह सडक़ पर खड़ा होने के कारण वह अपनी जिंदगी को खतरे में डाल रहा है।

किसी बच्चे को भविष्य में क्या बनना है, यह तय करने में उनके शिक्षक विशेष मदद देते हैं। यही वजह है कि हमने उच्च शिक्षा हासिल करके डाक्टर, वैज्ञानिक या इंजीनियर बनने वाले लोगों में कनाडा के लोगों का नाम नहीं देखा। वे लोग घर से दूर रहना पसंद नहीं करते हैं। यही वजह है कि वहां ज्यादातर बड़ी ट्रकों व ट्रालर के ड्राइवर भारतीय या पाकिस्तान के लोग हैं जो बहुत मोटी कमाई कर रहे हैं।

भारतीय परिवारों का लगभग हर सदस्य नौकरी करता है व एक घर में साथ-साथ रहने के कारण उनके खर्चे भी कम हैं। इसलिए वे लोग जल्दी मकान बना लेते हैं। ज्यादातर मकान अंग्रेजों से ही खरीदे जाते हैं इसलिए मूल निवासियों के मन में उनसे ईर्ष्या होना स्वाभाविक है। चूंकि वहां बेरोजगारी व बुढ़ापे की चिकित्सा की चिंताा नहीं है इसलिए हमारी तरह वे लोग ज्यादा बचत करने की बजाए खाओ पियो और मौज करने में विश्वास रखते हैं। न तो वे अपने मां-बाप का खर्च उठाते हैं और न ही दवाई दारु की चिंता करते हैं। वहां आम लोग राजनीति में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। शायद यही वजह है कि वहां पिछले लोकसभा चुनाव में बड़ी तादाद में भारतीय जीते। पिछली बार उनका रक्षा मंत्री भी एक भारतीय था।

आमतौर पर लोग राजनीति की बातें करना पसंद नहीं करते हैं। उन्हें लगता है कि आम जिंदगी में नेताओं से जान पहचान रखने की कोई जरुरत नहीं है। बच्चे के दाखिल से लेकर उसे नौकरी करने तक वहां किसी की सिफारिश की जरुरत नहीं पड़ती है। भ्रष्टाचार लगभग नहीं है। रिश्वत का मानो नामो निशान ही नहीं है। अगर किसी इलाके में किसी मकान को गिरा कर वहां बहुमंजिला इमारत बननी हो तो उसका बाकायदा विज्ञापन देकर व उस स्थान पर नोटिस बोर्ड लगाकर आस पास के लोगों को इस बारे में सूचना देते हुए उनसे पूछा जाता है कि वहां भवन बनाने के लिए इजाजत देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

जैसे बहुमंजिला इमारत बनने के कारण उन घर में आने वाली धूप व सडक़ का यातायात तो प्रभावित नहीं होगा। उनके द्वारा आपत्ति न जताने के बाद ही निर्माण की इजाजत दी जाती है व हर स्तर पर निर्माण की जांच पड़ताल करके यह सुनिश्चित किया जाता है कि कहीं नियम कानूनों की अवहेलना तो नहीं की जा रही है। जैसे हाल ही में नोएडा में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बहुचर्चित इमारतें गिरायी गई थी। वैसा करने की नौबत नहीं आती है। वहां की सरकारें यह देखती है कि उनके किसी कदम से आम नागरिकों को कोई दिक्कत तो नहीं होती है। वहां भवन निर्माण में बिल्डरों की नहीं बल्कि आम नागरिक की दिक्कतों को देखा जाता है।

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